नयी दिल्ली, दिल्ली विधानसभा की 70 सीट के लिए हुए चुनाव की मतगणना शनिवार को 19 स्थानों पर कड़ी सुरक्षा के बीच प्रारंभ हो गई।
दिल्ली की मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) एलिस वाज ने बताया कि मतगणना के लिए पर्यवेक्षकों और सहायकों, ‘माइक्रो-ऑब्जर्वर’ और प्रशिक्षित सहायक कर्मियों समेत पांच हजार कर्मचारियों को तैनात किया गया है।
सबसे पहले डाक मतपत्रों की गिनती की जाएगी और उसके 30 मिनट बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में दर्ज मतों की गणना शुरू होगी।
इसके बाद डाक मतपत्रों और ईवीएम के माध्यम से डाले गए मतों की गिनती एक साथ जारी रहेगी।
अधिक पारदर्शिता के लिए 2019 से प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में किन्हीं भी पांच मतदान केंद्रों पर वीवीपैट (वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) पर्चियों का मिलान ईवीएम में दर्ज मतों से किया जाता है।
दिल्ली की 70 विधानसभा सीट पर पांच फरवरी को हुए मतदान में 1.55 करोड़ पात्र मतदाताओं में से 60.54 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था।
प्रत्येक केंद्र पर अर्धसैनिक बलों की दो कंपनियों समेत 10,000 पुलिसकर्मियों को तैनात कर त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई है।
नतीजों से पता चलेगा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) का राजनीतिक दबदबा बरकरार रहता है या भाजपा 1998 के बाद पहली बार सत्ता में वापसी करने में कामयाब रहती है।
अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली ‘आप’ ने 2015 से दिल्ली की राजनीति में अपना दबदबा बनाए रखा है, उस साल हुए विधानसभा चुनावों में 70 में से 67 सीट जीतकर भाजपा और कांग्रेस दोनों को हराया था।
इसके बाद 2020 के विधानसभा चुनावों में आप ने 62 सीट जीतकर सत्ता में वापसी की।
अगर ‘आप’ इस बार चुनाव जीतती है तो दिल्ली में केजरीवाल का दबदबा फिर से स्थापित होगा और राष्ट्रीय स्तर पर उनका राजनीतिक कद भी बढ़ेगा।
हालांकि, अगर भाजपा जीतती है तो वह न केवल 26 साल से अधिक समय के बाद राष्ट्रीय राजधानी की सत्ता में वापसी करेगी, बल्कि ‘आप’ और केजरीवाल के हाथ से दिल्ली की बागडोर भी छीन लेगी।
दिल्ली की सत्ता पर 1998 से 2013 तक राज करने वाली कांग्रेस पिछले दो चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई और इस चुनावों में वह भी वापसी की कोशिश कर रही है।