बचत, निवेश के बारे में लोगों को तय करना है, कराधान नीति से इसे प्रभावित नहीं कर सकते : अजय सेठ

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नयी दिल्ली, दो फरवरी (भाषा) बजट में मध्यम वर्ग को कर मोर्चे पर बड़ी राहत के बीच आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) के सचिव अजय सेठ ने रविवार को कहा कि लोगों को कहां बचत करनी है, किस क्षेत्र में निवेश करना है, हम उसे कराधान नीति से प्रभावित नहीं कर सकते। इस बारे में लोगों को ही निर्णय करना है।

उन्होंने पीटीआई-भाषा के साथ साक्षात्कार में कहा, ‘‘सरकार का प्रयास है कि कर की दरें कम हों और लोगों को कर रिटर्न भरने में आसानी हो। उसके बाद वे निर्णय करें कि उन्हें क्या करना है।’’

यह पूछे जाने पर कि नई कर व्यवस्था में आयकर सीमा बढ़ने से लोगों के पास पैसा तो आएगा लेकिन क्या इससे दीर्घकालीन बचत पर प्रतिकूल असर पड़ेगा, सेठ ने कहा कि कहां बचत करनी है और कितना निवेश करना है, इस बारे में लोगों को ही निर्णय करना है। हम इन चीजों को कराधान नीति से प्रभवित नहीं कर सकते।’’

आर्थिक मामलों के सचिव ने कहा, ‘‘कोई भी परिवार या कोई भी व्यक्ति पैसा बचाता है, तो वह यह सोचकर बचाता है कि आगे उसे क्या जरूरत पड़ सकती है। अगर कोई इसलिए बचत कर रहा है कि उसे कर छूट मिल रही है, यह एक संतोष हो सकता है, लेकिन यह मकसद नहीं होता।’’

उन्होंने कहा, ‘‘राजकोषीय नीति में हमारा प्रयास रहा है कि छूट को कम करें और चीजों को आसान बनाएं।’’

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को सुस्त पड़ती आर्थिक वृद्धि को गति देने के मकसद से मध्यम वर्ग को बड़ी राहत देते हुए 12 लाख रुपये की सालाना आय पर कर छूट देने की घोषणा की। इससे आशंका जतायी जा रही है कि बजट में मध्यम वर्ग को राहत देने से उनकी जेबों में पैसे तो आएंगे लेकिन दीर्घकालीन बचत प्रभावित हो सकती है।

यह पूछे जाने पर कि क्या बजट से नरम होती आर्थिक वृद्धि को गति मिलेगी, सेठ ने कहा, ‘‘बजट में बाह्य स्तर पर चीजों को दुरुस्त करने के अलावा घरेलू स्तर पर ताकत को बढ़ाने पर ध्यान दिया गया है। निर्यात के जरिये घरेलू अर्थव्यवस्था में योगदान इस साल कम रहा है। वैश्विक स्तर पर चुनौतियां, ऐसी चीज है, जिसपर हम सीमित दायरे में ही काम कर सकते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘इसी को ध्यान में रखकर निर्यात संवर्धन मिशन पेश किया गया है। इसका मकसद निर्यात की गुणवत्ता को सुधारना तथा उसे और प्रतिस्पर्धी बनाना है, जिससे हमारे वैश्विक व्यापार में निर्यात की हिस्सेदारी बढ़ सके।’’

आर्थिक मामलों के सचिव ने कहा कि इसके साथ घरेलू मांग में तेजी लाने और संचालन से जुड़े नियमन हैं, उसमें बदलाव को लेकर बजट में कई कदम उठाये गये हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘अर्थव्यवस्था के घरेलू चालकों… कृषि, एमएसएमई, विनिर्माण और सेवा तथा निवेश को गति देने के भी उपाय किये गये हैं। इन सब उपायों से आर्थिक वृद्धि को गति मिलने की उम्मीद है।’’

यह पूछे जाने पर कि लोगों की आय महंगाई और कंपनियों के लाभ के हिसाब से नहीं बढ़ रही है, उन्होंने कहा, ‘‘लोगों की आय बढ़ने के लिए जरूरी है कि रोजगार के अवसर बढ़ें। बजट में इस दिशा में कदम उठाये गये हैं। इसके अलावा आर्थिक गतिविधियां और कारोबारी सुगमता बढ़ाना जरूरी है, जिससे कंपनियों के लिए अपने व्यवसाय को बढ़ाना आसान होगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कौन सा क्षेत्र कितना वेतन देगा, यह उनकी नीतियों पर निर्भर करेगा। हम अर्थव्यवस्था में जो भी दिक्कत हैं, उसे दूर करें, ताकि वे प्रतिस्पर्धी बनें। और अगर वे प्रतिस्पर्धी बनेंगे, तो कर्मचारियों को भी अच्छा वेतन भी देंगे।

उल्लेखनीय है कि आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए कंपनियों के लाभ में वृद्धि, वेतन के अनुरूप होनी चाहिए। दोनों के बीच अधिक अंतर मांग को प्रभावित कर अर्थव्यवस्था के लिए जोखिम पैदा करता है। संसद में शुक्रवार को पेश आर्थिक समीक्षा में यह कहा गया है।

समीक्षा में कहा गया है कि जीवीए (सकल मूल्य वर्धित) में श्रम की हिस्सेदारी मामूली बढ़ी है, लेकिन कॉरपोरेट मुनाफे में असमान वृद्धि हुई है। मुख्य रूप से बड़ी कंपनियों में ऐसा देखा गया है और इस आय असमानता को लेकर चिंता है।

बजट में ग्रामीण प्रवास को मजबूरी की जगह वैकल्पिक बनाने के लिए उठाये गये कदमों के बारे में पूछे जाने पर सेठ ने कहा, ‘‘ दो चीजों पर जोर है। सबसे पहला कार्यक्रम इस बजट में प्रधानमंत्री धन धान्य योजना है। जो जिले कृषि क्षेत्र में पीछे हैं, उन्हें हम एक औसत तक कैसे ला सकते हैं और औसत से ऊपर कैसे ला सकते हैं, इसपर काम किया जाएगा। इसके अलावा, आर्थिक गतिविधियां बढ़ाने पर ध्यान दिया जाएगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ ग्रामीण क्षेत्र में सबसे पहले कृषि पर ध्यान दिया जाए। जो कृषि के क्षेत्र में विकासशील 100 जिले हैं, उन्हीं जिलों में कृषि और आर्थिक गतिविधियां बढ़ाने के उपाय किये जाएंगे।’’

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