भारत के मध्यकाल में समुद्र की उपेक्षा की गई, जिससे भारी नुकसान हुआ: कोविंद

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नयी दिल्ली, 14 फरवरी (भाषा) पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को कहा कि भारत के मध्यकाल में ऐतिहासिक परिस्थितियों के कारण ‘‘समुद्र की उपेक्षा की गई जिससे देश की नौसैन्य ताकत के फीकी पड़ने से ‘‘भारी नुकसान’’ हुआ।

उन्होंने यहां मानेकशॉ सेंटर में ‘‘थिंक टैंक’’ नेशनल मैरीटाइम फाउंडेशन (एनएमएफ) द्वारा आयोजित एक व्याख्यान में कहा कि हालांकि, समुद्र ताकत के नजरिये से इस ‘‘अंधकार युग’’ के दौरान भी देश की समुद्री विरासत पूरी तरह नष्ट नहीं हुई।

पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘भारत की समुद्री विरासत समुद्र के साथ उसके दीर्घकालिक संबंधों का प्रमाण है, जिसमें व्यापार, संस्कृति और नौसैन्य कौशल शामिल हैं। इस समृद्ध विरासत ने हमारे देश के इतिहास और व्यापक विश्व के साथ उसके संबंधों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है।’’

कोविंद ने कहा कि भारत की समुद्री गतिविधियों की जड़ें करीब 5,000 साल पुरानी हैं और सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी तटीय विरासत ने हमारी सभ्यता, सामाजिक संस्कृति और आर्थिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस दृष्टि से यह विश्वास करना कठिन है कि हमारे मध्यकाल में समुद्र की उपेक्षा की गई।’’

पूर्व राष्ट्रपति ने इस युग के किसी राजवंश या शासक का नाम लिए बिना कहा कि ‘‘ऐतिहासिक परिस्थितियों’’ के कारण समुद्र पर ध्यान नहीं दिया गया।

कोविंद ने अफसोस जताते हुए कहा, ‘‘मध्यकाल के दौरान, विभिन्न साम्राज्यों का बोलबाला था। इनमें से कई शासकों की जड़ें चारों तरफ से भूमि से घिरे क्षेत्रों से जुड़ी थीं और वे विशाल भूक्षेत्र के प्रबंधन पर अधिक ध्यान केंद्रित करते थे। हमारी सामूहिक चेतना ने समुद्र को शक्ति और समृद्धि के मार्ग के रूप में अनदेखी शुरू कर दी। परिणामस्वरूप, धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से हमारी नौसैन्य ताकत फीकी पड़ने लगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘एक ऐतिहासिक समुद्री राष्ट्र भारत के लिए यह अवधि…वास्तव में एक विसंगति थी। फिर भी, समुद्री क्षेत्र की इस उपेक्षा ने बहुत बड़ी कीमत चुकाई। यही कारण था कि इतने बड़े भू-साम्राज्य यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों के हाथों में इतनी आसानी से चले गए।’’

‘‘थिंक टैंक’’ द्वारा आयोजित वाइस एडमिरल के के नैयर स्मृति व्याख्यान 2025 में नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, पूर्व नौसेना प्रमुख और एनएमएफ के अध्यक्ष एडमिरल (सेवानिवृत्त) करमबीर सिंह, नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी, विद्वानों और कई कॉलेज के छात्रों के अलावा दिवंगत वाइस एडमिरल के परिवार के सदस्यों ने भाग लिया।

कोविंद ने कहा कि वाइस एडमिरल नैयर एक उत्कृष्ट समुद्री रणनीतिकार और दूरदर्शी थे, जिन्होंने भारत के कई संस्थानों में नौसेना अनुसंधान और रणनीतिक सोच के बीज बोए।

अपने संबोधन में पूर्व राष्ट्रपति ने गुजरात में अहमदाबाद से लगभग 400 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित लोथल जैसे पुरातात्विक स्थलों का भी हवाला दिया, जहां खुदाई से एक प्राचीन ‘‘परिष्कृत डॉकयार्ड’’ का पता चला है।

उन्होंने कहा कि पुरातत्वविद इसे पहला मानव निर्मित डॉकयार्ड में से एक मानते हैं। उन्होंने वैदिक साहित्य में प्रचलित समुद्री विषयों का भी हवाला देते हुए कहा, ‘‘हम उस युग की समुद्री इंजीनियरिंग का अंदाजा लगा सकते हैं।’’

नौसेना प्रमुख ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘तीन तरफ समुद्र और उत्तर में ऊंचे पर्वतों के साथ, हमारे राष्ट्र की समुद्री दिशा इसकी पहचान का अभिन्न अंग है।’’

एडमिरल त्रिपाठी ने कहा, ‘‘स्वतंत्रता के बाद, हमारे नेताओं ने हमारी समुद्री क्षमताओं के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए और अब हम एक समुद्री शक्ति में बदलने के कगार पर हैं। राष्ट्रीय नेतृत्व के उच्चतम स्तरों में यह दृढ़ मान्यता है कि हमारे राष्ट्र का विकास समुद्र से और समुद्र के द्वारा संचालित होगा।’’

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हालिया बयान का भी हवाला दिया कि ‘आज का भारत दुनिया में एक प्रमुख समुद्री शक्ति के रूप में उभर रहा है।’

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