भारतवर्ष में देवी-देवताओं के प्रति सदा ही श्रद्धा, भक्ति और प्रेम लोगों के बीच रहा है। वेदों, पुराणों, शास्त्रों में भगवान के रूप सौंदर्य तथा उनके श्रृंगार वर्णन को पढ़कर-सुनकर हरिभक्तों, साधु, संत, महात्माओं, भक्तों आदि ने भगवान के मूर्त रूप की कल्पना करके उसे कागज या पत्थरों पर मूर्ति का आकार दिया है। इन मूर्तियों की विधि-विधान पूर्वक मंदिरों में प्राण प्रतिष्ठा की जाती है जिसके चलते व्यक्ति उत्सवों, पर्वों तथा रोजाना मंदिर में जाते हैं और पूजा-पाठ करते हैं। मंदिरों में रोजाना तथा कुछ में समयांतराल अनुसार सतसंग, कथा आदि होते रहते हैं। सतसंगों में साधु, संत, महात्माओं द्वारा अध्यात्म तथा जनकल्याण का सन्देश दिया जाता है। सतसंग जनमानस के हृदय परिवर्तन का सबसे शक्तिशाली माध्यम रहा है। प्राचीन काल में लोगों के बीच धर्म, आस्था और जनकल्याण की बातें मंदिरों तथा सत्संगों द्वारा ही पहुँचाई जाती थी। मंदिर और सतसंग आज भी भारतीय जनमानस के विचारों के संचार का माध्यम बने हुए हैं जो भविष्य में भी बने रहेंगे।
भारतवर्ष गांवों का देश रहा है। यहाँ की हर एक स्थिति गांव से जोड़कर देखी-समझी जा सकती है। हमारा धार्मिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और सामाजिक जीवन ग्राम्य संस्कृति के नजदीक रहा है। विचार करें तो हमारे गांवों के नजदीक अब वह नगर और महानगर हो गए हैं। इन गांवों की विषय वस्तु जनसामान्य की परम्परा, रीतिरिवाज, उत्सव और समारोह से जुड़ी होती है। इसमें रोचकता और अपनापन होता है। यह सभी माध्यम सजीव होते हैं क्योंकि इसमें सन्देश देनेवाले और सन्देश प्राप्त करने वाले दोनों के बीच जन संप्रेषण एक भावनात्मक सेतु का काम करता है।
मेले, उत्सव और पर्व हमारे परम्परागत जनसंचार के मौखिक माध्यम रहे हैं। कुंभ मेलों तथा बड़े-बड़े बाजारों में देश-विदेश के कोने-कोने से उमड़ी भीड के द्वारा किसी भी सूचना या संदेश को आसानी से लोगों तक पहुँचा सकते हैं। कुंभ का मेला 12 वर्ष में लगता है, तो सावन मास में हर वर्ष हरिद्वार में शिवभक्तों का मेला लगता है। मेलों के साथ-साथ आस-पास के बाजार भी सजने लगते हैं और इनमें विभिन्नता के दर्शन होते हैं। विभिननता के कारण ही जनसंचार देश-विदेश के भिन्न-भिन्न कोनों तक स्वाभाविक हो जाता है। इन मेलों, उत्सवों और पर्वों में व्यक्ति ढोल-नगाड़े और गाजे-बाजे के साथ नाच-गाकर अपने मन के आनंद को प्रकट करते हैं। इन मेलों, उत्सवों और पर्वों में सूचनाओं तथा सन्देशों का आदन-प्रदान होता रहा है।
इस वर्ष जनवरी, 2025 में प्रयागराज की पवित्र धरा पर महाकुंभ पर्व का आयोजन हुआ है। यह पवित्र दिवस 144 वर्ष बाद आया है। इस महाकुंभ में देश-विदेश के साधु-संत-महात्माओं पहुंचे हुए हैं। साथ ही देश-विदेश से आए बिजनेसमैन, सेलिब्रिटी, जन सामान्य आदि प्रयागराज में पवित्र स्नान कर रहे हैं। महाकुंभ के बारे में देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्रीनरेंद्र मोदी जी ने दिसंबर, 2024 की मन की बात कार्यक्रम में कहा कि, साथियों महाकुंभ की विशेषता केवल इसकी विशालता में ही नहीं है, कुंभ की विशेषता इसकी विविधता में भी है। इस आयोजन में करोड़ों लोग एक साथ एकत्रित होते हैं। लाखों संत, हजारों परंपराएं, सैकड़ों संप्रदाय, अनेकों अखाड़े हर कोई इस आयोजन का हिस्सा बनता है। कहीं कोई भेदभाव नहीं दिखता है। कोई बड़ा नहीं होता है, कोई छोटा नहीं होता है। अनेकता में एकता का ऐसा दृश्य विश्व में कहीं और देखने को नहीं मिलेगा। इसलिए हमारा कुंभ एकता का महाकुंभ भी होता है। इस बार का महाकुंभ भी एकता के महाकुंभ के मंत्र को सशक्त करेगा।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने जनवरी, 2025 की पहली मन की बात कार्यक्रम में भी महाकुंभ के बारे में कहा कि, साथियों, इस बार आपने देखा होगा कि कुंभ में युवाओं की भागीदारी बहुत व्यापक है और ये भी सही है कि जब युवा पीढ़ी अपनी सभ्यता से गौरव के साथ जुड़ती है तो उसकी जड़ें और मजबूत होती हैं और फिर उसका सुनहरा भविष्य भी सुनिश्चित होता है। इस बार हम इतने बड़े पैमाने पर कुंभ के डिजिटल फुटप्रिंट्स भी देख रहे हैं। कुंभ की ये वैश्विक लोकप्रियता हर भारतीय के लिए गर्व की बात है।
महाकुंभ में नेता-अभिनेता, मंत्री, पदाधिकारी आदि सभी संगम में डुबकी लगा रहे हैं। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री आदरणीय योगी आदित्यनाथ जी और उनकी पूरे मंत्री मंड़ल ने एक साथ पवित्र स्नान किया। पिछले 11 दिनों में दस करोड़ से भी अधिक श्रद्धालु पवित्र स्नान कर चुके हैं। विदेशों से आए श्रद्धालुओं का भाव तो देखते ही बनता है। रूस, इंग्लैंड, अमेरिका, इटली, जर्मनी, नीदरलैंड, आस्ट्रेलिया आदि देशों से आए नागरिक अपने-अपने अनुभव साझा कर रहे हैं। अमेरिका के न्यूयार्क से टाम के साथ आई जानर ने कहा अमेजिंग, डिवान। इतना विशाल और खूबसूरत आयोजन जीवन में पहली बार देखा है। रूस से आई क्रिस्टीना हाथ उठाकर बोली- हर हर गंगे, मेरा भारत महान। ब्राजील से आए फ्रांसिस्को ने कहा मोक्ष के अर्थ को समझ रहा हूँ। इंग्लैंड से आई जार्जिना ने संगम में पुण्य की डुबकी लगाई।
भारतीय सनातन संस्कृति, आस्था पर टिप्पणी करने वाले को यह महाकुंभ स्वयं ही उत्तर दे रहा है। इस महाकुंभ में देश की संस्कृति-संस्कार और एकता का साझा रूप देखते ही बनता है। महाकुंभ भारतीय जनमानस के मिलन का एक प्रतीक है। प्रयागराज का महाकुंभ वैश्विक संगम का समागम बना है, यह भारतीय एकता का महाकुंभ है, इसे आज पूरा विश्व देख रहा है और इसकी सराहना कर रहा है।
भारतवर्ष गांवों का देश रहा है। यहाँ की हर एक स्थिति गांव से जोड़कर देखी-समझी जा सकती है। हमारा धार्मिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और सामाजिक जीवन ग्राम्य संस्कृति के नजदीक रहा है। विचार करें तो हमारे गांवों के नजदीक अब वह नगर और महानगर हो गए हैं। इन गांवों की विषय वस्तु जनसामान्य की परम्परा, रीतिरिवाज, उत्सव और समारोह से जुड़ी होती है। इसमें रोचकता और अपनापन होता है। यह सभी माध्यम सजीव होते हैं क्योंकि इसमें सन्देश देनेवाले और सन्देश प्राप्त करने वाले दोनों के बीच जन संप्रेषण एक भावनात्मक सेतु का काम करता है।
मेले, उत्सव और पर्व हमारे परम्परागत जनसंचार के मौखिक माध्यम रहे हैं। कुंभ मेलों तथा बड़े-बड़े बाजारों में देश-विदेश के कोने-कोने से उमड़ी भीड के द्वारा किसी भी सूचना या संदेश को आसानी से लोगों तक पहुँचा सकते हैं। कुंभ का मेला 12 वर्ष में लगता है, तो सावन मास में हर वर्ष हरिद्वार में शिवभक्तों का मेला लगता है। मेलों के साथ-साथ आस-पास के बाजार भी सजने लगते हैं और इनमें विभिन्नता के दर्शन होते हैं। विभिननता के कारण ही जनसंचार देश-विदेश के भिन्न-भिन्न कोनों तक स्वाभाविक हो जाता है। इन मेलों, उत्सवों और पर्वों में व्यक्ति ढोल-नगाड़े और गाजे-बाजे के साथ नाच-गाकर अपने मन के आनंद को प्रकट करते हैं। इन मेलों, उत्सवों और पर्वों में सूचनाओं तथा सन्देशों का आदन-प्रदान होता रहा है।
इस वर्ष जनवरी, 2025 में प्रयागराज की पवित्र धरा पर महाकुंभ पर्व का आयोजन हुआ है। यह पवित्र दिवस 144 वर्ष बाद आया है। इस महाकुंभ में देश-विदेश के साधु-संत-महात्माओं पहुंचे हुए हैं। साथ ही देश-विदेश से आए बिजनेसमैन, सेलिब्रिटी, जन सामान्य आदि प्रयागराज में पवित्र स्नान कर रहे हैं। महाकुंभ के बारे में देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्रीनरेंद्र मोदी जी ने दिसंबर, 2024 की मन की बात कार्यक्रम में कहा कि, साथियों महाकुंभ की विशेषता केवल इसकी विशालता में ही नहीं है, कुंभ की विशेषता इसकी विविधता में भी है। इस आयोजन में करोड़ों लोग एक साथ एकत्रित होते हैं। लाखों संत, हजारों परंपराएं, सैकड़ों संप्रदाय, अनेकों अखाड़े हर कोई इस आयोजन का हिस्सा बनता है। कहीं कोई भेदभाव नहीं दिखता है। कोई बड़ा नहीं होता है, कोई छोटा नहीं होता है। अनेकता में एकता का ऐसा दृश्य विश्व में कहीं और देखने को नहीं मिलेगा। इसलिए हमारा कुंभ एकता का महाकुंभ भी होता है। इस बार का महाकुंभ भी एकता के महाकुंभ के मंत्र को सशक्त करेगा।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने जनवरी, 2025 की पहली मन की बात कार्यक्रम में भी महाकुंभ के बारे में कहा कि, साथियों, इस बार आपने देखा होगा कि कुंभ में युवाओं की भागीदारी बहुत व्यापक है और ये भी सही है कि जब युवा पीढ़ी अपनी सभ्यता से गौरव के साथ जुड़ती है तो उसकी जड़ें और मजबूत होती हैं और फिर उसका सुनहरा भविष्य भी सुनिश्चित होता है। इस बार हम इतने बड़े पैमाने पर कुंभ के डिजिटल फुटप्रिंट्स भी देख रहे हैं। कुंभ की ये वैश्विक लोकप्रियता हर भारतीय के लिए गर्व की बात है।
महाकुंभ में नेता-अभिनेता, मंत्री, पदाधिकारी आदि सभी संगम में डुबकी लगा रहे हैं। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री आदरणीय योगी आदित्यनाथ जी और उनकी पूरे मंत्री मंड़ल ने एक साथ पवित्र स्नान किया। पिछले 11 दिनों में दस करोड़ से भी अधिक श्रद्धालु पवित्र स्नान कर चुके हैं। विदेशों से आए श्रद्धालुओं का भाव तो देखते ही बनता है। रूस, इंग्लैंड, अमेरिका, इटली, जर्मनी, नीदरलैंड, आस्ट्रेलिया आदि देशों से आए नागरिक अपने-अपने अनुभव साझा कर रहे हैं। अमेरिका के न्यूयार्क से टाम के साथ आई जानर ने कहा अमेजिंग, डिवान। इतना विशाल और खूबसूरत आयोजन जीवन में पहली बार देखा है। रूस से आई क्रिस्टीना हाथ उठाकर बोली- हर हर गंगे, मेरा भारत महान। ब्राजील से आए फ्रांसिस्को ने कहा मोक्ष के अर्थ को समझ रहा हूँ। इंग्लैंड से आई जार्जिना ने संगम में पुण्य की डुबकी लगाई।
भारतीय सनातन संस्कृति, आस्था पर टिप्पणी करने वाले को यह महाकुंभ स्वयं ही उत्तर दे रहा है। इस महाकुंभ में देश की संस्कृति-संस्कार और एकता का साझा रूप देखते ही बनता है। महाकुंभ भारतीय जनमानस के मिलन का एक प्रतीक है। प्रयागराज का महाकुंभ वैश्विक संगम का समागम बना है, यह भारतीय एकता का महाकुंभ है, इसे आज पूरा विश्व देख रहा है और इसकी सराहना कर रहा है।