मुंबई, छह फरवरी (भाषा) आरबीआई के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा की अगुवाई में हो रही मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की पहली बैठक में लिए गए निर्णयों की घोषणा शुक्रवार सुबह की जाएगी।
विशेषज्ञों ने ऐसी संभावना जताई है कि एमपीसी लगभग पांच साल के अंतराल के बाद रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती का फैसला कर सकती है। रेपो दर दो साल से 6.50 प्रतिशत पर स्थिर बनी हुई है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पिछली बार मई, 2020 में कोविड-19 महामारी के समय रेपो दर को 0.40 प्रतिशत घटाकर चार प्रतिशत किया था। फिर रूस-यूक्रेन युद्ध के जोखिमों से निपटने के लिए आरबीआई ने मई, 2022 में दरों में बढ़ोतरी करनी शुरू की थी और यह सिलसिला फरवरी, 2023 में जाकर रुका था।
मौद्रिक नीति के संबंध में निर्णय करने वाली सर्वोच्च इकाई एमपीसी की तीन दिवसीय समीक्षा बैठक बुधवार को शुरू हुई। इस बैठक के अंतिम दिन शुक्रवार को ब्याज दर पर फैसले की घोषणा की जाएगी।
एमपीसी की यह बैठक आरबीआई के नए गर्वनर के मातहत होने वाली पहली द्विमासिक समीक्षा बैठक है। मल्होत्रा दिसंबर में शक्तिकान्त दास के छह साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद आरबीआई के नए गवर्नर बनाए गए थे।
डीबीएस ग्रुप रिसर्च की वरिष्ठ अर्थशास्त्री राधिका राव ने कहा, “हमें उम्मीद है कि एमपीसी रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती करके इसे 6.25 प्रतिशत पर लाने के पक्ष में मतदान करेगी।”
वैश्विक शोध फर्म बैंक ऑफ अमेरिका ग्लोबल रिसर्च ने भी कहा कि आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति दोनों के ही आंकड़े मौद्रिक स्थितियों को आसान बनाने की जरूरत की तरफ इशारा करते हैं। उम्मीद है कि ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत कटौती का निर्णय सर्वसम्मति से लिया जाएगा।
उद्योग मंडल एसोचैम ने भी कहा कि नीतिगत दर में कटौती करके इसे 6.25 प्रतिशत पर लाने की व्यापक उम्मीदें हैं।
एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट कहती है कि मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत कटौती की उम्मीद है।
हालांकि यस सिक्योरिटीज के कार्यकारी निदेशक अमर अंबानी ने कहा, “हमें इस बैठक में आरबीआई द्वारा दरों में कटौती की उम्मीद नहीं है। दरअसल वैश्विक परिस्थितियां इस स्तर पर दरों में कटौती के लिए प्रतिकूल बनी हुई हैं।”