एआई की दुनिया में डीपसीक की धूम

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पूरी दुनिया में एक नाम इन दिनों खूब चल रहा है- डीपसीक। यह एक चाइनीज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) कंपनी है जिसने चैट जीपीटी जैसा ही पावर्ड चैटबॉट बनाया है।

चीनी एआई डीपसीक ने पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया है। डीपसीक की वजह से अमेरिका के पसीने छूट रहे हैं। जनवरी में रिलीज़ होने के बाद, कंपनी के चैटबॉट ने एप्पल स्टोर पर सबसे ज्यादा डाउनलोड होने वाले मुफ्त ऐप का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। डीपसीक के नए एप स्टोर पर भी सात दिन के अंदर ही सबसे ज्यादा डाउनलोड होने वाला एप बन गया। डीपसीक का एआई चैटबोट इतना पॉपुलर हो गया कि इसने चैटजीपीटी जैसी कंपनियों के लिए नई चुनौती पेश की है। इसके चलते वॉल स्ट्रीट के बड़े टेक शेयरों में गिरावट देखी गई और अमेरिका की कंपनियों को 86 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो गया।

चीन और और अमेरिका के बीच एआई प्रतियोगिता अब एक नई दिशा में चल पड़ी है। हालत है कि यूएस प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप भी परेशान हो गए हैं। उन्हें ये कहना पड़ा कि डीपसीक अमेरिका की सारी कंपनियों के लिए वेक-अप कॉल है।

 आपको बता दें कि डीपसीक का मुख्यालय चीन के दक्षिण पूर्वी शहर हांगचो में है। इसकी स्थापना जुलाई 2023 में हुई थी। संस्थापक 40 वर्षीय इन्फार्मेशन एंड इलेक्ट्रानिक इंजीनियर लिआंग वेनफेंग हैं जिन्होंने हेज फंड के जरिये पैसा जुटाकर यह स्टार्टअप बनाया। डीपसीक का एआइ एप उसकी वेबसाइट और एपल स्टोर पर उपलब्ध है।

 ज्यादा किफायती है डीपसीक

डीपसीक की गुणवत्ता काफी बेहतर और लागत काफी कम है। इसकी विकास लागत सिर्फ 5.6 लाख डॉलर रही है जबकि अमेरिकी कंपनियों ने अरबों डॉलर खर्च किए हैं । दरअसल इसको एनवीडिया की एच800 चिप का इस्तेमाल करके बनाया गया है जो मध्यम रेंज की चिप है। इसमें महंगे हार्डवेयर की जरूरत भी कम होती है। इसलिए यह 90-95 प्रतिशत ज्यादा किफायती है और फिलहाल यह सेवा मुफ्त है।

इसके बावजूद यह अमेरिकी प्रौद्योगिकी की तुलना में लगभग समान प्रदर्शन करता है। विभिन्न समस्याओं और कार्यों को पूरा करने में इसका स्कोर 92 प्रतिशत रहा है जबकि चैटजीपीटी-4 का स्कोर 78 प्रतिशत है। यह माडल मैथ्स, कोडिंग और सामान्य ज्ञान से जुड़े कामों का बेहद कारगर है।  

कैसे अलग है डीपसीक की तकनीक

इसमें मिक्सचर-ऑफ-एक्सपर्ट्स आर्किटेक्चर तकनीक का इस्तेमाल होता है। इस इनोवेटिव तकनीक के मॉडल्स खुद से सीखते है, गलतियां करते हैं और फिर उन गलतियों से सुधार करते हैं। उन्हें रिवॉर्ड मिलते हैं जिससे वे समझ पाते हैं कि क्या सही है। मान लीजिए, आपके पास एक टीम है, जहां हर सदस्य किसी खास काम में एक्सपर्ट है। जब कोई काम आता है तो सिर्फ वही एक्सपर्ट काम करता है जो उस काम में सबसे अच्छा है। यही इसकी तकनीक है। डीपसीक-वी3 मॉडल में मल्टी हेड लैटेंट अटेंशन नाम की तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिससे यह मॉडल डेटा को गहराई से समझ पाता है।

ओपन एआइ के लिए खतरा क्यों?

ओपनएआइ ने महंगे हार्डवेयर का इस्तेमाल कर अपना एआइ माडल चैटजीपीटी बनाया है जबकि डीपसीक महंगे हार्डवेयर पर निर्भर नहीं है। डीपसीक के आर1 को चैटजीपीटी से बेहतर बताया जा रहा है। ओपनएआइ में चार हजार से ज्यादा कर्मचारी हैं जबकि डीपसीक ने 200 कर्मचारियों की टीम से तकनीक की दुनियों में हलचल मचाने वाले उत्पाद तैयार किया है। डीपसीक का आर1 आने के बाद ओपनएआइ ने 01 माडल लांच किया है। डीपसीक के चैटबाट सभी के लिए उपलब्ध है जबकि ओपनएआइ का 01 माडल अभी सभी के लिए उपलब्ध नहीं हैं।

 

शुरू होते ही खत्म हो जाएगा डीपसीक!

कुछ लोगों का मानना है कि चाइनीज एआई टूल डीपसीक शुरू होते ही खत्म हो जाएगा। ऐसा वे इसलिए कह रहे हैं क्योंकि यह चीन से जुड़े सवालों को फिल्टर कर रहा है और सही जानकारी नहीं दे रहा है। चीन में निर्मित ये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कोविड 19, थाईमैन चॉक  जैसी चीन में हो चुकी घटनाओं से जुड़े कई सवालों का जवाब नहीं दे रहा है। यही नहीं, अरुणाचल प्रदेश से जुड़े सवाल का भी इस चैट बॉट के पास सही जवाब नहीं है। दरअसल, इसका उत्तर चीनी आधिकारिक बयान के अनुरूप रहता है। डीपसीक के चैटबॉट ने चीन के आधिकारिक रुख का पालन करते हुए संवेदनशील विषयों पर अपने उत्तरों को सेंसर करता है। 2023 में चीन ने नए नियम लागू किए थे जिसमें कंपनियों को अपने उत्पादों को सार्वजनिक रूप से लॉन्च करने से पहले सुरक्षा समीक्षा और अनुमोदन प्राप्त करना अनिवार्य किया गया था, इसलिए डीपसीक सरकार से जुड़े सवालों के जवाब नहीं दे रहा है।

वहीं ओपन एआइ का चैट जीपीटी इन मुद्दों पर अधिक गहन और निष्पक्ष जानकारी प्रदान करता है, हालांकि डीपसीक  का लॉन्च एआई उद्योग में चीन की बढ़ती भूमिका का संकेत है और अमेरिका-चीन एआई प्रतिस्पर्धा में एक नया अध्याय जोड़ता है।

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