राजस्व हस्तांतरण पर राज्य अपनी चिंताएं वित्त आयोग के समक्ष रखेंः सीतारमण

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नयी दिल्ली, तीन फरवरी (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ‘अनुचित’ कर राजस्व हस्तांतरण पर दक्षिणी राज्यों के चिंता जताने पर कहा है कि राज्यों को 16वें वित्त आयोग के साथ संपर्क कर अपनी चिंताओं से अवगत कराना चाहिए क्योंकि आयोग की अनुशंसाओं से ही राजस्व के बंटवारे में राज्यों की हिस्सेदारी तय होगी।

वित्त आयोग कर राजस्व के बंटवारे का फॉर्मूला तय करने के लिए जनसंख्या को एक मानदंड मानता है। हालांकि, जनसंख्या वृद्धि पर लगाम लगा पाने में कामयाब रहे दक्षिणी राज्यों को ऐसा लगता है कि उन्हें बड़ी आबादी वाले उत्तरी राज्यों की तुलना में कमतर आंका जाता है।

वित्त मंत्री ने दक्षिणी राज्यों की इन शिकायतों के संदर्भ में पीटीआई-भाषा के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि केंद्र सरकार राजस्व हस्तांतरण के फॉर्मूले पर फैसला नहीं करती है। करों का हस्तांतरण वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुरूप किया जाता है और असंतुष्ट दक्षिणी राज्यों को मापदंडों में बदलाव के लिए आयोग से संपर्क करना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘राज्यों को वित्त आयोग के साथ मिलकर उन मापदंडों के बारे में अपनी चिंताएं व्यक्त करनी चाहिए जिनके आधार पर कर हस्तांतरण के सिद्धांत निर्धारित किए गए हैं। अगर वे एक दशक से आगे के बारे में सोचते हैं, तो वहां एक अलग ही प्रतिमान देखने को मिलता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘उन मुद्दों को वित्त आयोग के समक्ष उन्हें ही रखना होगा। आखिरकार केंद्र वित्त आयोग की सिफारिशों एवं मुख्य सुझावों को ही अपनाता है और उनका पालन करता है।’’

उन्होंने कहा कि दक्षिणी राज्यों के लिए कर राजस्व के हस्तांतरण को लेकर चिंता जाहिर करना उचित नहीं है, क्योंकि यह फैसला केंद्र सरकार नहीं करती है।

वित्त आयोग आमतौर पर पांच साल के लिए कर राजस्व के विभाजन के लिए सिफारिशें देता है। 13वें वित्त आयोग ने 2010-11 से 2014-15 के लिए सिफारिशें दी थीं और 14वें वित्त आयोग ने 2015-16 से 2019-20 के लिए सिफारिश की थीं।

15वें वित्त आयोग ने अपनी पहली रिपोर्ट में 2020-21 और फिर 2021-2025-26 के लिए सुझाव दिए थे।

दक्षिण भारत के पांच राज्यों- आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल की 2021-22/2024-25 के दौरान कर राजस्व में हिस्सेदारी घटकर 15.8 प्रतिशत रह गई जबकि 2014-15 में यह लगभग 18.62 प्रतिशत थी।

यह पूछे जाने पर कि क्या कुछ राज्यों का अपने निवासियों से अधिक बच्चे पैदा करने के लिए कहना उचित है, सीतारमण ने कहा, ‘‘मैं इसपर टिप्पणी भी नहीं कर रही हूं क्योंकि उनका जो भी दृष्टिकोण है, उसे वित्त आयोग को बताना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘चाहे सिद्धांत कुछ भी हो या कोई भी कारक हो, उन्हें वित्त आयोग के समक्ष अपनी बात रखनी चाहिए।’’

अरविंद पनगढ़िया की अध्यक्षता में गठित 16वें वित्त आयोग को 31 अक्टूबर, 2025 तक अपनी सिफारिशें देने का का काम सौंपा गया है। आयोग अगले पांच वर्षों के लिए अपनी अनुशंसाएं देगा।

14वें वित्त आयोग ने शुद्ध कर प्राप्तियों में राज्यों का हिस्सा 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत कर दिया था। लेकिन 15वें वित्त आयोग ने इसे घटाकर 41 प्रतिशत कर दिया था।

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