जयपुर, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहना है कि मंदिरों ने भारतीय परंपराओं, संस्कृति और मूल्यों को संरक्षित करने का काम किया है, इसलिए मंदिर आस्था के प्रतीक होने के साथ ही हमारी सामाजिक एवं सांस्कृतिक चेतना के भी प्रमुख केंद्र हैं।
शर्मा ने सोमवार को चित्तौड़गढ़ के मातृकुंडिया के श्री पशुपतिनाथ महादेव मंदिर मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही।
उन्होंने कहा कि मंदिर भारतीय सनातन संस्कृति की आत्मा है जिनसे हमारी विरासत मजबूत होती है, इसलिए राज्य सरकार प्रदेश में सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक विकास के लिए निरंतर काम कर रही है।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार मुख्यमंत्री ने कहा कि चित्तौड़ की धरती शूरवीरों की धरा है, इस धरती पर वीर महाराणा प्रताप, भक्त शिरोमणि मीराबाई जैसी महान विभूतियां हुई हैं। साथ ही, यह भक्ति और आध्यात्म के एक प्रमुख केंद्र के रूप में भी प्रसिद्ध है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘विकास भी और विरासत भी’ की अवधारणा को मानते हुए देश में विकास के साथ विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार उत्कृष्ट और विकसित राजस्थान की परिकल्पना को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने प्रदेश की आवश्यकताओं को समझते हुए पहले बिजली-पानी की आवश्यकताओं पर काम किया है। हम किसानों के दर्द को भली-भांति समझते हैं। हमारे अन्नदाता किसानों को अगर खेती के लिए पर्याप्त पानी तथा बिजली मिलेगी तो वे सशक्त होंगे।’’
शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार ने किसानों की सम्मान निधि और गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि जैसे अनेक निर्णय लिए, जिससे किसानों को आर्थिक संबल मिला है।
उन्होंने कहा कि पांच वर्ष में चार लाख सरकारी नौकरी देकर युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हमने संकल्प पत्र में किए गए 50 प्रतिशत से अधिक वादे पूरे कर लिए हैं तथा प्रत्येक वादे को पूरा करने के लिए हम कृतसंकल्पित हैं।’’