चंद्रयान-4 को 2027 में अंतरिक्ष में भेजा जाएगा : केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह

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Chandrayaan-Mission

नयी दिल्ली, छह फरवरी (भाषा) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा है कि भारत वर्ष 2027 में चंद्रयान-4 मिशन को लॉन्च करेगा, जिसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह से चट्टानों के नमूने एकत्र कर पृथ्वी पर लाना है।

चंद्रयान-4 मिशन के तहत दो अलग-अलग प्रक्षेपण किये जाएंगे, जिनमें अत्यधिक वजन ले जाने वाले प्रक्षेपण यान (एलवीएम) के माध्यम से मिशन के पांच उपकरणों को भेजा जाएगा। उन्हें अंतरिक्ष में एक-दूसरे से जोड़ा जाएगा।

सिंह ने पीटीआई-वीडियो को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘चंद्रयान-4 मिशन का लक्ष्य चंद्रमा की सतह से नमूने एकत्र करना और उन्हें पृथ्वी पर लाना है।’’

मंत्री ने बताया कि गगनयान को अगले साल अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। मिशन के अंतर्गत भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजा जाएगा और सुरक्षित रूप से धरती पर वापस लाया जाएगा।

उन्होंने कहा कि समुद्र की सतह का अन्वेषण करने के लिए 2026 में भारत समुद्रयान को लॉन्च करेगा, जिसमें तीन वैज्ञानिकों को एक विशेष पनडुब्बी के जरिये महासागर की 6,000 मीटर गहराई तक भेजा जाएगा।

सिंह ने कहा, ‘‘यह उपलब्धि भारत के अन्य प्रमुख मिशन के तर्ज पर होगी और यह वैज्ञानिक उत्कृष्टता की ओर देश की यात्रा में एक और महत्वपूर्ण कदम होगा।’’

उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में समुद्रयान मिशन का जिक्र किया था।

मंत्री ने कहा कि समुद्रयान मिशन महत्वपूर्ण खनिज, दुर्लभ धातुओं और अज्ञात समुद्री जैव विविधता तलाशने में मदद करेगा और देश की आर्थिक प्रगति और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।

गगनयान मिशन के तहत रोबोट ‘व्योममित्र’ को इस वर्ष अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।

सिंह ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(इसरो) की स्थापना 1969 में हुई थी, लेकिन पहला प्रक्षेपण स्थल 1993 में स्थापित करने में दो दशक से अधिक का समय लगा।

उन्होंने कहा कि दूसरा प्रक्षेपण स्थल 2004 में स्थापित किया गया।

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले 10 वर्षों में भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास किया है।’’

सिंह ने कहा, ‘‘हम अब तीसरा प्रक्षेपण स्थल बना रहे हैं, और भारी रॉकेट एवं छोटे उपग्रहों का प्रक्षेपण करने के लिए तमिलनाडु के तूतीकोरिन जिले में एक नया प्रक्षेपण स्थल तैयार करने के साथ श्रीहरिकोटा से आगे भी विस्तार कर रहे हैं।”

मंत्री ने कहा कि भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था वर्तमान में 8 अरब अमेरिकी डॉलर की है और अगले 10 वर्षों में बढ़कर 44 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा कि “नये बुनियादी ढांचे, निजी भागीदारी और रिकॉर्ड निवेश के साथ, आने वाले वर्षों में भारत और बड़ी उपलब्धियां हासिल करने के लिए तैयार है।”

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