श्रद्धानंद ने दया याचिका पर विचार के लिए राष्ट्रपति को निर्देश देने का अनुरोध किया है: केंद्र सरकार

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नयी दिल्ली, केंद्र सरकार ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि अपनी पत्नी की हत्या के मामले में 30 साल से अधिक समय से जेल में बंद स्वामी श्रद्धानंद की याचिका में अनुरोध किया गया है कि राष्ट्रपति को उसकी दया याचिका पर निर्णय लेने के लिए निर्देश दिया जाए।

न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ श्रद्धानंद उर्फ ​​मुरली मनोहर मिश्रा (84) की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उसने प्राधिकारों को दिसंबर 2023 में राष्ट्रपति के समक्ष दायर उसकी दया याचिका पर फैसला करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया है।

केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के. एम. नटराज ने याचिका को लेकर न्यायालय से कहा, ‘‘याचिका में राष्ट्रपति को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। क्या ऐसी याचिका पर विचार किया जा सकता है? कृपया याचिका पर गौर करें।’’

श्रद्धानंद की ओर से पेश अधिवक्ता वरुण ठाकुर ने कहा कि याचिकाकर्ता 30 साल से अधिक समय से जेल में है और बीमारियों से ग्रस्त है। पीठ ने कहा, ‘‘आपको (श्रद्धानंद) इस अदालत को धन्यवाद देना चाहिए कि उस बार आप बच गए।’’

इसके साथ ही पीठ ने सुनवाई दो सप्ताह बाद के लिए निर्धारित की है।

जुलाई 2008 में उच्चतम न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने श्रद्धानंद के मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदलते हुए निर्देश दिया था कि उसे उसके जीवनकाल में जेल से रिहा नहीं किया जाएगा।

पिछले वर्ष अक्टूबर में उच्चतम न्यायालय ने श्रद्धानंद की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था, जिसमें उसने पूरे जीवन जेल से रिहा किए जाने पर रोक लगाने के शीर्ष अदालत के फैसले पर पुनर्विचार का आग्रह किया था।

श्रद्धानंद की पत्नी शाकिरा मैसूर रियासत के पूर्व दीवान सर मिर्जा इस्माइल की पोती थीं। श्रद्धानंद ने जुलाई 2008 के फैसले पर पुनर्विचार का आग्रह किया था।

न्यायालय ने जुलाई 2008 के अपने फैसले में कहा था कि दोनों ने अप्रैल 1986 में विवाह किया था, लेकिन मई 1991 में शाकिरा अचानक गायब हो गईं।

फैसले में कहा गया था कि मार्च 1994 में, केंद्रीय अपराध शाखा, बेंगलुरु ने शाकिरा की गुमशुदगी की शिकायत की जांच का जिम्मा संभाला और श्रद्धानंद ने हत्या करने की बात कबूल की।

न्यायालय में दायर अपनी नयी याचिका में श्रद्धानंद ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले का हवाला देते हुए कहा कि दोषियों को कारावास के दौरान पैरोल मिली और अंततः 27 साल के कारावास के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया।

 

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