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हस्तरेखा शास्त्र में अंगूठे का सर्वाधिक महत्त्व माना जाता है। सभी हस्तरेखा शास्त्री इस बात पर एकमत हैं कि व्यक्ति का चरित्रा और उसके मनोविज्ञान को प्रकट करने में अंगूठे की अहम् भूमिका रहती है। अंगूठा प्रकृति-प्रदत्त इच्छा शक्ति को समझने में सहयोग देता है।
अंगूठा तीन अस्थि खण्डों से मिलकर बनता है। इन तीनों को आधार खण्ड, इच्छा खण्ड तथा तर्क खण्ड के नामों से जाना जाता है। आधार खण्ड वाला भाग हथेली में भीतर रहता है। जो शुक्र पर्वत का स्थान कहलाता है। उसके ऊपर वाले पहले खण्ड को तर्कखण्ड तथा सबसे ऊपर वाले खण्ड को इच्छा खण्ड कहा जाता है।
अंगूठे का लम्बा होना व्यक्ति की दृढ़ इच्छा शक्ति तथा शुद्ध चरित्र को बतलाता है जबकि अंगूठे का छोटा होना अविकसित व्यक्तित्व को प्रदर्शित करता है। आत्मविश्वास से परिपूर्ण व्यावहारिक तथा उपयोगितावादी व्यक्तियों के हाथ में लम्बा अंगूठा होता है। ऐसे लोग अपने जीवन कार्यों में बुद्धि का अधिक उपयोग करते हैं तथा मात्रा भावनाओं द्वारा निर्णय नहीं लेते।
लम्बे अंगूठे के साथ यदि अंगुलियाँ वर्गाकार या फैली हुई हों तो ऐसे लोग अच्छे इंजीनियर, शिल्पी या गणित के प्रोफेसर होते हैं। विज्ञान में उनकी अधिक रूचि होती है। इसके विपरीत छोटे अंगूठे वाले व्यक्ति भावुक होते हैं। अगर अंगुलियों के सिरे कोनिक या नुकीले होते हैं तो ऐसे व्यक्ति काव्य तथा कला के दीवाने होते हैं।
अंगूठे का बहुत अधिक छोटा होना काफी अशुभ माना जाता है। ऐसे व्यक्ति अपराधी होते हैं तथा उनके स्वभाव में पाशविकता आ जाती है। हथेली पर सामान्य स्थिति से ऊपर जुड़ा हुआ अंगूठे वाला व्यक्ति अज्ञानी एवं मूर्ख होता है जबकि यदि अंगूठा नीचे की तरफ आधारित है तो ऐसे व्यक्ति मानवीय गुणों से युक्त सहज व्यक्तित्व वाले होते हैं।
आसानी से पीछे की ओर मुड़ने वाला तथा लचकीला अंगूठा सफलता का संकेत देता है। ऐसे व्यक्ति आर्थिक, वैचारिक और कार्य योजनाओं में सहज मनोवृत्ति के होते हैं। इसके विपरीत अगर किसी का अंगूठा सख्त और पीछे की ओर बिल्कुल नहीं मुड़ता हो तो लोग ज्ञानी होते हैं। ऐसे लोग दृढ़निश्चयी, स्वार्थी तथा कम मित्रा वाले होते हैं।
अगर अंगूठे का सिरा वर्गाकार हो तो वह व्यक्ति न्यायप्रिय होता है। अगर अंगूठे की आकृति केले के समान हो तो वह अंगूठा अविकसित अंगूठा कहलाता हैं। ऐसे अंगूठे वाले व्यक्ति के चरित्रा में क्रूरता, भारीपन एवं मानव मात्रा के लिए विद्रोह आ सकता है।
जिनके अंगूठों का सिर दबा होता है, वे अति संवेदनशील हो जाते हैं तथा उनका मानसिक असंतुलन हो जाता है। अंगूठे के सिरे फैले हुए हांे तो व्यक्ति दृढ़ इच्छाशक्ति एवं शारीरिक क्षमता वाला होता है। फैले हुए सिरों वाले अंगूठा होने पर व्यक्ति अवरोधों एवं परेशानियों की परवाह नहीं करने वाला होता है तथा कोई भी कठिनाई या समस्या उसे विचलित नहीं कर पाती।
गेन्द के समान अंगूठे वाले तथा संकरे एवं छोटे नाखून वाले स्त्राी-पुरुष अपराधी प्रवृत्ति वाले होते हैं। ऐसे लोग स्वार्थी, कामुक, अस्थिर मन वाले तथा हृदयहीन होते हैं। इन्हें दूसरों को दुःखी देखकर प्रसन्नता होती है तथा वे विवेकहीन एवं बात-बात पर उत्तेजित हो जाते हैं। ऐसे स्त्राी पुरुष अपने सेक्स की शान्ति के लिए किसी से भी शारीरिक संबंध बनाने में परहेज नहीं करते। दूसरों को अपनी ओर आकर्षित करने की इनमें अद्भुत क्षमता होती है।
अगर महिलाओं में अंगूठा अधिक लम्बा होता है तो वे अधिक संवेदनशील नहीं होती। उनका सहज ज्ञान उन्हें परिस्थिति संबंधी जानकारी दे देता है और वे परिस्थितियों के अनुरूप स्वयं को ढाल लेती हैं अथवा परिस्थितियों को अपने अनुकूल कर लेती हैं। अतः अपने उस गुण के कारण वे सांसारिक दृष्टि से सफल पत्नी होती हैं तथा वे अपने पति या प्रेमी पर अपना पूरा अधिकार चाहती हैं।
व्यक्ति को सफलता दिलवाने वाला अंगूठा सुडौल, सुन्दर संतुलित रूप से विकसित तथा थोड़ा लचकीला होता है तथा उसमें तर्क एवं इच्छा खण्ड एक-दूसरे के पूरक अनुपात में होते हैं। इस प्रकार के अंगूठे से युक्त व्यक्ति अपनी क्षमताओं का पूरा-पूरा लाभ उठाता है तथा अपनी प्रतिभा से लोगों को प्रभावित किये रहता है।
जिन स्त्री -पुरुषों का अंगूठा सूंड की तरह नीचे झुका होता है, वे अपने कार्यों में सफलता तथा सिद्धि को प्राप्त करते हैं। अगर अंगूठे का ऊपर वाला भाग सामान्य से लम्बा हो तो उस स्त्राी-पुरुष का अनैतिक संबंध से जीवन भर पीछा नहीं छूटता। ऐसे अंगूठे वाली लड़कियों को अपने से तिगुने उम्र वाले पुरुषों से शारीरिक संबंध बनाने में आनन्द आता है।
वर्गाकार सिरा होने पर वह न्यायप्रिय, आचरण से शुद्ध तथा मित्राता को बनाये रखने वाली होती है। अंगूठा अगर ऊपर पतला और नीचे मोटा हो तो वह व्यक्ति हर सामाजिक सीमाओं को लांघकर मनमौजी हो जाता है।