नयी दिल्ली, तृणमूल कांग्रेस सदस्य सुष्मिता देव ने मणिपुर संकट के समाधान के तौर पर मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे को नाकाफी करार देते हुए ‘राज्य प्रायोजित अशांति’ की जांच की मांग उठाई और कहा कि तभी सच्चाई सामने आएगी।
केंद्रीय बजट 2025-26 पर चर्चा में भाग लेते हुए देव ने दावा किया, ‘‘बीरेन सिंह को केवल इसलिए इस्तीफा देने के लिए कहा गया है क्योंकि भारत का पूरा आदिवासी समुदाय भाजपा से दूर चला गया है।’’
उन्होंने तर्क दिया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘लुक ईस्ट’ नीति से ‘एक्ट ईस्ट’ नीति में बदलाव की रणनीति विफल हो गई है क्योंकि मणिपुर जो ‘एशिया का प्रवेश द्वार’ है, अब भी जल रहा है।
देव ने क्षेत्रीय मुद्दों पर पूर्वोत्तर के अपने सहयोगियों की चुप्पी की आलोचना की और बजट को क्षेत्र के लिए ‘असंवेदनशील’ करार दिया।
असम से ताल्लुक रखने वाली तृणमूल सदस्य ने वित्त मंत्री द्वारा अपने बजट भाषण में मणिपुर और उसके लिए एक व्यापक पुनर्वास पैकेज का जिक्र नहीं करने की भी आलोचना की।
उन्होंने दावा किया कि मणिपुर में लगभग 60,000 लोग विस्थापित हुए हैं जबकि हजारों लोग अन्य राज्यों में भाग रहे हैं।
असम गण परिषद के बीरेंद्र प्रसाद बैश्य ने असम में पूर्ण रेल विद्युतीकरण और नए नामरूप यूरिया संयंत्र का हवाला देते हुए बजट की सराहना की और इसे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक बताया।
कांग्रेस नेता अखिलेश प्रसाद सिंह ने विभाजन के बाद से बिहार की अनदेखी किए जाने का आरोप लगाते हुए सरकार की आलोचना की और कहा कि 2047 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने की आवश्यकता है।
उन्होंने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की।
यह कहते हुए कि बिहार का विकास मोदी सरकार की प्राथमिकता नहीं है, सिंह ने आरोप लगाया, ‘‘आप वोट चाहते हैं और राज्य को पिछड़ा रखते हैं। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि सरकार शीर्ष उद्योगपतियों के दबाव में काम कर रही है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उद्योगपति चाहते हैं कि राज्य देश के लिए श्रम का कारखाना बना रहे ताकि उनका उद्योग सुचारू रूप से चले।’’