नयी दिल्ली, 18 फरवरी (भाषा) बाजार नियामक सेबी ने म्यूचुअल फंड नियमों में संशोधन किया है। इसके तहत परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों को नए कोष की पेशकश (एनएफओ) के माध्यम से निवेशकों से प्राप्त राशि का एक निर्धारित समयसीमा में इस्तेमाल करने के लिए कहा गया है।
इसके अतिरिक्त, नियामक ने निवेशकों को और अधिक पारदर्शिता प्रदान करने के लिए म्यूचुअल फंड योजनाओं के लिए दबाव परीक्षण का खुलासा अनिवार्य कर दिया है।
ये संशोधन एक अप्रैल, 2025 से लागू होंगे। इन उपायों का उद्देश्य निवेशकों के बीच अधिक जवाबदेही और भरोसा सुनिश्चित करते हुए म्यूचुअल फंड परिचालन को मजबूत बनाना है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने राशि के उपयोग की समयसीमा के बारे में 14 फरवरी को एक अधिसूचना में कहा, ‘‘एनएफओ में प्राप्त राशि का उपयोग निर्धारित समयसीमा में किया जाएगा। इस बारे में बोर्ड समय-समय पर निर्देश जारी कर सकता है।’’
यह संशोधन दिसंबर में सेबी निदेशक मंडल द्वारा एक प्रस्ताव को मंजूरी देने के बाद आया है। इसमें कोष प्रबंधकों को एनएफओ के जरिये एकत्र राशि को योजना के तहत निर्धारित परिसंपत्ति आवंटन के अनुसार, उपयोग करने को कहा गया है। यह समयसीमा आमतौर पर 30 दिन की होती है।
नियामक ने कहा था कि यदि निर्धारित समयसीमा के भीतर राशि का उपयोग नहीं किया जाता है, तो निवेशकों के पास बिना कोई निकासी शुल्क दिये योजना से बाहर निकलने का विकल्प होगा।
यह रूपरेखा परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों को एनएफओ के दौरान अतिरिक्त राशि एकत्र करने से हतोत्साहित करती है। इसका कारण निवेशक बाद में शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य(एनएवी) आधार पर सतत खुली योजनाओं (ओपन-एंडेड) में निवेश कर सकते हैं।
नियामक ने परिसपंत्ति प्रबंधन कंपनियों के कर्मचारियों के लिए कारोबार सुगमता के लिए भी कदम उठाया है। इसके तहत एएमसी ऐसे कर्मचारियों के पारिश्रमिक का एक प्रतिशत बोर्ड द्वारा निर्दिष्ट तरीके से नामित कर्मचारियों के पदनाम या भूमिकाओं के आधार पर म्यूचुअल फंड योजना की इकाइयों में निवेश करेगा।
इन्हें प्रभावी बनाने के लिए सेबी ने म्यूचुअल फंड नियमों में संशोधन किया है।