दुर्लभ या असाधारण मामले में ही जांच किसी दूसरी एजेंसी को सौंपी जानी चाहिए: दिल्ली उच्च न्यायालय

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नयी दिल्ली,  दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि आपराधिक मामले की जांच किसी एक एजेंसी से दूसरी एजेंसी को केवल दुर्लभ और असाधारण परिस्थितियों में ही स्थानांतरित की जानी चाहिए, क्योंकि इससे पुलिस के मनोबल पर प्रभाव पड़ता है।

उच्च न्यायालय ने कहा कि जांच दूसरी एजेंसी को स्थानांतरित करने के लिए बेबुनियाद आरोप होना पर्याप्त नहीं हैं।

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा, “केवल दुर्लभ और असाधारण मामलों में ही जांच किसी दूसरी एजेंसी को सौंपी जानी चाहिए। इनमें ऐसे शामिल हैं जिनमें राज्य प्राधिकार के उच्च अधिकारी संलिप्त हों। जांच अधिकारी पर आरोप लगाना जांच स्थानांतरित कराने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। ऐसा तब तक नहीं किया जा सकता जब तक यह दिखाने के लिए पर्याप्त सबूत न हों कि जांच अधिकारी आरोपी के साथ मिला हुआ है।”

दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा धोखाधड़ी के एक मामले की जांच कर रही है। आरोपियों ने मामले की जांच सीबीआई या किसी अन्य एजेंसी को स्थानांतरित करने के लिए याचिकाएं दायर की हैं। इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह फरवरी को यह टिप्पणी की थी।

आपराधिक मामले में आरोप है कि घर खरीदने वालों और निवेशकों का पैसा हड़प लिया गया और एजेंसी द्वारा धन के स्रोत का पता लगाने के लिए जांच की जा रही है, ताकि पता लगाया जा सके कि वास्तव में धन कहां रखा गया है।

याचिकाओं में जांच सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाले विशेष जांच दल (एसआईटी) को या किसी उच्चस्तरीय जांच एजेंसी को सौंपने का अनुरोध किया गया था।

अदालत ने कहा कि वह जांच से संतुष्ट है और यह नहीं कहा जा सकता कि एजेंसी ने अपनी जांच में ढील बरती है।

उच्च न्यायालय ने कहा, “वास्तव में, जांच किसी दूसरी एजेंसी को सौंपने से पुलिस के मनोबल पर असर पड़ता है, जिससे हर कीमत पर बचा जाना चाहिए।

 

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