उदासी से मुक्त हो जाइए

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उदासी अपने आप में एक रोग है जो मनुष्य को शारीरिक और मानसिक रूप से विकृत कर देता है। गुमसुम एकांत में बैठे रहने की आदत जिंदगी को बोझिल बनाती है। उदासी से बचने के लिए मनुष्य को सदैव सामान्य और हँसमुख, उत्साही एवं क्रियाशील होना चाहिए। मानवी संरचना स्वयं ऐसी है जो प्रकृति के साथ उपयुक्त तारतम्य बिठाकर सहज ही शांत व प्रसन्नचित्त रह सकती है।
शरीर के साथ ही उदासी में मानसिक विकृतियां भी एक बहुत बड़ा कारण होती है। अपने को अकेला, सबसे अलग उपेक्षित समझना ऐसी भूल है जिसका परिणाम जीवन को एकाकी और नीरस बना देता है। अपने आप को समाज का अंग मानकर परिवार को सुखी और उन्नत बनाने में रूचि लेना चाहिए।
घर-परिवार एक ऐसी बगिया है जिसमें विभिन्न आयु और रिश्तों के व्यक्ति रहते हैं। उन सबकी इच्छाएं, आवश्यकताएँ, समस्याएं और विशेषताएं होती हैं। उन्हें तभी समझा जा सकता है जब घनिष्ठता और आत्मीयता का भाव रहे।
इस मनः स्थिति में वे सभी प्रिय लगते हैं और उनके दुःखों को घटाने और सुखों को बढ़ाने में रूचि लेना ऐसा काम है जो व्यक्तित्व का मूल्य बढ़ाता है जिससे प्रसन्नता और खुशियों का वातावरण बनना स्वाभाविक है।
घर, दफ्तर या कहीं भी किन्ही कामों में अपना योगदान करने का अवसर ढूंढ़ना चाहिए, इससे सुव्यवस्था का आनंद मिलेगा और अपने कर्तव्य की उपयोगिता पर हर्ष और गौरव का अनुभव होगा। कामों के अतिरिक्त बचे समय में स्वाध्याय करना चाहिए।
जीवन को ऊंचा उठाने वाली पुस्तकें एक शानदार मित्रा और परामर्शदाता की तरह हैं जो हमारे चिंतन को श्रेष्ठ बनाने में सहयोगी बनती हैं। गंदे उपन्यास, अश्लील साहित्य से सदैव बचना चाहिए। संगीत, रेडियो, टेलीविजन, बागवानी, पशुपालन जैसे कई ऐसे माध्यम हैं जो ज्ञान को बढ़ाते है साथ ही साथ एकाकीपन और उदासी से भी बचाते हैं।
प्रकृति के समीप बैठ उसे परखना, पक्षियों, बादलोें, टीले, जलाशयों, वृक्षों, फल फूलों को यदि रूचिपूर्वक निहारें तो समूचा संसार एक खिले हुए उद्यान की तरह मनोहारी प्रतीत होता है जो सारी उदासी को दूर कर देता है। भविष्य में क्या होने वाला है, किसी को पता नहीं, फिर उसे अनुपयुक्त मानकर अपने आपको चिंता, निराशा, भय, आशंका के गर्त में धकेलना कदापि उचित नहीं।
अपनी सफलताओं और कमियों को मन में लादे रहने से वे बहुत भारी बन जाते हैं। अच्छा यह है कि भूतकाल की सफलताओं और भविष्य की आशाओं को सुंदर गुलदस्ते की तरह सजायें और उसे देखकर अपनी सारी उदासी दूर करके प्रसन्नता में वृðि करते रहें।

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