नयी दिल्ली, एक फरवरी (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि समुद्री उद्योग के दीर्घावधि वित्तपोषण के लिए 25,000 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ ‘समुद्री विकास कोष’ स्थापित किया जाएगा।
सीतारमण ने लोकसभा में वित्त वर्ष 2025-26 का बजट पेश करते हुए कहा कि इस राशि का उपयोग प्रतिस्पर्धा को समर्थन और बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा। इसमें सरकार का 49 प्रतिशत तक योगदान होगा जबकि शेष राशि बंदरगाहों और निजी क्षेत्र से एकत्रित की जाएगी।
उन्होंने जहाजों के निर्माण के लिए उपयोग किए जाने वाले कच्चे माल एवं कलपुर्जो पर सीमा शुल्क छूट को अगले 10 वर्षों तक बढ़ाने की भी घोषणा की।
ये घोषणाएं इस लिहाज से महत्वपूर्ण हैं कि देश अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए घरेलू जहाज निर्माण को बढ़ावा देना चाहता है।
सीतारमण ने यह भी कहा कि लागत नुकसान को दूर करने के लिए जहाज निर्माण वित्तीय सहायता नीति में सुधार किया जाएगा। इसमें सर्कुलर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए भारतीय गोदियों में जहाज तोड़ने के क्रेडिट नोट भी शामिल होंगे।
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि एक निर्दिष्ट आकार से बड़े जहाजों को अवसंरचना हार्मोनाइज्ड मास्टर लिस्ट (एचएमएल) में शामिल किया जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘जहाजों की रेंज, श्रेणियों और क्षमता को बढ़ाने के लिए जहाज निर्माण क्लस्टरों को सुविधा दी जाएगी। इसमें संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित करने के लिए अतिरिक्त बुनियादी ढांचा सुविधाएं, कौशल और प्रौद्योगिकी शामिल होगी।’’
सीतारमण ने कहा कि वर्तमान में टन भार कर योजना, केवल समुद्र में जाने वाले जहाजों के लिए उपलब्ध है। देश में अंतर्देशीय जल परिवहन को बढ़ावा देने के लिए मौजूदा टन भार कर योजना का लाभ भारतीय पोत अधिनियम, 2021 के तहत पंजीकृत अंतर्देशीय जहाजों को भी देने का प्रस्ताव है।