नयी दिल्ली, 15 फरवरी (भाषा) केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) को 6, फ्लैगस्टाफ रोड बंगले के विस्तार के लिए संपत्तियों के कथित विलय और इसकी साज-सज्जा पर हुए खर्च की विस्तृत जांच करने का निर्देश दिया है।
भाजपा ने कथित भ्रष्टाचार के कारण इस बंगले को ‘‘शीशमहल’’ करार दिया है। इसमें अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में 2015 से पिछले साल अक्टूबर के पहले सप्ताह तक रहे थे।
इस मामले पर आम आदमी पार्टी (आप) या इसके संयोजक केजरीवाल ने तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
सीवीसी ने भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता की दो पिछली शिकायतों और सीपीडब्ल्यूडी की तथ्यात्मक रिपोर्टों का संज्ञान लिया है और उसके आधार पर अब विस्तृत जांच करने का निर्देश दिया है।
रोहिणी से नवनिर्वाचित भाजपा विधायक गुप्ता ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 14 अक्टूबर 2024 को सीवीसी को की गई उनकी पहली शिकायत में आरोप लगाया गया था कि केजरीवाल ने 40,000 वर्ग यार्ड (आठ एकड़) जमीन पर एक भव्य महल के निर्माण के लिए भवन नियमों का उल्लंघन किया।
गुप्ता ने आरोप लगाया कि राजपुर रोड पर भूखंड संख्या 45 और 47 (पहले ‘टाइप-फाइव’ फ्लैट में वरिष्ठ अधिकारियों और न्यायाधीशों के आवास थे) तथा दो बंगलों (8-ए और 8-बी, फ्लैग स्टाफ रोड) समेत सरकारी संपत्तियों को ध्वस्त कर दिया गया और नए आवास में मिला दिया गया। उन्होंने कहा कि इस दौरान मानदंडों का उल्लंघन किया गया और उचित अनुमोदन नहीं लिया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘ सीवीसी ने 16 अक्टूबर 2024 को शिकायत दर्ज की और मामले को सीपीडब्ल्यूडी को भेज दिया जिसने उल्लंघन की पुष्टि करते हुए पांच दिसंबर 2024 को अपनी तथ्यात्मक रिपोर्ट सौंपी। इसके बाद 13 फरवरी 2025 को सीवीसी ने सीपीडब्ल्यूडी को मामले की पूर्ण जांच करने का निर्देश दिया।’’
गुप्ता ने अपनी दूसरी शिकायत में 6, फ्लैग स्टाफ रोड स्थित बंगले की मरम्मत और आंतरिक साज-सज्जा पर ‘‘जरूरत से अधिक खर्च’’ किए जाने का आरोप लगाया। उन्होंने 21 अक्टूबर 2025 को सीवीसी में दूसरी शिकायत दर्ज कराई थी।
गुप्ता ने फ्लैगस्टाफ रोड स्थित बंगले में ‘‘विलासितापूर्ण सुविधाओं’’पर सार्वजनिक धन के ‘‘चौंकाने वाले दुरुपयोग” का आरोप लगाया। यह बंगला दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में केजरीवाल का आधिकारिक निवास है।
उन्होंने कहा, ‘‘शिकायत में बहुत अधिक व्यय का उल्लेख है, जिसमें टेलीविजन पर 77 लाख रुपये, रेशमी कालीन पर 50 लाख रुपये, पीतल की रेलिंग पर 42 लाख रुपये, स्पा पर 20 लाख रुपये, गर्म पानी पर 18 लाख रुपये तथा शौचालय की सीट पर 12 लाख रुपये खर्च किए गए हैं।’’
उन्होंने कहा कि सीवीसी ने सीपीडब्ल्यूडी से उनकी दूसरी रिपोर्ट पर तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है, जो 24 दिसंबर 2024 को प्रस्तुत की गई थी और उसमें ‘‘फिजूलखर्ची और अनुचित खर्च’’ के आरोपों की पुष्टि की गई थी।