नयी दिल्ली, एक फरवरी (भाषा) चालू वित्त वर्ष में पूंजीगत व्यय के लक्ष्य से पीछे रह जाने के बीच सरकार ने अगले वित्त वर्ष के लिए 11.21 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय का शनिवार को बजट में प्रस्ताव रखा।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2025-26 का बजट पेश करते हुए कहा कि सरकार अगले वित्त वर्ष में 11.21 लाख करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय करेगी।
सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा, ‘‘कर्ज के अलावा कुल प्राप्तियों का संशोधित अनुमान 31.47 लाख करोड़ रुपये है, जिसमें से शुद्ध कर प्राप्तियां 25.57 लाख करोड़ रुपये हैं। कुल व्यय का संशोधित अनुमान 47.16 लाख करोड़ रुपये है, जिसमें से पूंजीगत व्यय लगभग 10.18 लाख करोड़ रुपये (वित्त वर्ष 2025) है।’’
हालांकि, चालू वित्त वर्ष के लिए पूंजीगत व्यय निर्धारित लक्ष्य से लगभग 93,000 करोड़ रुपये पीछे रह जाने के आसार दिख रहे हैं।
वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सरकार ने 11.11 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय का बजट अनुमान रखा था लेकिन संशोधित अनुमानों के मुताबिक, यह व्यय 10.18 लाख करोड़ रुपये रहने की ही उम्मीद है।
दरअसल, अप्रैल-मई के दौरान लोकसभा चुनावों से जुड़ी गतिविधियां जारी रहने से सरकार पूंजीगत व्यय नहीं कर पाई। इस वजह से वित्त वर्ष की एक तिमाही में व्यय गतिविधियां सीमित रहीं।
सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पूंजीगत व्यय को 37.5 प्रतिशत बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपये किया था। हालांकि, सरकार को पिछले वित्त वर्ष में 9.5 लाख करोड़ रुपये खर्च होने की ही उम्मीद है।
पिछले दो वर्षों में सरकार को निजी निवेश कम होने के कारण बुनियादी ढांचे के विकास के लिए पूंजीगत व्यय में 30 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि करनी पड़ी थी। ऐसा कोविड-19 महामारी के बाद सुस्त पड़ी आर्थिक गतिविधियों को तेज करने के लिए किया गया था।
सार्वजनिक पूंजीगत व्यय बढ़ाए जाने से अर्थव्यवस्था का नया चक्र फिर से शुरू हो गया। इसका परिणाम यह हुआ कि भारत ने पिछले तीन वर्षों में सात प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर हासिल की है जो दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है।
वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान सरकार ने पूंजीगत व्यय के लिए 4.39 लाख करोड़ रुपये निर्धारित किए थे, जो वर्ष 2021-22 में 35 प्रतिशत बढ़कर 5.54 लाख करोड़ रुपये हो गए। वित्त वर्ष 2022-23 में पूंजीगत व्यय को 35 प्रतिशत बढ़ाकर 7.5 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया था।