बदल रही है देश के कौशल बाजार की तस्वीर !

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भारत पचपन करोड़ से भी अधिक युवा आबादी के साथ आज दुनिया का सबसे युवा देश है। कहते हैं कि युवा ही किसी देश का असली भविष्य और राष्ट्र की रीढ़ होते हैं। भारत के युवा अपनी कौशल(स्किल) और प्रतिभा(टेलेंट) के माध्यम से वैश्विक स्तर पर लगातार अपनी विशिष्ट व अहम् पहचान बना रहे हैं। अमेरिका के बाद, भारत विश्व का ऐसा दूसरा देश है जहां के युवा इस मुकाम पर पहुंच रहे हैं। उल्लेखनीय है कि हाल ही में जारी किए गए क्यूएस वर्ल्ड फ्यूचर स्किल्स इंडेक्स में भारत ने 25वां स्थान प्राप्त किया है जो उच्च शिक्षा के परिप्रेक्ष्य और स्नातकों के कौशल विकास के आधार पर देश की स्थिति को दर्शाता है।

 

क्यूएस वर्ल्ड फ्यूचर स्किल्स इंडेक्स लंदन स्थित क्वाक्वेरेली साइमंड्स (क्यूएस) द्वारा विकसित इंडेक्स है जो अपनी विश्वविद्यालय रैंकिंग के लिए प्रसिद्ध है। वास्तव में इसका उद्देश्य यह आकलन करना है कि देश तेजी से विकसित हो रहे वैश्विक नौकरी बाजार की मांगों को पूरा करने के लिए कितने तैयार हैं। गौरतलब है कि यह सूचकांक चार महत्वपूर्ण आयामों के आधार पर राष्ट्रों का मूल्यांकन करता है, जिसमें क्रमशः कौशल फिट(स्किल फिट) ,शैक्षिक तत्परता(अकेडमिक रेडीनेस) ,कार्य का भविष्य(फ्यूचर ऑफ वर्क) तथा आर्थिक परिवर्तन(इकोनामिक चेंज) शामिल हैं। हाल ही में जारी रिपोर्ट इस बात का खुलासा करती है कि भारत की फ्यूचर स्किल और उभरती नौकरी प्रवृत्तियों पर मजबूत ध्यान भारत को एक प्रगतिशील राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत करता है। कहना ग़लत नहीं होगा कि भारत विश्व का ऐसा देश है जिसने फ्यूचर आफ वर्क और अकेडमिक रेडीनेस में अपनी क्षमताओं को दिखाते हुए शानदार प्रदर्शन किया है।

 

सच तो यह है कि भारत में महत्वपूर्ण क्षमताएं मौजूद हैं। आज भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में है, लेकिन देश की मौजूदा आर्थिक और शैक्षिक प्रणालियों में आज भी कुछ चुनौतियां हैं जो हमारे देश की प्रगति को धीमा कर सकती हैं। पाठक जानते हैं कि आज भी भारत में विश्व के अन्य देशों की तुलना में रिसर्च(शोध) और डेवलपमेंट(विकास ) में निवेश कम है। यह भी एक तथ्य है कि देश अपने पर्यावरणीय नीति लक्ष्यों तक पहुंचने से अभी दूर है। क्यूएस वर्ल्ड फ्यूचर स्किल्स इंडेक्स में भारत ने फ्यूचर ऑफ वर्क श्रेणी में 99.1 अंक, अकादमिक रेडीनेस श्रेणी में 89.9 अंक, स्किल फिट श्रेणी में 59.1 अंक और आर्थिक रूपांतरण श्रेणी में 58.3 अंक प्राप्त किए हैं। कुल मिलाकर, भारत ने 100 में से 76.6 अंक हासिल किए हैं। ऊपर बता चुका हूं कि भारत की कुल रैंकिंग 25वें स्थान पर रही है। गौरतलब है कि इस रैंकिंग में भारत ने विभिन्न श्रेणियों में क्रमशः स्किल फिट में 37वां, एकैडमिक रेडीनेस में 26वां और आर्थिक बदलाव में 40वां स्थान हासिल किया है। रिपोर्ट  यह बताती है कि भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए भारतीय युवा अपने कौशल(स्किल्स) में तेजी से सुधार कर रहे हैं और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए वे पूरी तरह से तैयार हैं।भारत ने ‘फ्यूचर आफ वर्क’ इंडिकेटर में शानदार प्रदर्शन किया है और इस श्रेणी में उसे 99.1 अंक प्राप्त हुए हैं, जो कि केवल अमेरिका से थोड़े ही कम हैं। वास्तव में इसे इस श्रेणी में दुनिया की दूसरी सबसे उच्च रैंक मिली है।

 

आज भारत वैश्विक मंदी के बावजूद वेंचर कैपिटल फंडिंग को आकर्षित कर रहा है और इतना ही नहीं, भारत अपने कार्यबल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को शामिल करने में तत्पर है। रिपोर्ट में भारत के उच्च शिक्षा क्षेत्र, उद्योग सहयोग और रोजगार बाजार में सुधार की आवश्यकता को प्रमुख रूप से चिन्हित किया गया है। हालांकि भारतीय विश्वविद्यालयों ने क्यूएस रैंकिंग में अच्छा प्रदर्शन किया है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि डिजिटल, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और ग्रीन स्किल्स के मामले में भारतीय स्नातकों को उद्योग की बढ़ती मांगों के अनुसार और बेहतर तैयार किया जा सकता है। इस संदर्भ में भारत के लिए कुछ महत्वपूर्ण सिफारिशें दी गई हैं, जैसे कि उच्च शिक्षा संस्थानों को सस्टेनेबल इंफ्रास्ट्रक्चर और ग्रीन टेक्नोलॉजीज जैसी वैश्विक प्रवृत्तियों के अनुरूप अनुसंधान और उद्योग प्रयासों को समन्वित करने की आवश्यकता है। इतना ही नहीं, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में वयस्क शिक्षा पाठ्यक्रम विकसित करने पर भी जोर दिया गया है।

 

क्यूएस के उपाध्यक्ष ने यह बात कही है कि, ‘भारत की जीडीपी वृद्धि, युवा जनसंख्या और स्टार्टअप संस्कृति इसे वैश्विक मंच पर मजबूती से स्थापित कर रही है, जबकि अन्य देशों को वृद्धावस्था की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। भारत की वर्तमान जनसंख्या में विकास के लिए कई अनूठी संभावनाएं हैं।’ रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था वर्ष 2025 से 2030 तक औसतन 6.5% प्रति वर्ष बढ़ने का अनुमान है, जिससे यह कई प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्थाओं से आगे निकल जाएगा हालांकि, जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था और नवाचार बढ़ते हैं, छात्रों, स्नातकों और श्रमिकों को बदलती जरूरतों के साथ बने रहने के लिए संबंधित कौशलों के साथ समर्थन की आवश्यकता होगी। वर्ष 2047 तक, भारत एक विकसित राष्ट्र की सभी विशेषताओं के साथ 30 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 2024 में हासिल उपलब्धियों पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा था कि ‘सरकार वर्ष 2025 में और भी अधिक मेहनत करने तथा विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए दृढ़ संकल्पित है।’

 

 बहरहाल, सच तो यह है आज भारत कौशल से युक्त है और भारतीय युवा 2047 या शायद उससे पहले ही विकसित भारत के स्वप्न को साकार करने को तैयार दिख रहे हैं,  जिसका प्रमाण दुनिया के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित उच्च शिक्षा नेटवर्क ‘क्यूएस रेटिंग’ द्वारा जारी क्यूएस वर्ल्ड फ्यूचर स्किल्स इंडेक्स है। आज भारतीयों की क्षमताओं, स्किल्स को संदेह की नजर से नहीं अपितु हर कहीं सराहा जा रहा है। कहना ग़लत नहीं होगा कि पिछले कुछ वर्षों में, स्किल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसी पहलों ने देश के कौशल बाजार की तस्वीर पूरी तरह से बदल दी है। सच तो यह है कि आज के भारत में शिक्षा और रोजगार के बीच अंतराल पहले की तुलना में कम हुआ है। आज भारत के युवा व्यावसायिक प्रशिक्षण व कौशल हासिल कर रहे हैं और पेशेवर बन रहे हैं। वास्तव में आज के समय में युवाओं का भविष्य के लिए तैयार रहना देश के आर्थिक विकास के लिए बहुत ही जरूरी है। शिक्षा किसी भी राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण व अहम् भूमिका का निर्वहन करती है, इसलिए यह बहुत ही आवश्यक व जरूरी है कि आज हम उच्च शिक्षा में पाठ्यक्रम में रचनात्मकता, समस्या समाधान और उद्यमशीलता की सोच को शामिल करें। उच्च शिक्षा में सुधार आज देश व समाज की आवश्यकता है। वास्तव में उच्च शिक्षा में सुधार और कौशल विकास से ही देश और समाज को ऊंचाइयों की ओर अग्रसर किया जा सकता है।

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