निर्वासन कोई नई बात नहीं, बातचीत कर रहे हैं ताकि भारतीयों के साथ कोई दुर्व्यवहार न हो: विदेश मंत्री

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नयी दिल्ली, छह फरवरी (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका के साथ बातचीत कर रही है कि निर्वासित किए जा रहे भारतीयों के साथ किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार न हो।

संसद के दोनों सदनों में दिए अपने वक्तव्य में उन्होंने यह भी कहा कि निर्वासन की प्रक्रिया कोई नयी नहीं है और कई वर्षों से चल रही है।

ज्ञात हो कि अमेरिका में कथित तौर पर बिना दस्तावेजों के रह रहे 104 भारतीयों को निर्वासित किए जाने के मुद्दे पर बृहस्पतिवार को संसद के दोनों सदनों में विपक्ष ने हंगामा किया।

कई विपक्षी सदस्यों ने निर्वासन के दौरान भारतीयों के साथ किए गए व्यवहार को लेकर रोष व्यक्त किया था।

जयशंकर ने कहा, ‘‘हम निश्चित तौर पर अमेरिकी सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए बातचीत कर रहे हैं कि वापस आ रहे भारतीयों के साथ उड़ान के दौरान किसी भी तरह का दुर्व्यवहार नहीं किया जाए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘साथ ही सदन इस बात की सराहना करेगा कि हमारा ध्यान वैध यात्रियों के वीजा को आसान बनाने के लिए कदम उठाते समय अवैध आव्रजन उद्योग पर कड़ी कार्रवाई पर भी होना चाहिए।’’

जयशंकर ने कहा कि अमेरिका से भारतीयों को निर्वासित किए जाने की प्रक्रिया नयी नहीं है और यह सभी देशों का दायित्व है कि यदि उनके नागरिक विदेशों में अवैध रूप से रह रहे हैं तो उन्हें वापस लें।

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘माननीय सदस्य जानते हैं कि लोगों के बीच परस्पर आदान-प्रदान अमेरिका के साथ हमारे गहरे संबंधों का आधार है। वास्तव में किसी भी अन्य रिश्ते की तुलना में गतिशीलता और प्रवासन ने गुणवत्ता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।’’

उन्होंने कहा कि सदन सरकार के दृष्टिकोण को भी साझा करेगा कि वैध आवागमन को प्रोत्साहित करना और अवैध प्रवासन को रोकना हमारे सामूहिक हित में है।

जयशंकर का कहना था, ‘‘वास्तव में, अवैध आवागमन और प्रवासन में कई अन्य संबंधित गतिविधियां शामिल हैं, जो गैरकानूनी भी हैं। इसके अलावा, हमारे नागरिक जो अवैध रूप से आवागमन

में संलिप्त होते हैं, वे स्वयं अन्य अपराधों का शिकार हो जाते हैं। इस क्रम में ये सभी अमानवीय परिस्थितियों के शिकार हो जाते हैं।’’

उन्होंने कहा कि इस तरह के अवैध प्रवासन के क्रम में दुर्भाग्य से मौतें भी हुई हैं तथा जो लोग

लौट आए, उन्होंने अपने कष्टप्रद और भयावह अनुभवों को साझा किया है।

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘अगर वे विदेश में अवैध रूप से रहते हुए पाए जाते हैं तो यह सभी देशों का

दायित्व भी बनता है कि वे अपने नागरिकों को वापस लें। यह स्वाभाविक रूप से उनकी राष्ट्रीयता के स्पष्ट सत्यापन पर आधारित है। यह नीति किसी एक विशिष्ट देश पर लागू नहीं होती, और ना ही केवल भारत द्वारा इसका अनुसरण किया जाता है। यह अंतरराष्ट्रीय संबंधों में एक सामान्य सिद्धांत है।’’

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि निर्वासन की प्रक्रिया कोई नयी नहीं है और कई वर्षों से चल रही है।

जयशंकर ने अमेरिका से अब तक भारत निर्वासित किए गए लोगों के आंकड़े भी सदन के समक्ष रखे। उन्होंने कहा कि साल 2009 में 734, साल 2010 में 799, साल 2011 में 597, साल 2012 में 530 भारतीयों को निर्वासित किया गया। उन्होंने इस संबंध में 2024 तक के आंकड़े साझा किए।

उनके अनुसार, अमेरिका से निर्वासन को आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन अधिकारियों दवारा आयोजित और निष्पादित किया जाता है।

विदेश मंत्री ने दोनों सदनों को बताया, ‘‘हमें सूचित किया गया है कि महिलाओं और बच्चों पर रोक नहीं लगाई गई है। इसके अलावा, पारगमन के दौरान भोजन और संभावित चिकित्सा आपात स्थितियों सहित अन्य आवश्यकताओं से संबंधित निर्वासित लोगों की जरूरतों पर ध्यान दिया जाता है।’’

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘विमान द्वारा निर्वासन के लिए मानक संचालन प्रक्रिया संयम के उपयोग पर बल देती है। हालांकि, हमें सूचित किया गया है कि महिलाओं और बच्चों को रोका नहीं गया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘टॉयलेट ब्रेक के दौरान जरूरत पड़ने पर निर्वासित लोगों को रोका नहीं जाता है। यह चार्टर्ड असैन्य विमानों के साथ-साथ सैन्य विमानों पर भी लागू होता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘5 फरवरी, 2025 को अमेरिका द्वारा लाए गए विमान में पिछली प्रक्रियाओं से कोई बदलाव नहीं किया गया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘निःसंदेह, हम यह सुनिश्चित करने के लिए अमेरिकी सरकार के साथ बातचीत

कर रहे हैं कि लौटने वाले निर्वासित लोगों के साथ उड़ान के दौरान किसी भी तरह का दुर्व्यवहार न हो।’’

जयशंकर ने कहा कि एजेंटों और इसमें शामिल अन्य लोगों के बारे में लौटने वाले निर्वासित लोगों द्वारा प्रदान की गई जानकारी के आधार पर, कानून प्रवर्तन एजेंसियां आवश्यक निवारक कार्रवाई करेंगी।

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