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सर्दियां आते ही सर्दी जुकाम पता नहीं कितनों को अपनी चपेट में ले लेता है, विशेषकर बच्चांे, बूढ़ांे और कमजोर लोगों को। पहले तो ये लक्षण बस सर्दियों में ही प्रकट होते थे। अब तो गर्मी सर्दी दोनों मौसम में बहुत से लोग इस रोग से पीडि़त रहते हैं। वजह है प्रदूषण की अधिकता और शरीर में रोग प्रतिरोधक शक्ति का कम होना।
शोधकर्ताओं के अनुसार जो लोग पब्लिक डीलिंग में अधिक समय रहते हैं उन्हें यह वायरस अपनी गिरफ्त में बार-बार जकड़ लेता है जैसे डे-केयर सेंटर में बच्चे, स्कूल में टीचर्स, बैंक में काम करने वाले, दुकानदार आदि। बच्चे कई प्रकार के बच्चों के साथ संपर्क में रहते हैं और कामनं बैंच व डेस्क का प्रयोग करते हैं। टीचर्स भी विभिन्न प्रकार के बच्चों के संपर्क में रहते हैं और खेल के मैदान में गर्मी सर्दी में, मौसम की धूल मिट्टी और हवाओं से उनका संपर्क रहता है। इस प्रकार बैक्टीरिया के कीटाणुओं का आदान-प्रदान रहता है।
शोधकर्ताओं के अनुसार जो लोग कम नींद लेते हैं, वे भी जल्दी खांसी जुकाम के शिकार हो जाते हैं क्योंकि उनमें प्रतिरोधात्मक क्षमता कम होती है। इस मर्ज की शुरूआत में पहले घरेलू नुस्खों को प्रयोग में लाएं। तीन चार दिन में फर्क न पड़े तो हमें डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
लक्षण –
जब नाक और आंखों से अधिक पानी टपके।
नाक लाल हो जाए।
खांसी के साथ बलगम बाहर आए या सूखी खांसी लगातार रहे।
गले और कान में खराश।
हल्का हल्का बुखार होना।
सिर भारी रहना।
छाती में हल्के हल्के दर्द का होना।
सांस लेने में तकलीफ का होना।
कब जाएं डॉक्टर के पास –
सांस लेने में काफी तकलीफ होने पर तुरंत डाक्टर से संपर्क करंे।
लगातार खांसते रहने से छाती में दर्द रहे, तब भी डाक्टर के पास अवश्य जाएं।
बुखार लगातार 100 डिग्री से ऊपर बना रहे।
सुधार की गति काफी धीमी होने पर।
लगातार कान, सिर, दांतों में दर्द रहने पर और गरदन की जकड़न महसूस होने पर।
दवा का सेवन करें –
दवा डॉक्टर के परामर्श अनुसार ही लें। अपनी मर्जी और कैमिस्ट से पूछ कर दवा न लें। कई बार दवा नुकसान पहुंचा सकती है। घरेलू नुस्खे भी प्रारंभिक समय में अपना सकते हैं जैसे अदरक, तुलसी की चाय, शहद अदरक का रस, जोशांदा, काढ़ा आदि भी लाभ पहुंचाते हैं।
दिन भर गुनगुने पानी का सेवन करें। पानी में अदरक, अजवायन उबालकर गुनगुना होने पर उसे थर्मस में पलट दें। उसमें थोड़ा शहद मिला कर थोड़ी-थोड़ी देर बाद उस पानी का सेवन करें। इससे रेशा पिघल कर बाहर निकल जाएगा और नींद भी आराम से आ जाएगी। हरी सब्जियों का गर्म गर्म सूप नमक, जीरा और काली मिर्च का हल्का सा पाउडर डालकर पिएं। रात्रि में सोने से पहले एक कप दूध में चुटकी भर हल्दी उबाल कर लेने से भी आराम मिलता है।
परहेज –
अपना रूमाल तौलिया अलग रखें।
खाना खाने से पहले हाथ धोएं और बाद में भी।
नाक व चेहरे से हाथ से दूर रखें। अगर ले भी जाएं तो हाथ अवश्य धोएं।
दूसरों के मोबाइल का इस्तेमाल करने से पहले साफ रूमाल से पोंछ लें।
घर में किसी को भी खांसी-सर्दी जुकाम होने पर हाथ धोने के लिए लिक्विड सोप का इस्तेमाल करें।
आफिस से घर आते ही पहले अपने हाथ साबुन से धोएं।
बच्चों को हाथ धोने की आदत शुरू से डालें।
बुजुर्गों को हाथ साफ रखने के लिए सेनेटाइजर दें ताकि उन्हें बार-बार उठकर हाथ धोने न पड़ें।
खांसते समय मुंह पर हाथ रखने की आदत डालें।
हाथ मिलाने से परहेज़ करें। हाथ जोड़कर अभिवादन करें।
जिन्हें बार-बार इस परेशानी से जूझना पड़ता है, उन्हें व्यायाम करना चाहिए। व्यायाम शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। पैदल चलें। सर्दियों में हल्दी वाला दूध ऐसे लोगों को प्रति दिन लेना चाहिए। गर्म नमक के पानी के गरारे करें। गर्म पानी पीते रहें। दिन में आराम भी अवश्य करें। निश्चित ही लाभ मिलेगा।
शोधकर्ताओं के अनुसार जो लोग पब्लिक डीलिंग में अधिक समय रहते हैं उन्हें यह वायरस अपनी गिरफ्त में बार-बार जकड़ लेता है जैसे डे-केयर सेंटर में बच्चे, स्कूल में टीचर्स, बैंक में काम करने वाले, दुकानदार आदि। बच्चे कई प्रकार के बच्चों के साथ संपर्क में रहते हैं और कामनं बैंच व डेस्क का प्रयोग करते हैं। टीचर्स भी विभिन्न प्रकार के बच्चों के संपर्क में रहते हैं और खेल के मैदान में गर्मी सर्दी में, मौसम की धूल मिट्टी और हवाओं से उनका संपर्क रहता है। इस प्रकार बैक्टीरिया के कीटाणुओं का आदान-प्रदान रहता है।
शोधकर्ताओं के अनुसार जो लोग कम नींद लेते हैं, वे भी जल्दी खांसी जुकाम के शिकार हो जाते हैं क्योंकि उनमें प्रतिरोधात्मक क्षमता कम होती है। इस मर्ज की शुरूआत में पहले घरेलू नुस्खों को प्रयोग में लाएं। तीन चार दिन में फर्क न पड़े तो हमें डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
लक्षण –
जब नाक और आंखों से अधिक पानी टपके।
नाक लाल हो जाए।
खांसी के साथ बलगम बाहर आए या सूखी खांसी लगातार रहे।
गले और कान में खराश।
हल्का हल्का बुखार होना।
सिर भारी रहना।
छाती में हल्के हल्के दर्द का होना।
सांस लेने में तकलीफ का होना।
कब जाएं डॉक्टर के पास –
सांस लेने में काफी तकलीफ होने पर तुरंत डाक्टर से संपर्क करंे।
लगातार खांसते रहने से छाती में दर्द रहे, तब भी डाक्टर के पास अवश्य जाएं।
बुखार लगातार 100 डिग्री से ऊपर बना रहे।
सुधार की गति काफी धीमी होने पर।
लगातार कान, सिर, दांतों में दर्द रहने पर और गरदन की जकड़न महसूस होने पर।
दवा का सेवन करें –
दवा डॉक्टर के परामर्श अनुसार ही लें। अपनी मर्जी और कैमिस्ट से पूछ कर दवा न लें। कई बार दवा नुकसान पहुंचा सकती है। घरेलू नुस्खे भी प्रारंभिक समय में अपना सकते हैं जैसे अदरक, तुलसी की चाय, शहद अदरक का रस, जोशांदा, काढ़ा आदि भी लाभ पहुंचाते हैं।
दिन भर गुनगुने पानी का सेवन करें। पानी में अदरक, अजवायन उबालकर गुनगुना होने पर उसे थर्मस में पलट दें। उसमें थोड़ा शहद मिला कर थोड़ी-थोड़ी देर बाद उस पानी का सेवन करें। इससे रेशा पिघल कर बाहर निकल जाएगा और नींद भी आराम से आ जाएगी। हरी सब्जियों का गर्म गर्म सूप नमक, जीरा और काली मिर्च का हल्का सा पाउडर डालकर पिएं। रात्रि में सोने से पहले एक कप दूध में चुटकी भर हल्दी उबाल कर लेने से भी आराम मिलता है।
परहेज –
अपना रूमाल तौलिया अलग रखें।
खाना खाने से पहले हाथ धोएं और बाद में भी।
नाक व चेहरे से हाथ से दूर रखें। अगर ले भी जाएं तो हाथ अवश्य धोएं।
दूसरों के मोबाइल का इस्तेमाल करने से पहले साफ रूमाल से पोंछ लें।
घर में किसी को भी खांसी-सर्दी जुकाम होने पर हाथ धोने के लिए लिक्विड सोप का इस्तेमाल करें।
आफिस से घर आते ही पहले अपने हाथ साबुन से धोएं।
बच्चों को हाथ धोने की आदत शुरू से डालें।
बुजुर्गों को हाथ साफ रखने के लिए सेनेटाइजर दें ताकि उन्हें बार-बार उठकर हाथ धोने न पड़ें।
खांसते समय मुंह पर हाथ रखने की आदत डालें।
हाथ मिलाने से परहेज़ करें। हाथ जोड़कर अभिवादन करें।
जिन्हें बार-बार इस परेशानी से जूझना पड़ता है, उन्हें व्यायाम करना चाहिए। व्यायाम शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। पैदल चलें। सर्दियों में हल्दी वाला दूध ऐसे लोगों को प्रति दिन लेना चाहिए। गर्म नमक के पानी के गरारे करें। गर्म पानी पीते रहें। दिन में आराम भी अवश्य करें। निश्चित ही लाभ मिलेगा।