आजकल डाक्टर अधिक मीठा खाने को मना करते हैं। अधिक मिष्ठान मोटे लोगों और मधुमेह रोगियों के लिए बहुत हानिकारक हैं। मधुमेह के रोगियों को तो विशेष सावधानी बरतने को कहा जाता है, तो भी साधारण व्यक्तियों हेतु कुछ न कुछ मीठा खाना आवश्यक है। सब मीठे पदार्थों के गुण दोष अलग हैं। आइए देखें, विभिन्न मीठे पदार्थों के गुण-दोष।
गुड़
गुड़ में विटामिन बी1, बी2, सी, और ए मिलते हैं। नया गुड़ कफ, श्वांस, कृमि, खांसी और अग्नि को बढ़ाता है। यह जितना पुराना होता है उतना ही अधिक गुणकारी हो जाता है। एक वर्ष पुराना होने पर यह रोग निवारण के लिए हितकारी हो जाता है। तीन वर्ष पुराना होने पर गुड़ सबसे अच्छा गुणकारी माना गया है। पुराना गुड़ शीघ्र हजम होता है। गुड़ में 33 प्रतिशत से अधिक पोषक तत्व होते हैं। बसंत के मौसम में नहीं खाया जाता।
पुराना गुड़ खाने से अर्श, अरूचि, अग्निवर्धक, खांसी, गुल्म, जीर्ण ज्वर, दाह, पथरी, परिश्रमी व्यक्ति, पित्तनाशक, मैथुनशक्ति, रक्तपित्त, रक्तविकार, वायु, सुजाक, क्षय आदि में बहुत ही अधिक लाभ देता है। कफ आने पर अदरक के साथ खाने से ठीक हो जाता है। पित्त में हर्र के साथ लेने से लाभ मिलता है। वायु में सोंठ के साथ लेने से सभी तरह के वायु को नष्ट करता है। स्त्रिायों को इसका सेवन करना चाहिए।
मिश्री
मिश्री का सेवन करने से रक्तपित्त, ज्वर, मूर्च्छा, वमन, तृषा आदि रोगों में बहुत लाभ देता है। शरीर में अम्ल, गर्मी और फुर्ती पैदा करती है। अधिक सेवन से मधुमेहकारक होती है।
शक्कर
शक्कर को चीनी भी कहते हैं। इसमें विटामिन नहीं होते। रूचिकारक है और शरीर में गर्मी, फुर्ती पैदा करती है, कफ को बढ़ाती है, अम्ल पैदा करती है।
शहद
शहद को मधु भी कहते हैं। इसमें विटामिन ए, बी व ई पाया जाता है। इसको खाने से अतिसार, अर्श, कफ, कोढ़, कृमि, खांसी, तृषा, दाह, प्रमेह, पित्त श्वांस, हिचकी आदि के रोग को दूर करता है। अधिक खाने से गले और छाती में जलन होती है। दूध के साथ इसे खाने से बल-वीर्यवर्धक और पुंसत्व को बढ़ाता है। स्त्राी के साथ भोग करने के एक घंटे पूर्व पुरूष द्वारा अपनी नाभि में शहद से भीगी रूई का फाहा रखने से इन्द्रिय शिथिल नहीं होती। एक कप दूध में एक चम्मच शहद मिलाकर सुबह पीने से शक्ति मिलती है।
कफ और खांसी में आधा तोला शहद दिन में 4 बार चाटने से ठीक हो जाता है। उच्च रक्तचाप में दो चम्मच शहद में एक चम्मच नींबू का रस मिलाकर सुबह-शाम पीने से कम हो जाता है। प्रतिदिन प्रातः 2-2 तोला शहद ठंडे पानी में मिलाकर नियमित रूप से 4-5 माह तक पीने से खुजली, दाह, फुंसी और चमड़ी के समस्त रोग नष्ट हो जाते हैं।
अजीर्ण और कब्ज में थोड़े से गुनगुने पानी में 1 चम्मच नींबू, 1 चम्मच अदरक के रस में 2 चम्मच शहद मिलाकर पीने से ठीक हो जाता है। 1 तोला शहद जल में मिलाकर पीने से पेट का फूलना बंद हो जाता है। 3 बूंद शहद कान में डालने से कान का दर्द बंद हो जाता है। 2-4 तोला शहद प्रतिदिन खाने से हृदय बलवान हो जाता है।
शहद के सेवन की मात्रा 2 से 3 तोले की है। सदैव शुद्ध शहद का ही सेवन करना चाहिए।
आयुर्वेद में शहद को गर्म करने को सख्त मना किया गया है। शहद को खाने के बाद गर्म पानी भी पीना नहीं चाहिए। गर्म वस्तुओं में इसको मिलाया नहीं जा सकता और खाना भी नहीं चाहिए। विष अथवा विषाक्त पदार्थ खा लेने पर उसे शहद खिलाने से विष का प्रकोप बढ़कर व्यक्ति की फौरन मृत्यु हो जाती है। अधिक शहद का प्रयोग हानिप्रद होता है।