
8 मार्च को स्त्री विमर्श को सार्थक करते हुए महिला दिवस मनाने की परंपरा 1975 में शुरू हुई जब इस साल को महिला वर्ष घोषित किया गया । 1975 में ही संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया भर में महिलाओं की स्थिति में सुधार करने, उनके अधिकारों की रक्षा करने और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने था के उद्देश्य के साथ महिला वर्ष अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाने की पहल की। तब से ही हर वर्ष, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर एक विशेष थीम चुनी जाती है जो उस समय की प्राथमिकताओं को दर्शाती है। हर वर्ष एक नई थीम होती है जो महिलाओं के अधिकारों, समानता और विकास के विभिन्न पहलुओं पर केंद्रित होती है।
एक नजर पिछले 5 वर्षों की महिला वर्ष की थीम पर
2020 – समानता के लिए प्रत्येक व्यक्ति
यह थीम इस विचार पर आधारित थी कि लैंगिक समानता केवल महिलाओं का मुद्दा नहीं, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है। इसमें समावेशी समाज की आवश्यकता को रेखांकित किया गया था। कुल मिलाकर दो शब्दों में बात की जाए तो यह उम्मीद की गई थी कि हर व्यक्ति लैंगिक समानता के लिए अपना योगदान देगा ।
2021 – चुनौती चुनें
इस थीम ने महिलाओं को असमानता के ख़िलाफ़ आवाज उठाने और परिवर्तन लाने के लिए प्रोत्साहित किया। इसका संदेश था कि केवल चुनौती देने से ही बदलाव संभव होगा।
संक्षेप में कहा जाए तो संदेश था कि चुनौतियां एवं समस्याओं से भाग नहीं जाए अभी तो चुनौतियों का डटकर सामना किया जाए या फिर महिलाओं की प्रगति के लिए खुद चुनौतियां खड़ी करके उनका हल निकाला जाए।
2022 – “आज लैंगिक समानता, कल के लिए स्थिरता
इस वर्ष की थीम ने जलवायु परिवर्तन और लैंगिक समानता के आपसी संबंध पर जोर दिया। इसका उद्देश्य था महिलाओं की भागीदारी के बिना एक सतत भविष्य संभव नहीं है।
2023 – ” डिजिटल: नवाचार और प्रौद्योगिकी के माध्यम से लैंगिक समानता
यह थीम डिजिटल युग में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर केंद्रित थी। इसका उद्देश्य था कि तकनीक और नवाचार के क्षेत्र में महिलाओं को समान अवसर मिले। यह समय की मांग भी थी और आज भी है कि जब तक महिलाएं तकनीकी के क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ेगी उनका वास्तविक विकास होना संभव नहीं है इसीलिए डिजिटल इन्नोवेशन और टेक्नोलॉजी के माध्यम से लैंगिक समानता पर जोर दिया गया था।
2024 – “महिलाओं में निवेश करें, प्रगति को तेज करें
पिछले वर्ष की थीम महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण पर केंद्रित रही। इसका मुख्य संदेश है कि महिलाओं में निवेश करने से समाज और अर्थव्यवस्था में तेजी से प्रगति होगी। यानी यानी उन का मानना था कि यदि महिलाओं से संबंधित क्षेत्र में अधिक निवेश किया जाएगा तभी प्रगति को पंख लगा सकेंगे और साथ ही साथ महिलाओं का विकास भी हो सकेगा।
2025 – “तेजी से कार्रवाई” – इस थीम का उद्देश्य लैंगिक समानता की दिशा में प्रगति को तेज़ करना है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के अनुसार, वर्तमान गति से पूर्ण लैंगिक समानता प्राप्त करने में 2158 तक का समय लग सकता है, जो लगभग पाँच पीढ़ियों के बराबर है। इसलिए, इस थीम के माध्यम से, समाज को संयुक्त रूप से प्रयास करने और ठोस कदम उठाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है ताकि महिलाओं के अधिकारों और समानता को शीघ्रता से सुनिश्चित किया जा सके।
थीम का प्रभाव
संयुक्त राष्ट्र ने हर वर्ष के लिए एक नई थीम इसलिए चुनी ताकि उसका अधिकाधिक प्रभाव महिला विकास एवं उन्नयन तथा उनके अपडेशन पर पढ़ सके एवं महिलाओं का जीवन पहले के मुकाबले बेहतर हो सके साथ ही साथ में समझ में सर ऊंचा करके सामाजिक एवं राष्ट्रीय विकास के साथ-साथ सभी क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दे सके और निश्चित रूप से इस प्रकार से थीम बेस्ड महिला वर्षों ने अपना असर दिखाई भी है।
सामाजिक परिवर्तन:
हर वर्ष एक थीम के साथ महिला दिवस मनाने से सामाजिक परिवर्तन गतिशील हुए हैं तथा विभिन्न देशों की सरकारों ने महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और कार्यस्थल पर उनकी स्थिति में सुधार लाने के लिए विभिन्न नीतियाँ बनाई
हैं। इसका प्रभाव सामाजिक परिदृश्य पर भी दिखाई दिया है।
कानूनी सुधार:
दुनिया भर के तीसरी दुनिया के देश जिम एशिया एवं अफ्रीका महाद्वीप मुख्य रूप से शामिल है आज भी महिलाओं को वह समानता का अधिकार नहीं दे पा रहे हैं जिसकी वह हकदार है लेकिन प्रतिवर्ष एक थीम को लेकर महिला वर्ष या महिला दिवस मनाने से इस क्षेत्र में सुधार हुआ है जिसके परिणाम स्वरूपकई देशों ने लैंगिक समानता को कानूनी रूप से सशक्त करने के लिए नए कानून बनाए हैं।
आर्थिक सशक्तिकरण:
हर वर्ष महिला दिवस मानने से जहां महिलाओं में जागरूकता आई है वहीं उनके लिए अनेक कार्यक्रम चलाए गए हैं महिला रोजगार में वृद्धि हुई है आज में जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में खुलकर कार्य कर रहे हैं तथा समाज एवं राष्ट्र के निर्माण में अभिनव योगदान दे रही है साथ ही साथ सरकारों एवं स्वायत्त साहसी संस्थाओं द्वारा भी महिला उद्यमिता और वित्तीय स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएँ चलाई गई हैं।
तकनीकी भागीदारी:
भले ही कुछ देशों में महिला वर्षीय महिला दिवस एक औपचारिकता मात्र बनकर रह गए हैं लेकिन फिर भी दुनिया भर में इसका व्यापक प्रभाव भी पड़ा है जिससे महिलाओं को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित क्षेत्रों में अधिक अवसर प्रदान करने के प्रयास किए गए हैं। और इसके परिणाम स्वरूप आज दुनिया भर के देशों में महिलाएं तकनीकी क्षेत्र में बाढ़-चाड करने केवल हिस्सा ले रहे हैं अभी तू नए-नए नवाचारों में अपना सक्रिय योगदान भी दे रही हैं।
अंतर्राष्ट्रीय महिला वर्ष व थीम का उद्देश्य केवल महिलाओं की स्थिति सुधारना नहीं है, बल्कि एक संतुलित और समावेशी समाज बनाना है। जब महिलाएँ सशक्त होती हैं, तो पूरा समाज आगे बढ़ता है। हमें सभी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित करना होगा, ताकि एक न्यायसंगत और प्रगतिशील दुनिया बनाई जा सके।