विकसित भारत की महायात्रा में किसान की भूमिका को कोई कुंठित नहीं कर सकता: उपराष्ट्रपति

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जयपुर,  उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को कहा कि विकसित भारत की महायात्रा में किसान की भूमिका को कोई कुंठित नहीं कर सकता।

उन्होंने कहा कि किसान के हाथों में राजनीतिक ताकत और आर्थिक योग्यता है, उसे किसी की मदद का मोहताज नहीं होना चाहिए।

चित्तौडगढ़ में अखिल मेवाड़ क्षेत्र जाट महासभा को सम्बोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “किसान की आर्थिक स्थिति में जब उत्थान आता है तो देश की व्यवस्था में उद्धार आता है। बाकी किसान दाता है, किसान को किसी की ओर नहीं देखना चाहिए, किसी की मदद का मोहताज किसान नहीं होना चाहिए, क्योंकि किसान के सबल हाथों में राजनीतिक ताकत है, आर्थिक योग्यता है।”

उन्होंने कहा, “कुछ भी हो जाए, कितनी बाधाएं आएं, कोई भी अवरोधक बने, आज के दिन विकसित भारत की महायात्रा में किसान की भूमिका को कोई कुंठित नहीं कर सकता। आज की शासन व्यवस्था किसान के प्रति नतमस्तक है।’’

उपराष्ट्रपति ने 25 साल पहले हुए जाट आरक्षण आंदोलन के दिनों को याद करते हुए कहा, “ मैं यहां 25 साल बाद आया हूं, 25 साल पहले इसी जगह पर एक बहुत अच्छा काम हुआ था। सामाजिक न्याय की लड़ाई की शुरुआत हुई थी, जाट और कुछ जातियों को आरक्षण मिले।’’

उन्होंने कहा ,‘‘यह शुरुआत 1999 की थी, समाज के प्रमुख लोग यहां उपस्थित थे। मैं भी उनमें एक था। आज उसके नतीजे देश और राज्य की प्रशासनिक सेवाओं में मिल रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि उसी आरक्षण का जिनको लाभ मिला है, आज वो सरकार में प्रमुख पदों पर हैं।

धनखड़ ने कहा, ‘‘ उनसे मेरा आग्रह रहेगा कि वे पीछे मुड़कर जरूर देखें और कभी नहीं भूलें कि इस समाज के सहयोग की वजह से, इस समाज के प्रयास से हमें सामाजिक न्याय मिला…….। वैसे जब भी कोई आंदोलन होता है, खास तौर से आरक्षण से जुड़ा हुआ। लोग हिंसक हो जाते हैं। पर इस पावन भूमि पर मेरा सिर गर्व से ऊंचा है कि दुनिया के लिए हमारा आंदोलन सामाजिक न्याय का सबसे बड़ी मिसाल है। कहीं कोई अव्यवस्था नहीं हुई, कहीं कोई हिंसा नहीं हुई।”

किसानों से कृषि विज्ञान केंद्रों का लाभ लेने का आग्रह करते हुए उन्होंने कहा, “ किसान को मदद करने के लिए 730 से ज़्यादा कृषक विज्ञान केंद्र हैं। वहां जाइए और उनसे कहिए—”आप हमारी क्या सेवा करेंगे?” नई तकनीकों का ज्ञान लीजिए, सरकारी नीतियों की जानकारी लीजिए।’’

उपराष्ट्रपति ने किसानों से कृषि उत्पादों के व्यापार और मूल्य संवर्धन में अपनी भागीदारी बढ़ाने पर ज़ोर देते हुए कहा, “ किसान अपने उत्पाद की मूल्य वृद्धि क्यों नहीं कर रहा? अनेक व्यापार किसान के उत्पादों पर आधारित हैं। आटा मिल, तेल मिल, अनगिनत हैं। अब किसान को पशुधन की ओर ध्यान देना चाहिए। ’’

उपराष्ट्रपति ने कहा, “ मेरा आग्रह किसान से है। किसान अपने उत्पाद के व्यापार से क्यों नहीं जुड़ा हुआ है? किसान उसमें क्यों नहीं भागीदारी कर रहा है?’’

उन्होंने कहा ‘‘हमारे नौजवान प्रतिभाशाली हैं। मेरा विनम्र आग्रह है—ज़्यादा से ज़्यादा किसानों को सहकारिता का फायदा लेते हुए, अन्य व्यवसायों में, कृषि उत्पादन के व्यवसाय में, अपने आपको लगन के साथ लगा देना चाहिए। इसके दूरगामी आर्थिक सकारात्मक परिणाम होंगे।’

 

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