मेंहदी लगाइये मगर जांच परख कर

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मेंहदी के बिना दुल्हन का श्रृंगार अधूरा रहता है तो हुस्न-ए-मल्लिका का रूप भी मेंहदी के बिना फीका रहता है। मेंहदी न केवल सौंदर्य वृद्धि का साधन है बल्कि मेंहदी तो तन को स्वस्थ और निरोग रखने में भी कामयाब सिद्ध हुई है। औषधीय गुणों से भरपूर जो होती है मेंहदी।
अतएव जब भी मेंहदी लगानी हो, पूर्ण जांच पड़ताल के पश्चात। साथ ही असली मेंहदी (बिना मिलावट वाली) मेंहदी ही हर्बल तरीके से हाथ एवं पैरों में लगानी चाहिये। सिर में भी लगानी हो तो उसमें कैमिकल्स नहीं मिलाने चाहिएं। मेंहदी का रंग गाढ़ा करना हो तो लोहे के बर्तन में घोलना चाहिए। साथ ही नींबू कत्था या काफी अथवा दही मिलाने से मेंहदी का रंग ज्यादा गहरा हो जाता है। मेंहदी लगाने से पहले अगर हथेली पर मेंहदी का तेल लगा लिया जाये तो बेहतर होता है। इसी तरह मेंहदी पूरी सूख जाये, उसके पहले अगर शक्कर, और नींबू का रस मिलाकर उसे फाहे से मेंहदी पर लगा लिया जाये तो मेंहदी का रंग और भी चटक हो जाता है, और सुंदर लगने लगता है।
मेंहदी उतारते समय मेंहदी को कभी धोकर नहीं निकालना चाहिये बल्कि खुरच कर सूख चुकी मेंहदी निकाल देनी चाहिये। तत्पश्चात तवे पर कुछ लौंग भून कर धुआं निकलने की स्थिति तक हथेली धुएं के ऊपर घुमा फिरा देनी चाहिये। इससे मेंहदी की लाइफ बढ़ जाती है और वह ज्यादा दिनों तक हथेली पर लगी रहती है।
अतः मेंहदी प्रेमियों को स्वदेशी तरीका अपना कर अपने मेंहदी प्रेम को उजागर करना चाहिये। साथ ही स्वास्थ्य सुख की भी वृद्धि करनी चाहिए न कि कृत्रिम मेंहदी लगा कर व्यर्थ में त्वचा रोगों को बुलावा देना चाहिये।

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