नयी दिल्ली, दिल्ली में पिछले 10 वर्षों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का मत प्रतिशत लगभग 13 अंक बढ़ा है जबकि इसी अवधि के दौरान ‘आप’ का मत प्रतिशत लगभग 10 अंक कम हुआ है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा और आम आदमी पार्टी (आप) के मतों में मात्र दो प्रतिशत का अंतर रहा।
भाजपा ने राष्ट्रीय राजधानी में 70 में से 48 सीट जीतकर सत्ता हासिल कर ली है तथा ‘आप’ को 22 सीट पर जीत मिली।
भाजपा ने 26 साल से अधिक समय बाद राष्ट्रीय राजधानी की सत्ता में वापसी की है। दिल्ली में कांग्रेस लगातार तीसरी बार एक भी सीट नहीं जीत सकी।
‘आप’ को 43.57 प्रतिशत मत मिले, जो 2020 के चुनाव में 53.57 प्रतिशत से कम है। वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में उसे 54.5 प्रतिशत मत मिले थे। ऐसा शायद पहली बार है कि कोई पार्टी 40 प्रतिशत मत प्राप्त करने के बाद भी चुनाव हार गई।
वर्ष 2020 और 2015 में ‘आप’ ने क्रमशः 67 और 62 सीट हासिल करके भारी जनादेश हासिल किया था।
भाजपा ने 45.56 प्रतिशत मत हासिल किये और 48 सीट जीतीं। भाजपा का मत प्रतिशत 2020 के चुनाव में मिले 38.51 प्रतिशत और 2015 के चुनाव में हासिल 32.3 प्रतिशत के मुकाबले बढ़ा है।
वर्ष 1998 से 2013 तक 15 साल तक दिल्ली में सत्ता में रही कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली और उसे 6.34 प्रतिशत मत मिले। देश की सबसे पुरानी पार्टी के लिए एकमात्र राहत की बात यह रही कि पिछली बार की तुलना में इस बार उसके मत प्रतिशत में 2.1 प्रतिशत का सुधार हुआ।
कांग्रेस को 2020 के विधानसभा चुनाव में 4.3 प्रतिशत मत मिले थे। कांग्रेस को इस बार मिले 6.34 फीसदी वोट के चलते ‘आप’ को सभी विधानसभा क्षेत्रों में नुकसान उठाना पड़ा।