सही समय है कि एनआरआई को उनके स्थानों से मतदान करने का अधिकार दिया जाए: राजीव कुमार
Focus News 17 February 2025 0
नयी दिल्ली, 17 फरवरी (भाषा) निवर्तमान मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने सोमवार को मतदान केंद्र-वार मतदान पैटर्न में गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए एक योगमापी (टोटलाइजर) प्रणाली की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि यह सही समय है कि अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) को उनके स्थानों से मतदान करने का अधिकार दिया जाए।
कुमार ने सेवानिवृत्ति से पहले अपने विदाई संबोधन में यह भी कहा कि करोड़ों प्रवासी मतदाताओं की सुविधा के लिए दूरस्थ मतदान तंत्र को लेकर आम सहमति आवश्यक है।
कुमार ने कहा कि मतदान केंद्रों पर बायोमेट्रिक सत्यापन का प्रयास किया जाना चाहिए ताकि मतदाताओं की पहचान प्रभावी तरीके से की जा सके।
उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों के खर्चों की ऑनलाइन रिपोर्टिंग शुरू हो गई है और बेहतर वित्तीय पारदर्शिता और विश्लेषण के लिए इसे अनिवार्य बनाया जाना चाहिए।
राजनीतिक वादों पर उन्होंने कहा कि इसके लिए वित्तीय प्रावधानों को सार्वजनिक तौर पर बताया जाना चाहिए और अदालतों को जल्द फैसला करने की आवश्यकता है।
कुमार ने कहा कि अनियमित सोशल मीडिया एल्गोरिदम दुनियाभर में चुनावों के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं और इस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है और चुनाव प्रबंधन निकायों को शरारतपूर्ण, आधारहीन और रणनीतिक रूप से समयबद्ध आलोचना का मुकाबला करने की क्षमता विकसित करने की आवश्यकता है।
सोशल मीडिया एल्गोरिदम परिभाषा नियमों का एक सेट है जिसका इस्तेमाल कुछ सोशल मीडिया मंच के भीतर उपयोगकर्ताओं के लिए ‘कंटेंट को रैंक’ करने, ‘फिल्टर’ करने और व्यवस्थित करने के लिए किया जाता है।
चुनाव प्राधिकरण के निवर्तमान प्रमुख ने अफसोस जताया कि प्रक्रिया में सक्रिय और पूर्ण भागीदारी के बाद परिणामों पर संदेह करना अवांछनीय है।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी हमारी चुनावी प्रक्रियाओं में एक शक्तिशाली प्रवर्तक रही है, जिससे मतदाता सूची को परिष्कृत करने, संचालन को सुव्यवस्थित करने और नागरिकों को अधिक प्रभावी ढंग से जोड़ने में मदद मिली है।’’
उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग अपने चुनावी अभियानों में प्रौद्योगिकी को अपनाने में सबसे आगे रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, बायोमेट्रिक सत्यापन जैसे नवोन्मेष से फर्जी पहचान और एक से अधिक मतदान को रोकने में मदद मिल सकती है तथा यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि हर वोट सही मतदाता का हो।’’
वर्तमान में मतों की गिनती प्रणाली में, प्रत्येक ईवीएम से परिणाम प्राप्त किया जाता है, फिर प्रत्येक उम्मीदवार के संबंध में डाले गए मतों का योग किया जाता है और परिणाम घोषित किया जाता है। मतगणना की इस प्रणाली का दोष यह है कि उम्मीदवार यह जान सकते हैं कि उन्हें कहां से कितना मत मिले हैं। इससे चुनाव के बाद हिंसा, उत्पीड़न और विपक्षी दलों के समर्थकों को विकास गतिविधियों से बाहर रखने की समस्या पैदा होती है।
कुमार ने कहा कि इससे निपटने के लिए आयोग द्वारा पहले से ही विकसित योगमापी जैसी प्रौद्योगिकियां यह सुनिश्चित करेंगी कि प्रत्येक उम्मीदवार को मिले वोटों का खुलासा नहीं किया जाए।
निवर्तमान मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि इस मामले का पता लगाया जाना चाहिए, राजनीतिक सहमति का प्रयास किया जाना चाहिए और मतदाता गोपनीयता बढ़ाने और चुनावी प्रक्रिया की अखंडता की रक्षा के लिए पायलट आधार पर परीक्षण किया जाना चाहिए।’’