बेंगलुरु, सिद्धरमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार द्वारा ‘माइक्रोफाइनेंस’ को विनियमित करने के लिए लाये गये ‘कर्नाटक माइक्रो फाइनेंस’ (जबरदस्ती कार्रवाई की रोकथाम) अध्यादेश 2025 को शुक्रवार को खारिज कर दिया।
मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के अनुसार, राज्यपाल ने अध्यादेश को नामंजूर करने के कई कारण बताए हैं।
कार्यालय ने बताया कि गहलोत को लगा कि कर्नाटक सरकार द्वारा प्रस्तावित 10 वर्ष की सजा और पांच लाख रुपये का जुर्माना अत्यधिक है।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने बताया कि उनका (राज्यपाल का) यह भी मानना है कि मौजूदा कानूनों का इस्तेमाल पुलिस विभाग द्वारा स्थिति को नियंत्रित करने के लिए किया जा सकता था।
मुख्यमंत्री कार्यालय के अनुसार, राज्यपाल द्वारा दिया गया दूसरा कारण यह है कि अध्यादेश का ‘माइक्रोफाइनेंस’ पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है और इसका असर अंततः गरीबों पर पड़ेगा।
माइक्रोफाइनेंस संस्थानों (एमएफआई) द्वारा उधारकर्ताओं को उत्पीड़न से बचाने के उद्देश्य से, कर्नाटक सरकार ने दंडात्मक प्रावधानों के साथ अध्यादेश का मसौदा तैयार किया है, जिसमें उल्लंघन के लिए 10 वर्ष तक की जेल की सजा और पांच लाख रुपये का जुर्माना शामिल है।