नयी दिल्ली, 18 जनवरी (भाषा) बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा है कि वह और उनकी छोटी बहन शेख रेहाना पिछले वर्ष पांच अगस्त को केवल 20-25 मिनट के अंतर से मौत से बच गईं थीं, जब छात्रों के नेतृत्व में हुए जन विद्रोह में उनकी अवामी लीग सरकार गिरा दी गई थी।
अपनी पार्टी द्वारा फेसबुक पेज पर जारी एक संक्षिप्त ऑडियो नोट में हसीना ने अपनी जान बचाने के लिए ईश्वर के प्रति आभार व्यक्त किया।
उन्होंने उनपर पूर्व में हुए दो हमलों को भी याद किया, जिनमें वे बाल-बाल बच गयी थीं। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका मानना है कि ईश्वर ने उनके द्वारा कुछ महान कार्य करवाने की दैवीय योजना के तहत उनके जीवन को बचाया है।
ऑडियो क्लिप में वह बांग्ला में कहती सुनाई दे रही हैं, “हम मौत से सिर्फ 20-25 मिनट के अंतर से बच गए। मुझे लगता है कि 21 अगस्त को हुई हत्याओं से बचना, कोटालीपारा में बड़े बम विस्फोट से बचना या पांच अगस्त 2024 को बचना, इसके पीछे अल्लाह की मर्जी, अल्लाह का हाथ होना चाहिए। अन्यथा, मैं इस बार नहीं बच पाती।”
कांपती आवाज में 77 वर्षीय नेता ने अपने राजनीतिक विरोधियों पर उन्हें मरवाने की साजिश रचने का आरोप लगाया।
हसीना पिछले साल पांच अगस्त से भारत में रह रही हैं, जब वह छात्रों के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर हुए विरोध प्रदर्शन के बाद बांग्लादेश से भाग गई थीं, जिसने उनकी अवामी लीग की 16 साल की सरकार को उखाड़ फेंका था।
हसीना ने कहा, “मैं पीड़ा में हूं, मैं अपने देश, अपने घर से दूर हूं, सब कुछ जल गया है।”
हसीना पर कई बार जानलेवा हमले हुए, जिनमें 21 अगस्त 2004 को पार्टी की एक रैली पर हुआ ग्रेनेड हमला भी शामिल है, जहां वो विपक्षी नेता के तौर पर भाषण दे रही थीं। इस हमले में 24 लोग मारे गए थे।
वर्ष 2000 में बांग्लादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री हसीना गोपालगंज जिले के कोटालीपारा उपजिले में एक रैली को संबोधित करने वाली थीं, तभी पुलिस को मंच से 50 फीट की दूरी पर 76 किलोग्राम वजन का एक टाइम बम मिला।
पिछले वर्ष पांच अगस्त को सुरक्षा बलों ने उन्हें उनका सरकारी आवास गणभवन खाली करने के लिए 45 मिनट का समय दिया था और कहा था कि गुस्साई भीड़ सरकारी प्रतिष्ठान की ओर बढ़ रही है और उनकी जान को खतरा है।
हसीना को पहले पास के सैन्य हवाई अड्डे पर ले जाया गया और बाद में वायुसेना के एक विमान द्वारा उन्हें और रेहाना को भारत ले जाया गया।