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सर्दियों के मौसम में अथवा किसी भी मौसम में हमने आपने अपने परिवार अथवा अपने मित्र समाज में किसी ना किसी को बराबर छींकते हुए देखा होगा। हो सकता है इस बीमारी से हम या आप ही पीड़ित हो। बराबर नाक बंद हो जाना, नाक से पानी आना, छींकते रहना जिसे कोशिश करने पर भी नहीं रोका जा सके, किसी भी व्यक्ति को परेशान कर देने के लिए काफी है। इस बीमारी का नाम है “साइनोसाइटिस”। साइनोसाइटिस नाक में होने वाली एक गंभीर समस्या है।
जब किसी व्यक्ति के नाक की हड्डी बढ़ जाती है और उसको जुखाम की समस्या रहती है, तो उस स्थिति को साइनस या साइनसाइटिस बीमारी कहते हैं। यह बीमारी मामूली सी सर्दी-जुकाम के रूप में शुरू होकर धीरे धीरे बैक्टीरियल, वायरल या फंगल संक्रमण के रूप में विकसित हो जाती है। साइनस से पीड़ित व्यक्ति को ठंडी हवा, धूल और धुएं के संपर्क में आने से बचना चाहिए। इसके अलावा साइनस का दर्द इस बात पर निर्भर करता है कि पीड़ित व्यक्ति को किस प्रकार के साइनसाइटिस की समस्या है।
साइनसाइटिस के लक्षण :- सिर में दर्द और भारीपन , आवाज में बदलाव , बुखार और बेचैनी , आंखों के ठीक ऊपर दर्द , दांतों में दर्द , सूंघने और स्वाद की शक्ति कमजोर होना , बाल सफेद होना , नाक से पीला पदार्थ गिरने की शिकायत , बराबर छींक आना और आंख या नाक अथवा दोनों से पानी गिरना।
साइनस के कारण :- 1- एलर्जी का होना- यह नाक की बीमारी मुख्य रूप से उस व्यक्ति को हो सकती है,जिन्हें किसी तरह की एलर्जी होती है। 2- रोग प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना- यदि किसी व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानि इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर है, तो उसे साइनस की समस्या हो सकती है।
3- नाक की असामान्य संरचना का होना- नाक की यह समस्या उस स्थिति में भी हो सकती है, जब किसी व्यक्ति की नाक की संरचना असामान्य होती है।
4- फैमली हिस्ट्री का होना – किसी भी अन्य समस्या की तरह साइनस भी फैमली हिस्ट्री की वजह से हो सकती है। अन्य शब्दों में, यदि किसी शख्स के परिवार में किसी अन्य व्यक्ति साइनस है, तो उसे यह नाक की बीमारी होने की संभावना अधिक रहती है।
5- माइग्रेन से पीड़ित होना- साइनस उस शख्स को भी हो सकती है, जो माइग्रेन से पीड़ित है। अत: माइग्रेन से पीड़ित व्यक्ति को इसका इलाज सही से कराना चाहिए।
साइनस से बचाव :- हाथों को अच्छी तरह से धोएं और स्वच्छता बनाये रखें , धूल और फफूंद जैसे प्रदूषण से बचें और अधिक से अधिक स्वच्छ वतावरण में रहने की कोशिश करें , ऊपरी श्वसन प्रणाली के संक्रमण से बचें। इसके अलावा जो लोग सर्दी-जुकाम से ग्रस्त हो उन्हें न छुएं या उनके संपर्क में न आएं , बार-बार अपने हाथ साबुन से धोएं खासकर भोजन करने से पहले , अगर आपको कोई ज्ञात एलर्जी है तो उससे बचने की कोशिश करें , धूम्रपान और प्रदूषित हवा से बचें। तम्बाकू का धुआं और प्रदूषित वायु आपके फेफड़े और नाक में सूजन पैदा करती है।
साइनस का होम्योपैथी में इलाज :- होम्योपैथी में साइनस के इलाज के लिए लक्षण के अनुसार इस तरह की दवाएं दी जाती हैं जिनसे सिरदर्द में आराम मिले और कैविटी में भरा बलगम जुकाम के जरिए बाहर निकले। होम्योपैथिक के द्वारा इस बीमारी को समूल जड़ से ठीक किया जा सकता है।
साइनस के दौरान कुछ बातों का ख्याल रखना जरूरी होता है :-
1- पर्याप्त जल का सेवन :- शरीर में पर्याप्त जल की कमी कई शारीरिक बीमारियों को दावत दे सकती है, इसलिए दिनभर 3-4 लीटर पानी पीने की सलाह दी जाती है। जहां तक संभव हो, गुनगुने पानी का सेवन करें। पानी का भरपूर सेवन शरीर के विषैले तत्वों को मल-मूत्र के जरिए बाहर निकालने में मदद करता है। इसके साथ ही साथ उबलते हुए पानी में सेंधा नमक डालकर सुबह शाम भाप लेना भी अत्यंत हितकर साबित हो सकता है।
2- खान-पान :- असंयमित भोजन न सिर्फ साइनस, बल्कि संपूर्ण शरीर की समस्याओं की जड़ बन सकता है। इसलिए, खानपान और इससे जुड़ी बातों को गंभीरता से लें। ध्यान रहे, साफ और पौष्टिक तत्वों से भरपूर भोजन आपके शरीर के सच्चे मित्र होते हैं। खाने-पीने का समय तय रखें। इसके अलावा धूम्रपान और शराब पूरी तरह से छोड़ दें। अपने भोजन करने के समय ताजा काट के कच्चा प्याज का सेवन करना अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो सकता है।
3- वेंटिलेशन :- शयन कक्ष या फिर जिस कमरे में ज्यादा समय बिताते हो, वहां खिड़कियां जरूर होनी चाहिएं, ताकि बाहर की ताजा हवा कमरे के अंदर तक पहुंच सके। स्वच्छ हवा के अभाव में साइनस की समस्या से ग्रसित हो सकते हैं। अगर कमरे में एसी लगा हुआ है, तो बीच-बीच में उसे बंद कर खिड़कियों को जरूर खोलें। ज्यादा समय एसी में रहने की वजह से भी सांस संबंधी परेशानियों का खतरा बढ़ सकता है ।
4 – करें आराम:- सही समय पर सोएं और पर्याप्त नींद लें। देर रात तक न जागें। साइनस के दर्द से राहत पाने के लिए पर्याप्त आराम करना भी बेहद जरूरी है। इसलिए अच्छी नींद लेने से भी आप जल्दी ठीक हो सकते हैं ।
5- आसपास की जगहों को साफ रखें :- आर्द्रता का गलत प्रभाव श्वसन संक्रमण और एलर्जी को बढ़ा सकता है। कमरे में अत्यधिक या कम आर्द्रता के कारण समस्या खड़ी हो सकती हैं।
6- योग प्राणायम :- साइनस ठीक रखने में अनुलोम विलोम प्राणायम बहुत फायदेमंद है। इसके अलावा भ्रस्तिका कपालभाती आदि आसन साइनस के लिए रामबाण हैं।
7- जागरूकता :- किसी भी समस्या का हल तभी निकाल सकते हैं, जब आपको उससे संबंधित जानकारी हो। साइनस की समस्या से बचने का सबसे कारगर तरीका जागरूकता है। इसलिए, बताए गए साइनस के लक्षणों को ठीक से समझ लें, ताकि मुसीबत के समय चिकित्सक के पास जाने से पहले अपना इलाज स्वयं कर सकें।
अपने चिकित्सक से कब परामर्श लेना चाहिए ? :- काफी दिनों से चल रहे तेज बुखार, आंखों के आसपास त्वचा का लाल पड़ जाना और सूजन, सिर में बहुत अधिक दर्द महूसस करना, नींद नहीं आना बराबर छींक आना और दवा लेने पर भी ठीक न होना, लगातार उलझन महसूस करना, एक चीज दो बार दिखाई देना या देखने में अन्य परेशानी, गर्दन में अकड़न लक्षण अगर महसूस करते हैं तो अपने चिकित्सक से तुरंत सलाह लें। यह लक्षण गंभीर संक्रमण के संकेत हो सकते हैं।
जब किसी व्यक्ति के नाक की हड्डी बढ़ जाती है और उसको जुखाम की समस्या रहती है, तो उस स्थिति को साइनस या साइनसाइटिस बीमारी कहते हैं। यह बीमारी मामूली सी सर्दी-जुकाम के रूप में शुरू होकर धीरे धीरे बैक्टीरियल, वायरल या फंगल संक्रमण के रूप में विकसित हो जाती है। साइनस से पीड़ित व्यक्ति को ठंडी हवा, धूल और धुएं के संपर्क में आने से बचना चाहिए। इसके अलावा साइनस का दर्द इस बात पर निर्भर करता है कि पीड़ित व्यक्ति को किस प्रकार के साइनसाइटिस की समस्या है।
साइनसाइटिस के लक्षण :- सिर में दर्द और भारीपन , आवाज में बदलाव , बुखार और बेचैनी , आंखों के ठीक ऊपर दर्द , दांतों में दर्द , सूंघने और स्वाद की शक्ति कमजोर होना , बाल सफेद होना , नाक से पीला पदार्थ गिरने की शिकायत , बराबर छींक आना और आंख या नाक अथवा दोनों से पानी गिरना।
साइनस के कारण :- 1- एलर्जी का होना- यह नाक की बीमारी मुख्य रूप से उस व्यक्ति को हो सकती है,जिन्हें किसी तरह की एलर्जी होती है। 2- रोग प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना- यदि किसी व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानि इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर है, तो उसे साइनस की समस्या हो सकती है।
3- नाक की असामान्य संरचना का होना- नाक की यह समस्या उस स्थिति में भी हो सकती है, जब किसी व्यक्ति की नाक की संरचना असामान्य होती है।
4- फैमली हिस्ट्री का होना – किसी भी अन्य समस्या की तरह साइनस भी फैमली हिस्ट्री की वजह से हो सकती है। अन्य शब्दों में, यदि किसी शख्स के परिवार में किसी अन्य व्यक्ति साइनस है, तो उसे यह नाक की बीमारी होने की संभावना अधिक रहती है।
5- माइग्रेन से पीड़ित होना- साइनस उस शख्स को भी हो सकती है, जो माइग्रेन से पीड़ित है। अत: माइग्रेन से पीड़ित व्यक्ति को इसका इलाज सही से कराना चाहिए।
साइनस से बचाव :- हाथों को अच्छी तरह से धोएं और स्वच्छता बनाये रखें , धूल और फफूंद जैसे प्रदूषण से बचें और अधिक से अधिक स्वच्छ वतावरण में रहने की कोशिश करें , ऊपरी श्वसन प्रणाली के संक्रमण से बचें। इसके अलावा जो लोग सर्दी-जुकाम से ग्रस्त हो उन्हें न छुएं या उनके संपर्क में न आएं , बार-बार अपने हाथ साबुन से धोएं खासकर भोजन करने से पहले , अगर आपको कोई ज्ञात एलर्जी है तो उससे बचने की कोशिश करें , धूम्रपान और प्रदूषित हवा से बचें। तम्बाकू का धुआं और प्रदूषित वायु आपके फेफड़े और नाक में सूजन पैदा करती है।
साइनस का होम्योपैथी में इलाज :- होम्योपैथी में साइनस के इलाज के लिए लक्षण के अनुसार इस तरह की दवाएं दी जाती हैं जिनसे सिरदर्द में आराम मिले और कैविटी में भरा बलगम जुकाम के जरिए बाहर निकले। होम्योपैथिक के द्वारा इस बीमारी को समूल जड़ से ठीक किया जा सकता है।
साइनस के दौरान कुछ बातों का ख्याल रखना जरूरी होता है :-
1- पर्याप्त जल का सेवन :- शरीर में पर्याप्त जल की कमी कई शारीरिक बीमारियों को दावत दे सकती है, इसलिए दिनभर 3-4 लीटर पानी पीने की सलाह दी जाती है। जहां तक संभव हो, गुनगुने पानी का सेवन करें। पानी का भरपूर सेवन शरीर के विषैले तत्वों को मल-मूत्र के जरिए बाहर निकालने में मदद करता है। इसके साथ ही साथ उबलते हुए पानी में सेंधा नमक डालकर सुबह शाम भाप लेना भी अत्यंत हितकर साबित हो सकता है।
2- खान-पान :- असंयमित भोजन न सिर्फ साइनस, बल्कि संपूर्ण शरीर की समस्याओं की जड़ बन सकता है। इसलिए, खानपान और इससे जुड़ी बातों को गंभीरता से लें। ध्यान रहे, साफ और पौष्टिक तत्वों से भरपूर भोजन आपके शरीर के सच्चे मित्र होते हैं। खाने-पीने का समय तय रखें। इसके अलावा धूम्रपान और शराब पूरी तरह से छोड़ दें। अपने भोजन करने के समय ताजा काट के कच्चा प्याज का सेवन करना अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो सकता है।
3- वेंटिलेशन :- शयन कक्ष या फिर जिस कमरे में ज्यादा समय बिताते हो, वहां खिड़कियां जरूर होनी चाहिएं, ताकि बाहर की ताजा हवा कमरे के अंदर तक पहुंच सके। स्वच्छ हवा के अभाव में साइनस की समस्या से ग्रसित हो सकते हैं। अगर कमरे में एसी लगा हुआ है, तो बीच-बीच में उसे बंद कर खिड़कियों को जरूर खोलें। ज्यादा समय एसी में रहने की वजह से भी सांस संबंधी परेशानियों का खतरा बढ़ सकता है ।
4 – करें आराम:- सही समय पर सोएं और पर्याप्त नींद लें। देर रात तक न जागें। साइनस के दर्द से राहत पाने के लिए पर्याप्त आराम करना भी बेहद जरूरी है। इसलिए अच्छी नींद लेने से भी आप जल्दी ठीक हो सकते हैं ।
5- आसपास की जगहों को साफ रखें :- आर्द्रता का गलत प्रभाव श्वसन संक्रमण और एलर्जी को बढ़ा सकता है। कमरे में अत्यधिक या कम आर्द्रता के कारण समस्या खड़ी हो सकती हैं।
6- योग प्राणायम :- साइनस ठीक रखने में अनुलोम विलोम प्राणायम बहुत फायदेमंद है। इसके अलावा भ्रस्तिका कपालभाती आदि आसन साइनस के लिए रामबाण हैं।
7- जागरूकता :- किसी भी समस्या का हल तभी निकाल सकते हैं, जब आपको उससे संबंधित जानकारी हो। साइनस की समस्या से बचने का सबसे कारगर तरीका जागरूकता है। इसलिए, बताए गए साइनस के लक्षणों को ठीक से समझ लें, ताकि मुसीबत के समय चिकित्सक के पास जाने से पहले अपना इलाज स्वयं कर सकें।
अपने चिकित्सक से कब परामर्श लेना चाहिए ? :- काफी दिनों से चल रहे तेज बुखार, आंखों के आसपास त्वचा का लाल पड़ जाना और सूजन, सिर में बहुत अधिक दर्द महूसस करना, नींद नहीं आना बराबर छींक आना और दवा लेने पर भी ठीक न होना, लगातार उलझन महसूस करना, एक चीज दो बार दिखाई देना या देखने में अन्य परेशानी, गर्दन में अकड़न लक्षण अगर महसूस करते हैं तो अपने चिकित्सक से तुरंत सलाह लें। यह लक्षण गंभीर संक्रमण के संकेत हो सकते हैं।