बच्चों की परीक्षा : आई बोर्ड परीक्षा :क्या करें मॉम डैड बच्चों को दें संबल,मार्गदर्शन एवं आत्मविश्वास
Focus News 19 February 2025 0
एक बार फिर से सीबीएसई की बोर्ड परीक्षाएं सर पर हैं। हर साल फरवरी मार्च परीक्षाकाल बनकर आते हैं । परीक्षाओं का मतलब ही है साल भर में जो आपने पढ़ा, लिखा है उसका मूल्यांकन होता है । इस मूल्यांकन के आधार पर ही बच्चों का परिणाम घोषित किया जाता है और यह परिणाम बच्चों के करियर और जीवन दोनों को एक दिशा देता है ।
कहने को तो परीक्षा में केवल बच्चे शामिल होते हैं क्योंकि वे ही पढ़ते लिखते हैं और उनका ही मूल्यांकन किया जाता है लेकिन इसका दूसरा पहलू बहुत रोचक एवं महत्वपूर्ण है। दरअसल परीक्षा केवल परीक्षार्थीयों का ही नहीं वरन् माता- पिता व शिक्षकों का भी कड़ा इम्तिहान लेती है आजकल । अतः आज ज़रूरत है कि अपने बच्चे की खातिर माता- पिता भी कुछ बातों का ध्यान रखें । अपने बच्चों के अच्छे परीक्षा परिणाम के लिए कुछ बातों का खास ध्यान रखा जाना बहुत ज़रूरी है जिससे परीक्षाएं बच्चों के लिए एक हौव्वा बनकर न आए।
समय पर दें पाठ्य सामग्री :
माता-पिता का पहला फर्ज है बच्चों को समय पर कॉर्स की पुस्तकें, सहायक पुस्तकें, सैम्पल पेपर एवं अन्य सामग्री समय पर उपलब्ध कराएं। देरी का मतलब है अध्ययन में व्यवधान । आज का युग डिजिटल योग है इसलिए केवल पुस्तकों से काम नहीं चलता बल्कि उन्हें डिजिटल सामग्री भी उपलब्ध कराने में संकोच न करें और हां यदि आपके बच्चों पर शक है तो उन पर निगाह जरूर रखें क्योंकि डिजिटल सामग्री के बहाने बच्चे कई बार अधिक समय खराब कर देते हैं।
हिम्मत बढ़ाएं, सकारात्मक बने:
जब बच्चों का परीक्षा काल चल रहा होता है तो वह अंडर स्ट्रेस आ जाते हैं यानी उनके मन पर परीक्षा का एक दबाव हावी हो जाता है और इसमें और भी बढ़ोतरी कर देते हैं मां बाप के सपने एवं उनकी बार-बार की टोकाटाकी तथा नकारात्मक टिप्पणियां ,इसलिए बेहतर हो कि बच्चों के साथ मधुर व्यवहार करें, समय-समय पर उसकी हिम्मत बढ़ाएं और सकारात्मक व मजबूत पक्षों से परिचित कराएं । कमियों पर लताड़ने की बजाय आगे बढ़कर उसकी मदद करें।
मदद करें :
परीक्षा के समय उसे घर के कामों में न उलझाएं बल्कि पढ़ने का पूरा मौका दें। यदि आपकी किसी विषय या टॉपिक विशेष कर खास पकड़ है तो बच्चे को ज़रूरत के अनुसार मदद दें। वक्त-वक्त पर उसके नोट्स आदि पर नज़र डालें । और बजाय उसे किताबों या नोट्स से रटने के यदि हो सके तो मनोरंजक तरीके से या एक्टिविटी मेथड से सीखने में मदद करें। उसकी विशेषताओं को सराहें।
फैसिलिटेट करें
बच्चे के बैठने,पढ़ने, उचित प्रकाश तथा खाने-पीने और मनोरंजन का भी ध्यान रखें। यदि ट्यूशन की जरूरत हो तो उसकी भी व्यवस्था करें। अच्छा हो- ट्यूटर ही घर पर आएं ट्यूटर का चुनाव उसके ज्ञान, योग्यता एवं बच्चे की जरूरत के अनुसार किया जाना चाहिए। समय-समय पर ट्यूटर से बात करके बच्चे की प्रगति की जानकारी लेते रहें।
खान पान का ध्यान रखें :
परीक्षा का मतलब सजा नहीं है अतः बच्चे को स्कूल या घर के कमरे में ही कैद करके न रखें । उसकी सेहत व दिमाग की ताज़गी के लिए सुबह शाम घूमने दे या स्वयं घुमाने ले जाएं । मनोरंजन एवं शारीरिक स्वास्थ्य के लिए उसे थोड़े समय के लिए हल्के-फुल्के खेल भी खेलने दें। उसे पौष्टिक एवं सुपाच्य भोजन दें । अधिक से अधिक तरल पदार्थ जैसे दूध लस्सी जूस एवं नारियल पानी आदिउपलब्ध करवाएं तथा इस बात का भी ध्यान रखें कि बच्चा न तो भूखा रहे और न ही अत्यधिक खाए। अधिक खा लेने पर उसे आलस्य एवं नींद सताएगी । बाजार के चटपटे मसालेदार भोजन जैसे फास्ट फूड एवं नूडल्स आदि से दूर रखें । फल एवं ड्राई फ्रूट्स जरूर दें।
टाइम मैनेजमेंट और कॉन्फिडेंस :
बच्चे के सोने का समय निश्चित करें और उसे प्रेरित करें कि नियत समय से पहले ही वह अपना निर्धारित अध्ययन कार्य पूरा कर ले। जैसे-जैसे परीक्षा निकट आए, वैसे-वैसे उसे लक्ष्य केन्द्रित बिंदुवार अध्ययन को प्रेरित करें व प्रश्न के निर्धारित अंक भार के अनुसार समय विभाजन करना सिखाएं। सबसे महत्वपूर्ण है बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ाएं, निराशा से बचाएं ।
प्रेशर नहीं बनाएं :
बात-बात पर बच्चों को झिड़के नहीं , मार पीट तो कतई नहीं। उस पर अधिकतम अंक लाने का तनाव न लादें, दबाव न बनाएं। याद रहे हर बच्चे की अपना क्षमता है। उस पर दिन-रात रटने-पढ़ने का दबाव न डालें। उसे दिन-रात परीक्षा की भयावहता के भाषण न दें। एक परीक्षा के आधार पर उसे ‘डू’ और ‘डाई की तरफ कदापि न ले जाएं।
प्रतिष्ठा का प्रश्न न बनाएं:
आज परीक्षा परिणाम बच्चों ही नहीं मां-बाप की भी प्रतिष्ठा का पैमाना भी बन गई है, अपनी प्रतिष्ठा और बच्चे के भविष्य तथा सपनों की पूर्ति के लिए थोड़ा सा समय, प्रेरणा, उत्साहवर्द्धन और मार्गदर्शन अपने बच्चे को दीजिए और फिर देखिए किस आसानी से वह परीक्षा अच्छे अंकों से उत्तीर्ण करता है।
और अंत में बच्चों की परीक्षा को अपना प्रतिष्ठा का प्रश्न बिल्कुल ना बनाएं उसके जैसे भी अंक आए उसे स्वीकार करें और उसका मनोबल बढ़ाएं।