भुवनेश्वर, 20 फरवरी (भाषा) ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने बृहस्पतिवार को राज्य विधानसभा को सूचित किया कि राज्य के हित में महानदी के पानी को लेकर समानता के साथ सतत जल विकास सुनिश्चित करने के लिए 16 बांध और 15 बैराज परियोजनाओं की योजना बनाई गई है।
बीजू जनता दल (बीजद) विधायक रणेंद्र प्रताप स्वैन के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘छत्तीसगढ़ द्वारा महानदी बेसिन के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में महानदी के पानी के अत्यधिक अनियोजित उपयोग के कारण, ओडिशा के निचले क्षेत्र में पानी का प्रवाह धीरे-धीरे कम हो रहा है जैसा कि छत्तीसगढ़ और ओडिशा की अंतरराज्यीय सीमा के पास स्थित हीराकुंड बांध स्थल पर देखा गया है।’’
उन्होंने कहा कि इस संबंध में राज्य ने महानदी जल विवाद न्यायाधिकरण की शरण ली है और कई दलीलों के माध्यम से अपने दावे दायर किए हैं तथा मामला अब अदालत में विचाराधीन है।
इसी तरह, सदन को दिए गए एक अन्य लिखित बयान में माझी ने बताया कि सरकार ने महानदी नदी पर 41 भंडारण संरचनाएं बनाने की भी योजना बनाई है।
विधानसभा में बीजद के उपनेता प्रसन्ना आचार्य ने प्रश्नकाल के दौरान यह मुद्दा उठाया था। आचार्य ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने महानदी के ऊपरी बेसिन क्षेत्र में 8-9 बैराज बनाए हैं, जिसके कारण गर्मियों में ओडिशा में नदी के शुरुआती बिंदु पर पानी का प्रवाह काफी कम हो जाता है।
ओडिशा का आरोप है कि गैर-मानसून महीनों में उसे महानदी से पर्याप्त पानी नहीं मिलता, क्योंकि छत्तीसगढ़ नदी के ऊपर हिस्से में बैराज बनाकर पानी के प्रवाह को बाधित करता है।
पिछली नवीन पटनायक सरकार ने 2016 में इस मामले में उच्चतम न्यायालय का रुख किया था। न्यायालय के आदेश के बाद 2018 में महानदी जल विवाद न्यायाधिकरण का गठन किया गया। यह मामला अब न्यायाधिकरण में विचाराधीन है।