नयी दिल्ली, 22 फरवरी (भाषा) ड्रोन और अन्य विध्वंसक प्रौद्योगिकियों के कारण युद्ध के बदलते तरीकों के मद्देनजर ‘आर्मी एयर डिफेंस’ (एएडी) कोर ने मौजूदा हवाई रक्षा तोपों के लिए नए विखंडन गोला-बारूद को शामिल करने और अधिक शक्तिशाली रडार की तैनाती के जरिए अपनी क्षमताएं बढ़ाने का खाका तैयार किया है।
एक शीर्ष अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि इसके अलावा सेना को स्वदेशी रूप से विकसित ‘सतह से हवा में मार करने वाली त्वरित प्रतिक्रिया मिसाइल’ (क्यूआरएसएएम) प्रणाली के संबंध में अनुबंध की उम्मीद है।
‘आर्मी एयर डिफेंस कोर’ के पास एल70, जू-23मिमी, शिल्का, तांगुस्का और ओसा-एके मिसाइल प्रणाली जैसी विभिन्न प्रकार की मिसाइल प्रणालियां और तोपें हैं।
सेना हवाई रक्षा (एएडी) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान डी’कुन्हा ने कहा, ‘‘तोपों का चलन वापस आ गया है। सेना ने अच्छे कारणों से इन्हें बनाए रखा है और इन तोपों का विखंडन गोला-बारूद के साथ प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सकता है।’’
लेफ्टिनेंट जनरल डी’कुन्हा ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ पर जोर देते हुए आधुनिकीकरण की आवश्यकता पर बात की। उन्होंने आगाह किया कि भारतीय उद्योग को ‘‘कम समय सीमा’’ में आपूर्ति की पेशकश करनी चाहिए।
अधिकारियों ने बताया कि एएडी शुरू में प्रादेशिक सेना का हिस्सा थी। उसे बाद में 1994 में इससे अलग कर दिया गया। एएडी हवाई खतरे को ‘‘उसके आने से पहले’’ नष्ट करने का काम करती है।