नयी दिल्ली, दिल्ली में प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है और इसे हल करने के लिए कृषि अवशेषों (जैसे फसल की पराली) का बेहतर तरीके से प्रबंधन करना जरूरी है। एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कंप्रेस्ड (संपीड़ित) बायोगैस (सीबीजी) पराली जलाने और वाहनों से होने वाले उत्सर्जन दोनों से निपटने में एक स्थायी समाधान प्रदान करती है।
नोमुरा रिसर्च इंस्टिट्यूट कंसल्टिंग एंड सॉल्यूशंस इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, गर्मियों में दिल्ली के प्रदूषण में वाहनों का योगदान 20 प्रतिशत और पराली जलाने का योगदान 16 प्रतिशत है, जबकि सर्दियों में ये आंकड़ा बढ़कर क्रमशः 30 प्रतिशत और 23 प्रतिशत हो जाता है।
रिपोर्ट में कहा गया, “इससे भी बुरी बात यह है कि पराली जलाने के चरम मौसम के दौरान, बायोमास-जलाने से उत्सर्जन अक्सर 30 प्रतिशत से अधिक हो जाता है।”
इसमें कहा गया है कि हालांकि शहर की जहरीली हवा कई अन्य स्रोतों जैसे वाहनों के उत्सर्जन, निर्माण धूल, बायोमास जलाना (जिसमें धान की पराली जलाना भी शामिल है), और औद्योगिक उत्सर्जन से भी आती है।
रिपोर्ट कहती है कि सीबीजी को प्रदूषण नियंत्रण के उपाय के रूप में सफलतापूर्वक लागू करने और इसे लंबे समय तक प्रभावी बनाने के लिए सरकार, निजी क्षेत्र और किसानों को मिलकर काम करना जरूरी है।