नयी दिल्ली, 15 फरवरी (भाषा) निर्यातकों का कहना है कि अमेरिका के साथ 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य और द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत करने की योजना से अमेरिका को निर्यात बढ़ाने में भारत को मदद मिलेगी।
निर्यातकों ने कहा कि प्रौद्योगिकी, रक्षा और हरित ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करने से भारत के निर्यात क्षेत्रों को विशेष रूप से लाभ होगा और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी।
भारतीय निर्यात संगठन महासंघ (फियो) के अध्यक्ष अश्विनी कुमार ने बाधाओं को दूर करके और प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करके द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के महत्व को रेखांकित किया।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ और हाईटेक गियर्स के चेयरमैन दीप कपूरिया ने कहा कि 500 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वाशिंगटन की उच्चस्तरीय यात्रा का एक महत्वपूर्ण परिणाम है।
उन्होंने कहा, “चूंकि भारत के पास अमेरिका के साथ व्यापार में अधिशेष है, इसलिए यह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को निर्यात बढ़ाने के मामले में भारत के लिए महत्वपूर्ण लाभ लाएगा। यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि दोनों नेताओं ने 2025 की शरद ऋतु तक पारस्परिक रूप से लाभकारी बहु-क्षेत्रीय द्विपक्षीय व्यापार समझौते की पहली किश्त पर बातचीत करने पर सहमति जताई है।”
कपूरिया ने कहा कि इस निर्णय से उन अमेरिकी निवेशकों को बड़ा बढ़ावा मिलेगा जो भारत में आना चाहते हैं और भारत में नए निवेश अवसरों की तलाश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “भारतीय उद्योग के लिए यह अमेरिका को निर्यात बढ़ाने के साथ-साथ अमेरिकी कंपनियों के नेतृत्व में जीवीसी (वैश्विक मूल्य श्रृंखला) के साथ जुड़ने का एक बड़ा अवसर है।”
साल 2023 में वस्तुओं और सेवाओं में अमेरिका और भारत का द्विपक्षीय व्यापार 190.08 अरब डॉलर (123.89 अरब डॉलर वस्तु व्यापार और 66.19 अरब डॉलर सेवा व्यापार) था। उस वर्ष, अमेरिका को भारत का माल निर्यात 83.77 अरब डॉलर था, जबकि आयात 40.12 अरब डॉलर था, जिससे भारत के पक्ष में 43.65 अरब डॉलर का व्यापार घाटा हुआ।
साल 2023 में अमेरिका को देश का सेवा निर्यात 36.33 अरब डॉलर था, जबकि आयात 29.86 अरब डॉलर था। व्यापार घाटा (आयात और निर्यात के बीच का अंतर) भारत के पक्ष में 6.47 अरब डॉलर था।