हैदराबाद, केंद्र द्वारा राज्यों को दिये जाने वाले कोष में असमानताओं को दूर करने के लिए कुछ दक्षिणी राज्यों के जनसंख्या वृद्धि का आह्वान करने के बीच आरबीआई के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने बृहस्पतिवार को कहा कि आबादी बढ़ाना कोई समाधान नहीं है।
यहां तीसरे बीपीआर विट्ठल स्मारक व्याख्यान सत्र को संबोधित करते हुए सुब्बाराव ने कहा कि भाजपा, जो पहले मुफ्त की सुविधाओं को ‘‘रेवड़ी संस्कृति’’ कहती थी, अब दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार में योजनाएं पेश करने में आम आदमी पार्टी (आप) के साथ प्रतिस्पर्धा कर रही है।
उन्होंने हालांकि कहा कि एक गरीब देश में जहां लाखों लोग दैनिक जीवन के लिए संघर्ष करते हैं, सरकार के लिए लोगों की मदद करना अनिवार्य है।
कुछ राज्यों द्वारा महिलाओं को सरकारी बसों में मुफ्त यात्रा की पेशकश के बारे में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व प्रमुख ने कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि यह उनकी मदद करने का सबसे बेहतर तरीका है।
सुब्बाराव ने कहा, ‘‘मैंने 50 साल तक सरकारी नौकरी की है। जब मैं पहली बार सेवा में आया, तो हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता जनसंख्या नियंत्रण, परिवार नियोजन थी और हमारा मानना था कि जनसंख्या वृद्धि सभी विकास को बाधित कर रही है। लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि हम एक ऐसा दिन देखेंगे जब राजनीतिक नेता कहेंगे कि हमें अपनी जनसंख्या बढ़ानी चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसका स्पष्ट संदेश यह है कि कुछ राज्य जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण में अच्छा काम किया है, वे केंद्रीय सहायता से वंचित हो रहे हैं। लेकिन मेरा मानना है कि जनसंख्या बढ़ाना इसका समाधान नहीं है, क्योंकि भारत एक देश है। हमारे यहां अभी भी समग्र स्तर पर जनसंख्या की समस्या है।’’
केरल सरकार ने हाल में केंद्रीय करों में अपने हिस्से को वर्तमान 41 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने और विभाज्य पूल में राज्यों के लिए प्रति व्यक्ति आधारित हिस्से को 45 प्रतिशत से घटाकर 30 प्रतिशत करने की मांग की।
विभाज्य पूल सकल कर राजस्व का वह हिस्सा है जिसे केंद्र और राज्यों के बीच वितरित किया जाता है।
जनसंख्या अनुपात के आधार पर आवंटन को बिना किसी पक्षपात के शीघ्र वितरित किये जाने का अनुरोध करते हुए, तेलंगाना सरकार ने हाल में बजट पूर्व बैठक में कहा था कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं के संबंध में उसे कम धनराशि दी गई है।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू और उनके तमिलनाडु समकक्ष एम के स्टालिन ने हाल के दिनों में अधिक बच्चे पैदा करने की वकालत की थी।
सुब्बाराव ने कहा कि केंद्र सरकार को राजनीतिक दलों द्वारा स्वीकार्य सीमा से अधिक मुफ्त में दी जाने वाली सुविधाओं पर नियंत्रण के लिए एक तंत्र की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘मुफ्त की सुविधाओं को लेकर सबसे बड़ी निराशा यह है कि तीन साल पहले प्रधानमंत्री ने बयान दिया था कि मुफ्तखोरी पर लगाम लगनी चाहिए। इसके दो महीने बाद उत्तर प्रदेश चुनाव में, भाजपा मुफ्त की सुविधाएं उपलब्ध कराने में लगी रही। और आज, वे (भाजपा) मुफ्त में सब कुछ देने के मामले में आम आदमी पार्टी से मुकाबला कर रहे हैं।’’
सुब्बाराव ने कहा कि केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर सहयोग भी ‘विकसित भारत’ के लिए महत्वपूर्ण है।