अपनी तुलना किसी से न करें

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आपको लगता है कि उसके लुक्स आपसे अच्छे हैं, उसकी त्वचा ज्यादा दमकती हुई है। अगर आप अब तक ऐसा सोचती आई हैं तो अपनी सोच में बदलाव करें। आप जैसी भी हैं, परफेक्ट हैं। किसी और से तुलना की कोई वजह न हो और न ही होनी चाहिए क्योंकि तुलना से आपको तनाव और दुख के अलावा कुछ नहीं मिलता। वैसे भी जब आप अपनी तुलना किसी से करना छोड़ देंगी तो ज्यादा खुश रहेंगी।
आपको दफ्तर में किसी साथी या मॉल में किसी खूबसूरत महिला को देख कर जलन होती है? असल में आप खुद को दर्पण में बहुत बार देखती हैं और हर बार खुद के चेहरे और शरीर में कमियां निकालती रहती हैं। आपने जिसे टीवी, मॉल या दफ्तर में देखा है, उनको कितनी बार गौर से देखा है? असल में आपके पास इतना वक्त ही नहीं होता या आपको इतना वक्त नहीं मिलता कि आप उनकी कमियां ढूंढ पाएं। इसलिए तुलना करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि आप खुद को बहुत अच्छी तरह जानती हैं और सामने वाली को लगभग न के बराबर।
कहावत भी है न कि दूसरे की थाली में घी ज्यादा नजर आता है। इसलिए आप हर वक्त यही सोचती हैं कि सामने वाली आपसे ज्यादा खूबसूरत है। हो सकता है कि आपको देख कर उसके दिमाग में भी यही चल रहा हो कि आप उससे ज्यादा खूबसूरत हैं। आप उसकी पतली कमर पर लट्टू हैं तो वो आप दमकती मुस्कान पर। इसलिए अपने आप में वे चीजें देखना शुरू करें, जो सामने वाला आप में देखता है।
जब भी आप दर्पण में खुद को देखें सबसे पहले अपने चेहरे पर मुंहासे, ब्लैकहेड्स और चेहरे की दूसरी कमियां ढूंढ़ना बंद करें। आप अपने खूबसूरत होंठों को देखें, अपने शरीर के निशानों को देखने की बजाय उसके सुंदर कर्व्स देखें। यदि आप अपने शरीर की अच्छाइयों पर फोकस करेंगी तो आपको धीरे-धीरे लगने लग जाएगा कि आप वाकई खूबसूरत हैं और दूसरी लड़कियों जैसी अच्छी दिखती हैं।
आप खुद को मोटी समझती हैं तो क्यों नहीं पतला होने के लिए मेहनत करतीं? यदि आपको अपने आंखों के नीचे की त्वचा काली दिखाई देती है तो उसे हटाने के उपाय करें। आपको अपनी आंखों का रंग पसंद नहीं है कि रंगीन कॉन्टेक्ट लैंस का इस्तेमाल कर सकती हैं। आप गोरा रंग चाहती हैं तो किसी सौंदर्य विशेषज्ञ से पूछ कर घरेलू फेस पैक लगाएं। आप बस हर चीज को बदलने की कोशिश करें जो आपको खुद में पसंद नहीं है।
अगर कोई आपसे ज्यादा खूबसूरत है तो उससे जलें नहीं बल्कि उसके लिए खुश हों। आपको मालूम न हो, लेकिन हो सकता है कि सुबह-सुबह उसने तैयार होने में काफी वक्त लगाया हो, कितनी मेहनत की हो। केवल जलन के चलते एक संभावित दोस्ती को न  कहें बल्कि उस पर खुश हों।
यदि आप अक्सर औरों की तारीफ करंेगी तो आप दूसरों की ऊपरी खूबसूरती को नहीं बल्कि भीतरी खूबसूरती को देखना सीख जाएंगी। फिर सकारात्मकता संक्रामक होती है। अगर आप दूसरों के लिए सकारात्मक रहेंगी तो फिर आप अपने लिए भी सकारात्मक होना सीख ही जाएंगी।
 

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