रांची, 25 जनवरी (भाषा) झारखंड का वन विभाग साहिबगंज जिले में गंगा के एक हिस्से को डॉल्फिन अभयारण्य के रूप में नामित करने के लिए राज्य सरकार के वास्ते एक नया प्रस्ताव तैयार कर रहा है, जिसका उद्देश्य डॉल्फिन की रक्षा करना और इको-टूरिज्म को बढ़ावा देना है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
अधिकारी ने कहा कि भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) की एक टीम डॉल्फिन के ठिकाने का आकलन करने के लिए जनवरी के अंत या फरवरी के पहले सप्ताह तक साहिबगंज का दौरा करने वाली है।
वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की अनुसूची-1 के तहत संरक्षित डॉल्फ़िन साहिबगंज में गंगा नदी के 80 किलोमीटर के हिस्से में पाई जाती हैं।
साहिबगंज के प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) प्रबल गर्ग ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “अभयारण्य क्षेत्र को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है, लेकिन यह संभवतः 40 किलोमीटर के हिस्से में होगा, जहां अधिकांश डॉल्फिन पाई जाती हैं।”
बिहार और पश्चिम बंगाल की सीमाओं को जोड़ने वाली गंगा के इस हिस्से में डॉल्फिन अभयारण्य की स्थापना की मांग लंबे समय से की जा रही है।
एक अधिकारी ने बताया कि इसे बिहार के विक्रमशिला गंगा डॉल्फिन अभयारण्य की तर्ज पर विकसित करने का प्रस्ताव है।
उन्होंने बताया कि साहिबगंज डिवीजन ने लगभग चार-पांच साल पहले अभयारण्य के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव सौंपा था। उन्होंने कहा कि हालांकि, अभयारण्य की घोषणा के बाद नदी संबंधी गतिविधियों के नियमन को लेकर भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण समेत विभिन्न हितधारकों द्वारा चिंता जताए जाने के कारण प्रस्ताव रुक गया।
गर्ग ने कहा कि चिंताओं को दूर करते हुए विभाग ने एक नया प्रस्ताव तैयार करने का निर्णय लिया है, जिसमें जलमार्ग क्षेत्र को शामिल नहीं किया जाएगा।