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   नाम की महिमा अपरम्पार है। नाम लेकर कोई उच्च पद अचल पद को प्राप्त करते हैं तो कोई समुद्र पार कर महति कार्य कर जाते हैं। नाम जपने में बहुत ताकत है। नाम लेकर कुछ लोगों ने सत्तर साल तक शासन किया।ग़रीबी अमीरी-गरीबी के बीच के खाई को पाटने के लिए पंचवर्षीय योजनाएं लाये , लेकिन गरीबी -अमीरी यथावत रही। उनके पास जादू की छड़ी नहीं थी जिसे घुमाकर समस्याओं को दूर किया जा सके। सत्ता में वे बने रहे और समस्याये भी बनी रही। घोषणाएं वादे सौगातों पहले भी होती रही, गरीबी मिटेगी , बेरोजगारी दूर होगी. बेरोजगारी दूर होती रही , गरीबी बढ़ती गई है। एक दिन समस्याओं का समाधान होगा , गरीबी मिटेगी वे मिट गये गरीबी नहीं मिटी । जिसने मिटाने की कोशिश की वह खुद मिट गये। नहीं रहें। इसलिए मिटाने खत्म करने की कोशिश बेकार है ‌। अपने विकास में ध्यान दें। नहीं तो धीरे – धीरे वे मिटे , हटाने वाले स्वयं हट जाते हैं।

                             नाम सुमिरन में भी कार्य को देखा जाता है। यदि आपको सरल कार्य करना है तो सीताराम – सीताराम  बोलकर उसे कर सकते हैं लेकिन यदि आपको कठिन कार्य करना है तो जय श्रीराम जय श्रीराम कहकर कार्य सिद्ध करना चाहिए।राम स्मरण करते ही उन्हें पता चल जाएगा कि कोई भक्त स्मरण कर रहा है और अपनी शक्ति दे देंगे। इसलिए श्री हनुमान जी ने समुद्र लांघते समय जय श्रीराम कहकर एक ही पल में पार कर लिया था।यह नाम महिमा है। नाम में इतनी शक्ति है कि दानव भी कांपते हैं।

                                   आज के समय में भी हम देखते हैं कि जिनके नाम से चुनाव जीत जाते हैं वह स्टार प्रचारक हो जाता है। इस तरह के विशेष स्टार एक दो होते हैं बाकी और भी स्टार प्रचारक होते हैं। मुख्य प्रचारक हेलिकॉप्टर से आते – जाते हैं।शेष यथासाधन यथासंभव आरामदायक स्थिति से आते जाते हैं। उनके आने -जाने से वातावरण में ताजगी आती है। सरगर्मी बढ़ जाती है। इनके भी नाम से ही प्रत्याशी का प्रचार हो जाता है। आकर चार चांद लगा देते हैं। उनके उम्मीदवार के पक्ष में माहौल बन जाता है। प्रत्याशी जहां से चुनाव लड़ रहा है वहां की आवश्यकता पर घोषणा पत्र और तदनुसार जीतने पर क्रियान्वयन होना आवश्यक है।

                                     हमारे अध्यात्म में भी नाम महिमा की बात कही गई है। नाम के चलते ही कुछ ने ईश्वर का साक्षात्कार कर अचल स्थिति को प्राप्त किया है। उनकी माताएं ईश्वर की अराधना करने को कहा। ऋषि – मुनियों ने ही उन्हें भगवत दर्शन हेतु मंत्रो की दीक्षा दी। यथा नारायण नारायण , ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः , ॐ नमो शिवाय इत्यादि मंत्र बताए जिसे जपकर ईश्वर का दर्शन कर प्रहलाद ने परम पिता की गोद में बैठने का सुख प्राप्त किया। आज भी लोग नाम लेकर पा रहे हैं। ध्रुव ने अचल स्थान प्राप्त किया। इस तरह हम देखते हैं कि पहले और आज भी नाम सुमिरन की महिमा अलौकिक है। नाम जपने में अद्भुत शक्ति है। नाम सुमिरन करने वाले जम जाते है। हटाने मिटाने वाले हट या मिट जाते हैं। गरीबी हटाने वाले लापता हो गए। उन्हें मालूम था कि एक रूपए में पन्द्रह पैसे पहुंचते हैं। कम्प्यूटर ने बता दिया था लेकिन वे पूरा-पूरा एक रूपए अंतिम आदमी तक नहीं पहुंचा पाये।

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