काशी में महाशिवरात्रि के अगले दिन निकलेगी शिव बारात, कांग्रेस ने इसे मूल परंपरा से खिलवाड़ बताया

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वाराणसी (उप्र) 25 फरवरी (भाषा) वाराणसी में महाकुंभ से आने वाली भारी भीड़ के चलते, चार दशकों से निकाली जाने वाली शिव बारात इस बार महाशिवरात्रि के दिन नहीं बल्कि उसके अगले दिन 27 फरवरी को निकाली जाएगी।

काशी में महाशिवरात्रि के दिन पिछले 42 सालों से लगातार शिव बारात निकालने वाली समिति ने यह निर्णय लिया है और समिति से जुड़े एक पदाधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

उधर, कांग्रेस पार्टी की उप्र इकाई के अध्यक्ष व पूर्व मंत्री अजय राय ने शिव बारात को शिवरात्रि के दिन ना निकालकर दूसरे दिन निकाले जाने को काशी की मूल परंपरा से खिलवाड़ बताया है। उन्होंने कहा कि काशी के सांसद होने के नाते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस निर्णय में हस्तक्षेप करना चाहिए।

शिव बारात समिति के मंत्री कमल कुमार सिंह ने बताया कि महाकुंभ से आने वाली भीड़ को देखते हुए इस बार शिव बारात शिवरात्रि के दूसरे दिन यानी 27 फरवरी को निकाली जाएगी।

सिंह ने बताया ‘‘प्रशासन ने महाकुंभ की भीड़ को देखते हुए इस बार शिव बारात ना निकालने की बात की। तब हमने शिवरात्रि के दूसरे दिन शिव बारात निकालने का प्रस्ताव दिया। इस पर प्रशासन भी तैयार हो गया।’’

समिति के मंत्री ने बताया कि शिव बारात समिति लगातार 42 सालों से शिवरात्रि के पावन अवसर पर शिव बारात निकाल रही है। यह 42 सालों में पहली बार है, जब महाकुंभ की भीड़ को देखते हुए शिवरात्रि के दूसरे दिन शिव बारात निकाली जा रही है।

काशी के ही निवासी, कांग्रेस के प्रदेश अध्‍यक्ष अजय राय ने कहा कि देवाधिदेव महादेव के त्रिशूल पर बसी अविनाशी काशी में बाबा भोलेनाथ के भूत, पिशाच, ताल, बैताल, सभी देवी-देवताओं के संग निकलने वाली दुनिया की पहली विश्व प्रसिद्ध शिव-बारात इस बार शासन–प्रशासन के दबाव में महाशिवरात्रि के एक दिन बाद 27 फरवरी को निकालना काशी की मूल परंपरा से खिलवाड़ है।

उन्होंने कहा कि परंपरा के अनुसार बारात महामृत्युंजय मंदिर, दारानगर से उठकर मैदागिन, बुलानाला चौक, बाबा धाम गोदौलिया होते हुए चितरंजन पार्क तक जाती है। वहां वधू-पक्ष भांग ठंडाई, माला-फूल से बारातियों की अगवानी करता है।

राय ने कहा कि नगर में निकलने वाली विश्व प्रसिद्ध शिव-बारात का यह 43वां वर्ष होगा। उन्होंने कहा कि काशी की यह मूल परंपरा आस्था के साथ हर काशीवासी के हृदय में बसती है।

राय ने कहा ‘‘काशी की पहचान यहां की संस्कृति, आस्था, पुरातन संस्कृति, अध्यात्म से है और यहां की परंपरा विश्व पटल पर महत्व रखती है। उसी परंपरा को लगातार भाजपा सरकार खत्म कर रही है। ’’

कांग्रेस नेता राय ने कहा कि शादी के बाद बारात ना निकालना तो पूर्ण रूप से वैवाहिक परंपरा एवं रीति रिवाज के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने कहा कि जिस काशी की प्राचीन सभ्यता, संस्कृति और परम्परा के आगे दुनिया ने घुटने टेक दिए, उस परंपरा से खिलवाड़ नहीं किया जाना चाहिए।

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