दिल्ली विधानसभा चुनाव में ‘आप’ के बड़े नेताओं की हार के बीच आतिशी ने बचाई अपनी सीट

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नयी दिल्ली, आम आदमी पार्टी (आप) की नेता आतिशी ने पिछले साल जब मुख्यमंत्री का पद संभाला था, तब उन्होंने अपने कार्यालय में पार्टी संयोजक एवं अपने पूर्ववर्ती अरविंद केजरीवाल के लिए एक कुर्सी खाली रखी थी और कहा था कि यह कुर्सी ‘‘उनका इंतजार करेगी’’ जबकि कुछ लोगों ने उन्हें ‘‘अस्थायी मुख्यमंत्री’’ करार दिया था।

शनिवार को जब दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आने लगे और केजरीवाल समेत ‘आप’ के बड़े नेता एक-एक करके हार गए, तब आतिशी पार्टी के उन चंद नेताओं में शामिल रहीं, जिन्होंने अपनी स्थिति को संभाला और अब वह भाजपा के बहुमत वाली विधानसभा में पार्टी की आवाज उठाएंगी।

आतिशी ने भाजपा के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी एवं पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी को 3,521 मतों के अंतर से हराकर कालकाजी सीट बरकरार रखी। मतगणना के शुरुआती दौर में बिधूड़ी के आगे होने से यह मुकाबला कड़ा हो गया था।

कालकाजी के चुनाव प्रचार के दौरान दोनों के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। बिधूड़ी ने आतिशी के उपनाम ‘‘मार्लेना’’ से बदलकर ‘‘सिंह’’ करने के फैसले को लेकर निशाना साधते हुए टिप्पणी की, जिससे विवाद खड़ा हो गया था।

बिधूड़ी को जवाब देते हुए आतिशी संवाददाता सम्मेलन में रो पड़ी थीं और उन पर अपने बुजुर्ग पिता को ‘‘गाली’’ देकर वोट मांगने का आरोप लगाया था।

आतिशी का जन्म विजय सिंह और तृप्ता वाही के घर हुआ था। ये दोनों ही दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाते थे। आतिशी ने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से 2001 में इतिहास में स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से शिक्षा एवं इतिहास में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की।

आतिशी को 2015 में दिल्ली के तत्कालीन शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया का सलाहकार नियुक्त किया गया था। वह शिक्षा प्रणाली में सुधार और बुनियादी ढांचे की चुनौतियों से निपटने के लिए ‘आप’ सरकार के प्रयासों में शामिल थीं।

वह पार्टी की प्रवक्ता और राजनीतिक मामलों की समिति की सदस्य भी थीं।

उन्होंने 2019 में पूर्वी दिल्ली सीट से भाजपा के उम्मीदवार गौतम गंभीर के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। अगले साल दिल्ली चुनाव में उन्होंने कालकाजी विधानसभा सीट जीती।

आतिशी ने कैबिनेट मंत्री के रूप में कई विभागों का कार्यभार संभाला।

पिछले साल आतिशी ने ‘आप’ को तब सबसे बड़े संकट से निकाला था, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री केजरीवाल समेत पार्टी के लगभग सभी शीर्ष नेता भ्रष्टाचार के मामलों में जेल में थे।

अपने इस्तीफे के लिए विपक्ष के बढ़ते दबाव के बीच केजरीवाल ने पिछले साल सितंबर में मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी आतिशी को सौंपने की घोषणा की थी। आतिशी का नाम 21 सितंबर, 2024 को दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के साथ ही इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया था क्योंकि भाजपा की सुषमा स्वराज और कांग्रेस की शीला दीक्षित के बाद वह दिल्ली में इस पद पर पहुंचने वाली तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनी थीं।

आतिशी (43) दिल्ली की सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री थीं।

पिछले साल उन्होंने 76.93 लाख रुपये की कुल संपत्ति घोषित की थी, लेकिन उनके नाम पर कोई कार या मकान नहीं था।

 

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