जम्मू-कश्मीर में तीन नए आपराधिक कानूनों का क्रियान्वयन काफी हद तक सफल रहा : उमर अब्दुल्ला

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नयी दिल्ली, 18 फरवरी (भाषा) जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि तीनों नए आपराधिक कानूनों को केंद्र शासित प्रदेश में “कुल मिलाकर” सफलतापूर्वक लागू कर दिया गया है और यह अहम है कि नागरिकों को नए कानूनों के प्रावधानों के बारे में जागरूक किया जाए।

अब्दुल्ला केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में तीन कानूनों की समीक्षा बैठक में शिरकत करने के बाद गृह मंत्रालय के बाहर पत्रकारों से बात कर रहे थे।

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में शामिल हुए।

अब्दुल्ला ने कहा कि बैठक में जम्मू-कश्मीर में तीनों कानूनों के सुचारू क्रियान्वयन के रास्ते में आने वाली बाधाओं पर चर्चा की गई तथा इस बात पर भी विचार किया गया कि किन क्षेत्रों में काम करने की जरूरत है।

उनके मुताबिक, गृह मंत्री ने बैठक में कहा कि अब तक 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए इसी प्रकार की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है।

अब्दुल्ला ने कहा, “जम्मू-कश्मीर के मामले में अब तक नए कानूनों का क्रियान्वयन कुछ मामलों को छोड़कर कुल मिलाकर सफल रहा है। इन मुद्दों का समाधान किया जाएगा।”

मुख्यमंत्री ने कहा कि हालांकि नये कानूनों का क्रियान्वयन चुनी हुई सरकार की ‘जिम्मेदारी नहीं है’, लेकिन यह अहम है कि लोगों को इनकी विषय-वस्तु और कार्यवाही के बारे में जागरूक किया जाए, क्योंकि ये नये कानून हैं।

उन्होंने कहा, “हमें इन तीन आपराधिक कानूनों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए प्रयास करने होंगे, चाहे वह कॉलेज हों, विश्वविद्यालय हों या अन्य स्थान हों।”

अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं हुई। उन्होंने कहा कि यह बात तब हुई जब उन्होंने हाल में संसद में शाह से मुलाकात की थी।

यह पूछे जाने पर कि हाल में जम्मू-कश्मीर के लिए सुरक्षा समीक्षा संबंधित दो बैठकों में वह उपस्थित क्यों नहीं थे, अब्दुल्ला ने कहा, “अगर यह फैसला लिया जाता है कि चुनी हुई सरकार को सुरक्षा समीक्षा की बैठक के लिए नहीं बुलाया जाएगा, तो हम क्या कर सकते हैं।”

मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) की नियुक्ति के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक के दौरान विपक्ष के नेता राहुल गांधी की असहमति के बारे में पूछे जाने पर अब्दुल्ला ने कहा कि “असहमति उनका (गांधी का) अधिकार था और उन्होंने इसका प्रयोग किया।”

उन्होंने कहा, “ऐसा कहां लिखा है कि विपक्ष के नेता को सरकार के काम से सहमत होना होगा? सहमत होना या न होना सरकार पर निर्भर करता है।”

जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री ने कहा, “ उन्हें (गांधी को) असहमति जताने का अधिकार है…इसलिए वह वहां हैं। वह वहां अपना दृष्टिकोण रखने के लिए हैं, वह वहां केवल सरकार के सुझाव या प्रस्ताव से सहमत होने के लिए नहीं हैं।”

भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने औपनिवेशिक युग की भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान लिया है।

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