बाल क्यों जल्दी झड़ने लगते हैं?
बालों की एक आयु होती है और अपनी आयु पूर्ण होते ही ये अपने आप गिर जाते हैं और उस स्थान पर नये बाल आ जाते हैं। बालों की आयु दो से छह वर्ष तक होती है और ये लगभग दो सें.मी. प्रति 11 माह की दर से बढ़ते हैं। बालों का बढ़ना, चमक-दमक और स्वस्थ रहना शरीर की आंतरिक क्रिया प्रणाली से अनुशासित होता है।
सिर के केशों की जड़ गहराई तक चली जाती है जिसके अंत में एक सूक्ष्म गोलाकार थैली होती है। इसे ’पैपिला‘ कहते हैं। प्रत्येक केश के तार को पोषण-तत्व यहीं से पहुंचता है। बाल अल्पायु में सफेद होने लगें अथवा झड़ते हों तो इसका प्रमुख कारण शरीर में पोषक तत्वों की कमी होती है। दूषित वातावरण, तेज धूप, अधिक नमी इत्यादि बालों की शक्ति और सुंदरता कम करते हैं। इसी प्रकार मानसिक उद्वेग, चिन्ता, अवसाद, सदमा, बीमारी, कुढ़ना आदि का बालों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
बालों की समस्याओं में सबसे गंभीर समस्या अल्पायु में बाल झड़ने की है। दस-बीस बाल झड़ जायें तो चिंता की कोई बात नहीं, यह प्रकृति की स्वाभाविक प्रक्रिया है। हां, यदि बालों के गुच्छे-के-गुच्छे निकलें और बाल हल्के होने लगें तो यह चिंता की बात है।
प्रायः कम आयु में बाल झड़ने के प्रमुख कारण हैं गर्भाधान, प्रसव होना, शिशु को स्तन-पान कराना, तेज बुखार होना, रक्त की कमी आदि जिनके कारण पोषक तत्वों का ह्नास होता है।
इसके आंतरिक कारण हैं घटिया साबुन या तेल का इस्तेमाल, मानसिक तनाव की स्थिति, सदमा होना, रात को सोते समय बालों को कस कर बांधना, अत्यधिक मानसिक कार्य, गर्म वातावरण में रहना या काम करना, आनुवंशिकता आदि।
आजकल महिलाओं में अस्थायी गंजापन अर्थात् ’एलोपीसिया‘ रोग बढ़ता जा रहा है और कम आयु की महिलाओं में यह चिंता का कारण बना हुआ है। इसमें खोपड़ी की त्वचा पर गंजेपन की छोटी-छोटी चिप्पड़ें बन जाती हैं। सही उपचार नहीं किया जाये तो ये चिप्पड़ें तेजी से फैलने लगती हैं। प्रभावित त्वचा पर रक्त का दौरा तेज करने वाले द्रव्य ’टिंक्चर आयोडीन‘ से नियमित मालिश करनी चाहिए।
बालों की दुश्मन रूसी:- बालों की सबसे बड़ी दुश्मन है रूसी जो बालों को जड़ से कमजोर बना देती है रूसी छूत का रोग है जो सिर की त्वचा पर पपड़ी बनकर जम जाती है। इस प्रक्रिया में मृत कोश सिर की त्वचा पर झड़ते रहते हैं और इन मृत कोशों को रूसी कहते हैं। यदि बालों के मरण और जन्म की प्रक्रिया तीव्र हो जाये तो अविलंब डॉक्टर की सलाह लें।
रूसी प्रायः दो प्रकार की होती है शुष्क और चिकनी। रूसी से बचने के लिए अनेक तरह की औषधियां और मेडिकेटेड साबुन बाजार में उपलब्ध हैं लेकिन सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपाय हैं बालों की सफाई। दिन में तीन, चार बार बालों में ब्रश करना चाहिए। ब्रश करने से खोपड़ी की शिराओं में रक्त-संचार बढ़ जाता है और बालों की जड़ें मजबूत होती हैं।
बहुत कम स्त्रिायां जानती हैं कि उनके बालों की जड़ों में प्राकृतिक हेयर-टॉनिक छिपा रखा है। बालों की जड़ों में सिर की ग्रंथियां हर समय चिकनाई छोड़ती रहती हैं। अज्ञानता के कारण यह चिकनाई बालों की जड़ों मंे ही सूख कर व्यर्थ हो जाती है। बालों की जड़ में एकत्रित पौष्टिक तत्वों के भंडार चिकनाई को बालांे तक पहुंचाने के लिए ब्रश एक उचित उपकरण है पर इसका अर्थ यह नहीं कि दिन में 8-10 बार बालों को ब्रश करें। ऐसा करने से बाल टूटने प्रारंभ हो जाते हैं।
उपचार – रूसी से बचने के लिए कुछ घरेलू उपाय भी हैं। बादाम रोगन से सिर की मालिश कर बालों को भाप स्नान दीजिए। बालों पर भाप लेने के लिए खौलते हुए पानी में तौलिया भिगोकर निचोड़ें और सिर पर पगड़ी की भांति लपेट लें। तौलिया ठंडा होने पर इस क्रिया को तीन चार बार दोहराएं। भाप लगने से त्वचा के रोमकूप खुल जाते हैं और बालों की जड़ों में तेल रच जाता है।
प्रातः स्नान के पहले एक चम्मच नींबू रस में दो चम्मच सिरका मिला कर सिर की मालिश करें, फिर अंडे के शैंपू से सिर धो डालें। बालों की रूसी समाप्त करने के लिए शुद्ध सिरका एक श्रेष्ठ तत्व है। रात को सोने से पहले रूई के फाहे द्वारा सिर की त्वचा पर शुद्ध सिरका मलिए। अगले दिन प्रातःकाल शैंपू से सिर धो डालिए। एक भाग बादाम रोगन में समान मात्रा शुद्ध सल्फर मिला कर दोनों की मात्रा के बराबर उसमें सर्जिकल स्पिरिट मिलाइए। अब इसमें चार भाग स्वच्छ जल अथवा गुलाब जल मिला कर सिर की त्वचा पर लगायें।
बाल सफेद होना किसी जमाने में बुढ़ापे की निशानी मानी जाती थी। तब पके हुए बाल वरिष्ठता और अनुभव के प्रतीक थे जिन्हें समाज में आदर की दृष्टि से देखा जाता था। आज ऐसी बात नहीं। छोटी आयु के लड़के-लड़कियों के असमय ही बाल सफेद होने लगते हैं। पहले सिर के इक्का-दुक्का बाल सफेद होते हैं, फिर धीरे-धीरे यह संख्या बढ़ने लगती है।
इक्का-दुक्का सफेद बाल अक्सर महिलाएं खींच देती हैं। सफेद बालों को कदापि नहीं खींचना चाहिए। याद रहे, खींचा हुआ एक सफेद बाल अनेक सफेद बालों को जन्म देता है। झटके से बाल खींचने से जड़ से निकला द्रव्य खोपड़ी की त्वचा पर चारों ओर फैल जाता है और थोड़े समय में ही उस स्थान पर काले बाल धीरे-धीरे सफेद होने लगते हैं। यदि आप इक्का-दुक्का सफेद बाल निकालना चाहती है्र तो बाल खींचने के बजाय छोटी कैंची से जड़ के निकट से काट देना चाहिए।
आहार भी सहायक:- अल्पायु में बाल सफेद होना अधिकतर वंशगत होता है जिसका कोई इलाज नहीं। प्रायः देखा गया है कि आजकल मानसिक तनाव, अधिक श्रम, चिंता, बीमारी, अधिक गर्म पेय लेने तथा आहार में कैल्शियम, विटामिन ’बी‘ व ’सी‘ के अभाव से प्रायः बाल असमय सफेद होने लगते हैं। इन बचाव-उपायों और भोजन-सुधार द्वारा बालों की आगे की सफेदी रोकी जा सकती है।
इस तरह यह निश्चित है कि अपने स्वास्थ्य के साथ-साथ हमें अपने बालों के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना जरूरी है। बालों का स्वास्थ्य आपकी उम्र पर परदा डाल सकता है।