सुरक्षित एवं समृद्ध भविष्य के लिए जल आत्मनिर्भरता महत्वपूर्ण: मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा

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जयपुर, 18 फरवरी (भाषा) राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सुरक्षित एवं समृद्ध भविष्य के लिए जल आत्मनिर्भरता को महत्वपूर्ण बताते हुए मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में जल संरक्षण के लिए भगीरथी प्रयास किए हैं।

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी आर पाटिल ने कहा कि 2047 तक भारत को जल सुरक्षित राष्ट्र बनाना सरकार का ‘विजन’ है।

दोनों नेता उदयपुर में राज्यों के जल मंत्रियों के दूसरे अखिल भारतीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

शर्मा ने कहा,‘‘ हमें जल संरक्षण के उपायों को अपनाकर जल आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर होना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियों को एक सुरक्षित और समृद्ध भविष्य प्रदान किया जा सके। ’’

उन्होंने कहा कि जल आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सुव्यवस्थित रोडमैप की आवश्यकता है जिसमें कृषि तथा शहरी जल प्रबंधन और तकनीकी नवाचार जैसे प्रमुख पहलुओं का समावेश हो।

उन्होंने इस कार्यक्रम के लिए केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री का आभार व्यक्त किया और कहा कि यह सम्मेलन सहयोगात्मक संघवाद की परिकल्पना की जीती-जागती मिसाल है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी संवैधानिक व्यवस्था में जल राज्यों का एक विषय है, लेकिन प्रधानमंत्री के अथक प्रयासों से जल राज्यों के बीच समन्वय एवं सहयोग का विषय बन गया है।’’

आधिकारिक बयान के अनुसार शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में विकसित भारत 2047 के सपने को साकार करने में जल आत्मनिर्भरता की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने देश के हर घर तक नल से जल पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन के रूप में एक भगीरथी प्रयास किया है जिसका लाभ आज राजस्थान के भी करोड़ों लोगों को मिल रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान सरकार शेष परिवारों को नल कनेक्शन देने के लिए भी तेजी से कार्य कर रही है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण को देश के विकास एजेंडे में सर्वोच्च प्राथमिकता दी है तथा इस संबंध में एक अलग से जल शक्ति मंत्रालय भी बनाया ताकि जल से संबंधित परियोजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन किया जा सके।

केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री ने कहा,‘‘ प्रधानमंत्री मोदी के 2047 तक देश को जल सुरक्षित राष्ट्र बनाने के ‘विजन’ पर हम काम कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत अब देश के 15 करोड़ घरों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध हो रहा है तथा इस सिलसिले में पानी की शुद्धता को जांचने के लिए 25 लाख महिलाओं को किट एवं प्रशिक्षण दिये गये।

पाटिल ने कहा कि इसी तरह, वर्षा जल संग्रहण के लिए ‘कैच द रैन’ का अभियान चलाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि रामजल सेतु परियोजना (संशोधित पीकेसी लिंक परियोजना) के तहत राजस्थान को ज्यादा पानी मिलेगा तथा आने वाले समय में राजस्थान को बड़ी मात्रा में पानी की आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी।

उन्होंने कहा कि यमुना जल समझौते के तहत भी राजस्थान तथा हरियाणा राज्यों के त्वरित निर्णय से यमुना का अतिरिक्त पानी राजस्थान आ पायेगा।

उन्होंने आह्वान किया,‘‘ हम सभी को 2047 तक देश को जल सुरक्षित राष्ट्र बनाने, हर घर में स्वच्छ जल पहुंचाने, किसानों को जल संकट से मुक्ति, नदी-जलाशयों को पुनर्जीवित करने का संकल्प लेना चाहिए।’’

ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी ने कहा कि ओडिशा में वर्षा पर्याप्त है लेकिन वर्षा वितरण में असमानता है, इसलिए जल सुरक्षित राज्य के लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सरकार ने बाढ़ नियत्रंण तथा जल संरक्षण को विभिन्न परियोजनाओं में प्राथमिकता दी है।

त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने कहा कि त्रिपुरा का 70 प्रतिशत क्षेत्र वन क्षेत्र है तथा अधिकतर जनसंख्या आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सरकार सिंचाई परियोजनाओं को बढ़ाने पर जोर दे रही है, जिससे कृषि की उत्पादकता बढ़े तथा किसानों की आय में वृद्धि हो।

कार्यक्रम में कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार, हिमाचल प्रदेश के उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री अरूण साव, केन्द्रीय सचिव, जल संसाधन देबाश्री मुखर्जी ने भी विचार व्यक्त किए।

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