यदि आप चाहते हैं कि वृद्धावस्था आपके लिए बोझ न बने और आप जिंदादिली से बाकी का जीवन व्यतीत करें तो निम्नलिखित बातों पर ध्यान दें। सूर्योदय के पहले उठने तथा टहलने की आदत डालें। नियमित दिनचर्या का पालन करें। तभी आलस्य से दूर रह पायेंगे। दूसरों को सलाह न दें क्योंकि न मानने पर आप क्षुब्ध होंगे। दूसरों के मामले में हस्तक्षेप न करें भले ही परिवार के सदस्य हों। हस्तक्षेप कोई बर्दाश्त नहीं करता। अपने बेटे या बहू से यह अपेक्षा न करें कि वे भी आपकी तरह जीवन के सिद्धांतों व आदर्शों को मानेंगे। आप अपने सिद्धांत उन पर थोपेंगे तो कोई जरूरी नहीं कि वे मानें ही। ऐसी बात ही न करें कि कोई आपको प्रत्युत्तर दे। इससे आपको दुःख व क्षोभ होगा। सब के प्रति शुभ भावना रखें। दूसरों का वैभव व सम्पन्नता देखकर दुखी न हों। जो भी खाने की इच्छा हो, घर के सदस्यों से कहें। बहू-बेटी से अपनी पसंद की डिश भी बनाने को कहें। इच्छाओं को मारें नहीं। भोजन की प्रशंसा भी करें। अच्छे ज्ञानवर्धक, मनोरंजक टी. वी. प्रोग्राम देख कर अपना समय व्यतीत करें। खाली न बैठें। अपने शरीर की सामर्थ्य के हिसाब से छोटे मोटे काम करें। काम करने से तन मन दोनों स्फूर्तियुक्त रहते हैं। हमेशा यह सोचें कि मैं कर्मठ इंसान हूं। इससे मन में उत्साह बना रहेगा। किसी भी बीमारी से परेशान होने पर भी मन से कहें कि मुझे कुछ भी नहीं हुआ है। जो थोड़ा बहुत है, सबके साथ होता है। सप्ताह में एक या दो बार किसी मित्रा के घर जाएं। उदारवादी दृष्टिकोण अपनायें। व्यर्थ की आशंका मन में न पालें। जेनरेशन के गैप को सहजता से स्वीकार करें। अपने पास इतना अवश्य रखें कि आप अपने ढंग से खर्च कर सकें। इससे आत्मबल कभी भी कमजोर नहीं होगा। कुछ बातों को अनदेखा करने का अभ्यास रखें। उपयुक्त बातों पर अमल करने से निश्चय ही बुढ़ापा बोझ साबित नहीं होगा।