नयी दिल्ली/तिरुवनंतपुरम, दो फरवरी (भाषा)केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री सुरेश गोपी ने रविवार को यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि जनजातीय मामलों का मंत्रालय ‘सवर्ण जाति’ के लोगों को संभालना चाहिए।
अभिनय जगत से राजनीति में आए गोपी ने दिल्ली विधानसभा के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पक्ष में प्रचार करने के दौरान एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जनजातीय कल्याण में वास्तविक प्रगति तभी संभव होगी जब मंत्रालय की जिम्मेदारी ‘ सवर्ण जाति’ के नेता संभालेंगे।
केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय भी संभाल रहे गोपी ने कहा, ‘‘यह हमारे देश का अभिशाप है कि केवल आदिवासी समुदाय से आने वाले व्यक्ति को ही जनजातीय मामलों का मंत्री बनाया जा सकता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह मेरा सपना और उम्मीद है कि आदिवासी समुदाय के बाहर से किसी को उनके कल्याण के लिए नियुक्त किया जाना चाहिए। किसी ब्राह्मण या नायडू को जिम्मेदारी दी जाए – इससे महत्वपूर्ण बदलाव आएगा। इसी तरह, आदिवासी नेताओं को अगड़े समुदायों के कल्याण के लिए विभाग दिया जाना चाहिए।’’
गोपी ने कहा, ‘‘ऐसा बदलाव हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली में होना चाहिए।’’
जनजातीय मामलों का मंत्रालय संभालने की इच्छा जताते हुए त्रिशूर के सांसद ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अनुरोध किया था कि उन्हें यह मंत्रालय आवंटित किया जाए। उन्होंने कहा, ‘‘ लेकिन, मंत्रालयों के आवंटन को लेकर कुछ परिपाटी है।’’
गोपी की टिप्पणी की पूरे केरल में व्यापक आलोचना हुई है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के राज्य सचिव बिनय विश्वम ने गोपी पर निशाना साधते हुए उन्हें ‘चार वर्णीय व्यवस्था’ का प्रचारक बताया और उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटाने की मांग की।
उन्होंने केंद्रीय राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन से भी इस्तीफा देने की मांग की तथा उन पर संघीय सिद्धांतों की अवहेलना करने तथा केरल का अपमान करने का आरोप लगाया।
प्रमुख आदिवासी नेता सी के जानू ने भी गोपी की टिप्पणियों की कड़ी निंदा की और उन्हें ‘निम्न-श्रेणी’ तथा उनकी समझ की कमी का सबूत बताया।
वर्तमान मोदी सरकार में ओडिशा से भाजपा के प्रमुख आदिवासी नेता जुएल ओराम केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री हैं।