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आप अक्सर बड़े-बूढ़ों, नवयुवकों, यहां तक कि छोटे छोटे बच्चों को भी बीड़ी-सिगरेट मुंह में लगाए अदा से मुंह व नाक से धुआं छोड़ते देखते हैं। तम्बाकू, पान, गुटखा आदि खाने वालों से भी अक्सर आपका पाला पड़ता होगा। हो सकता है कि उन चीजों में से किसी एक का आप भी शौक फरमाते हों।
यदि आप पान, बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू, शराब, ड्रग्स अथवा कॉफी-चाय का सेवन कर रहे हों तो कृपया संभल जाइए क्योंकि आप धीरे-धीरे मौत (कैंसर) की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।
धूम्रपान से हानिः- धूम्रपान के प्रचलित साधनों सिगरेट, बीड़ी, पाइप, सिगार आदि का मूल तत्व ‘तम्बाकू‘ है। इसमें ‘एल्केलॉयड निकोटिन‘ नामक पदार्थ 1 से 3 प्रतिशत तक रहता है जिसकी दो बूंदों से कुत्ता तथा आठ बूंदों से घोड़ा मर सकता है। अनुमान है कि निकोटिन का प्रभाव पोटेशियम सायनाइड जैसे घातक जहर के समान है। तम्बाकू के कारण खांसी, रक्तचाप, फेफड़े का रोग और कैंसर जैसे रोग होते हैं।
धूम्रपान का धुआं, जिसमें कार्बन डाईऑक्साइड अत्यधिक मात्रा में होता है, फेफड़े को जलाता है और इसके चारों ओर कालिख की तह जमाकर उन्हें बेकाम कर देता है। धूम्रपान करने वाले से अधिक धुआं उसके बगल में बैठे व्यक्तियों को पीना पड़ता है।
मादक द्रव्यों से हानियांः- मादक द्रव्यों में प्रमुखतः शराब, चाय, कॉफी, अफीम, गांजा, चरस, भांग आदि प्रयोग किये जाते हैं।
शराब पीने वाले बताते हैं कि इससे उनके शरीर में स्फूर्ति आती है, थकान दूर होती है तथा यह गम भुलाने में सहायक है लेकिन वास्तव में शराब पीने से पाचन शकित मंद हो जाती है। इसका स्प्रिट आमाशय आदि कोमल अंगों को जलाकर काला और कड़ा कर देता है जिससे उनकी रस छोड़ने की शक्ति क्षीण हो जाती है। यकृत पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। इसका अंतिम पड़ाव कैंसर है जो इससे होने वाले तमाम दुःखों से निजात दिलाता है।
कोकीन खाने वालों की प्रारंभ में शरीर की थकान मिटती है लेकिन बाद में भूख की कमी, अनिद्रा, चेहरा पीला पड़ना, याददाश्त की कमी आदि बीमारियों के बाद मृत्यु तक हो जाती है।
अफीम, भांग, गांजा, चरस आदि का कुप्रभाव भी हृदय मस्तिष्क, आमाशय आदि पर पड़ता है और वे बेकाम हो जाते हैं। चाय और कॉफी ऐसे मादक पेय हैं, जिनका सेवन लगभग 90 प्रतिशत लोग करते हैं। शायद ही कोई ऐसा परिवार होगा जिसमें एक भी सदस्य इनका सेवन न करता हो। इनके सेवन से हृदय की धड़कन बढ़ती है, अनिद्रा, कोष्ठबद्धता, सिरदर्द, बदन दर्द आदि होते हैं तथा स्नायुमंडल पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
नशासेवन के मुख्य कारणः- नशासेवी व्यक्तियों से बात करने पर अक्सर यह सुनने को मिलता है कि उनके फलां रिश्तेदार या दोस्त ने जबरदस्ती इनकी आदत लगा दी या किसी बड़े व्यक्ति की देखा-देखी उसने इनका सेवन प्रारंभ किया और धीरे-धीरे लत लग गई। कुछ व्यक्ति गम भुलाने की इच्छा को इसका कारण बताते हैं। सोचने वाली बात है कि यदि वास्तव में धूम्रपान या मद्यपान से गम दूर हो जाता तो दुनियां में कोई व्यक्ति दुःखी नहीं रहता। वैसे इनके सेवन का कोई भी कारण हो, आखिर यह है तो बुरी चीज ही न?
नशासेवन से मुक्ति कैसेः- धूम्रपान या मादक द्रव्यों का सेवन एकाएक बंद नहीं किया जा सकता। वैसे उन्हें छोड़ना तो साधारण इच्छाशक्ति वाले व्यक्तियों हेतु संभव ही नहीं है। इसके लिए मनुष्य को अपनी संकल्प शक्ति व दृढ़ निश्चय का प्रयोग करना होगा।
यदि हम उज्जवल नशामुक्त जीवन की कल्पना करें, नई पीढ़ी के सुखद भविष्य के बारे में सोचें तो कठिन-सा दिखने वाला यह कार्य काफी आसान बन जाएगा।
इन बुरी आदतों से बर्बाद हुए व्यक्तियों, घरांे व उनके अनाथ बच्चों के दुःख दर्द के बारे में सोचें। क्या आप भी अपना, अपने परिवार व बच्चों का भी वैसा ही बुरा हाल करना चाहते हैं? नहीं, न। तो दृढ़ निश्चय कर धीरे-धीरे इनका सेवन बंद करना चाहिए।
धूम्रपान या मद्यपान छोड़ने पर प्रारंभ में बहुत बेचैनी महसूस होती है, रक्तचाप बढ़ जाता है और नाडि़यों की धड़कन मंद होने लगती है लेकिन इनसे घबराना नहीं चाहिये। ये प्रभाव अस्थायी होते हैं और शीघ्र ही दूर हो जाते हैं। इनका सेवन बंद करते ही कई बीमारियां स्वतः दूर हो जाती हैं। आप यदि चाहें तो किसी योग्य चिकित्सक या नशामुक्ति केन्द्रों से भी संपर्क कर सकते हैं।
आइए, आज हम सभी यह प्रण करें कि इन बुरी आदतों के शिकार न तो खुद होंगे, न दूसरों को होने देंगे तथा उनके शिकार व्यक्तियों को इनके चंगुल से निकालने में सहायक सिद्ध होंगे।