नयी दिल्ली, 18 फरवरी (भाषा) केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने मंगलवार को कहा कि भारत को 2047 तक विकसित देश बनने के अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए संसाधनों के अधिक कुशल उपयोग की जरूरत है।
यादव ने यहां ‘अपशिष्ट पुनर्चक्रण और जलवायु परिवर्तन’ विषय पर सम्मेलन को संबोधित करते हुए उद्योगों से ऐसे उत्पाद तैयार करने का आग्रह किया जो पर्यावरण अनुकूल और संसाधनों के अनुकूलतम उपयोग का समर्थन करते हों और सामूहिक रूप से उन्नत पुनर्चक्रण प्रौद्योगिकियों को अपनाते हैं।
उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण खनिजों के पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग से भारत की अन्य देशों पर निर्भरता कम हो सकती है।
यादव ने कहा, ‘‘हमें कच्चे माल का उपयोग कर सामान बनाने और फिर उसके उपयोग के बाद उसे फिर छोड़ देना (टेक-मेक-डिस्पोज) मानसिकता से दूर होने और वैकल्पिक आर्थिक मॉडल के रूप में पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग को अपनाने की जरूरत है।’’
मंत्री ने कहा कि नीति-निर्माताओं के सामने बड़ी चुनौती यह है कि प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करते हुए आर्थिक वृद्धि को कैसे बनाए रखा जाए। उन्होंने कहा कि पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग ही समाधान हैं।
मंत्री ने कहा, ‘‘अगर हम 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाना चाहते हैं, तो हमें बर्बादी को कम करना होगा और संसाधनों के कुशल उपयोग को अधिकतम करना होगा।’’
यादव ने कहा कि भारत की पर्यावरण अनुकूल और संसाधनों के अनुकूलतम उपयोग (सर्कुलर) की अर्थव्यवस्था 2050 तक 2,000 अरब डॉलर की हो सकती है और यह एक करोड़ नौकरियों का सृजन कर सकती है।
उन्होंने कहा कि उद्योगों को उत्पाद डिजाइन में पर्यावरण अनुकूल और पुनर्चक्रण सुनिश्चित करनी चाहिए और उन्नत पुनर्चक्रण प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए सामूहिक रूप से काम करना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘यह सिर्फ एक कंपनी के बारे में नहीं है। पूरे उद्योग को आगे आना चाहिए। इससे संसाधनों का अनुकूलतम उपयोग सुनिश्चित होगा।’’
इस मौके पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव अमनदीप गर्ग ने कहा कि भारत सबसे तेजी से विकसित होने वाले देशों में से एक है और इसके संसाधनों की खपत बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि इससे अपशिष्ट उत्पादन भी बढ़ेगा।
भारत वर्तमान में 16 लाख टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा, 11.5 लाख टन बैटरी कचरा, 13 लाख टन इस्तेमाल किया हुआ तेल, 15.2 लाख टन बेकार टायर, 41 लाख टन प्लास्टिक कचरा और 30 करोड़ टन धातु कबाड़ उत्पन्न करता है।
हालांकि, उन्होंने कहा, देश केवल 33 प्रतिशत ई-कचरा, दो प्रतिशत निर्माण और संबंधित अपशिष्ट, 15 प्रतिशत प्रयुक्त तेल, तीन प्रतिशत वाहन अपशिष्ट और 14 प्रतिशत धातु कबाड़ का पुनर्चक्रण करता है।
गर्ग ने कहा, ‘‘पुनर्चक्रण उद्योग के लिए एक मजबूत परिवेश बनाने को एक बड़ा अंतर और एक बड़ा अवसर है।’’