सनातन धर्म एक विराट वट वृक्ष, इसकी तुलना किसी झाड़ और झंखाड़ से नहीं : योगी आदित्यनाथ

0
Untitled-3

महाकुंभनगर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को महाकुंभ मेले को एकता का संदेश देने वाला तथा देश और दुनिया का सबसे बड़ा आयोजन बताते हुए कहा कि सनातन धर्म एक विराट वट वृक्ष की तरह है और इसकी तुलना किसी झाड़ और झंखाड़ से नहीं होनी चाहिए।

एक बयान के मुताबिक प्रयागराज दौरे पर आए मुख्यमंत्री ने शनिवार को अखिल भारतीय अवधूत भेष बारह पंथ-योगी महासभा द्वारा आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया।

योगी ने कहा, ”दुनिया के अंदर अन्य संप्रदाय हो सकते हैं, उपासना विधि हो सकती है, लेकिन धर्म तो एक ही है और वह है सनातन धर्म। यही मानव धर्म है। भारत में जितनी भी उपासना विधियां हैं वह अलग पंथ और संप्रदाय से भले ही जुड़ी हों, लेकिन निष्ठा और आस्था सब की सनातन धर्म से जुड़ी हुई है। सबका उद्देश्य तो एक ही है। इसलिए महाकुंभ के इस पावन आयोजन पर हम सबको पूरी दुनिया से आए लोगों को एक ही संदेश देना है, जिसके बारे में प्रधानमंत्री जी का कहना है कि महाकुंभ का संदेश, एकता से ही अखंड रहेगा देश।”

उन्होंने कहा, ”याद रखना, भारत सुरक्षित है तो हम सब सुरक्षित हैं। भारत सुरक्षित है तो हर पंथ, हर संप्रदाय सुरक्षित है और अगर भारत के ऊपर कोई संकट आएगा तो सनातन धर्म पर संकट आएगा।”

मुख्यमंत्री विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित विराट संत सम्मेलन में भी सम्मिलित हुए जहां उन्होंने कहा, “देश की अखंडता से सभी सुरक्षित हैं और अयोध्या की तरह जो आपकी तमन्ना है, वह सब साकार होना ही होना है।”

योगी आदित्यनाथ ने कहा, “महाकुंभ में 13 जनवरी से 10 दिनों में 10 करोड़ लोगों ने स्नान किया है और आज दो करोड़ श्रद्धालु महाकुंभ नगर में हैं और 45 दिनों के महाकुंभ के आयोजन में 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालु आने वाले हैं।”

उन्होंने कहा, “सनातन धर्म को किसी संकीर्ण दायरे में कैद मत होने दीजिए। इसकी तुलना छोटे-छोटे बोर्ड आदि से मत करिए।”

मुख्यमंत्री ने कहा, “मैं जब यहां आया तो मुझे श्रद्धेय अशोक सिंघल जी का स्मरण फिर से आया। सभी चार स्थानों पर कुंभ के आयोजन में संतों को एकजुट करने के लिए वह प्राण-प्रण से जुटे रहते थे। विश्व में कहीं भी सनातन धर्मावलंबी या संत पर कोई अंगुली उठती थी तो सबसे अधिक चिंतित कोई व्यक्ति यदि दिखता था तो वह सिंघल थे।”

उन्होंने कहा, “आज वह भौतिक रूप से यहां उपस्थित नहीं हैं, लेकिन आप संतों को देखकर उनकी आत्मा प्रफुल्लित हो रही होगी।”

मुख्यमंत्री ने कहा कि सनातन धर्म पर संकट आएगा तो भारत के अंदर कोई भी पंथ और संप्रदाय अपने आप को सुरक्षित महसूस ना करे। वह संकट सबके ऊपर आएगा, इसलिए संकट की नौबत आने ना पाए, इसके लिए एकता का संदेश आवश्यक है।

योगी ने कहा कि यह सबका सौभाग्य है कि इस महाकुंभ के आयोजन से जुड़ने का अवसर प्राप्त हो रहा है। पौष पूर्णिमा और मकर संक्रांति के दिन कोटि-कोटि श्रद्धालु मां गंगा, मां यमुना, मां सरस्वती की पावन त्रिवेणी के संगम पर डुबकी लगाकर अभिभूत हुए हैं।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बार-बार कहते हैं की यह सदी भारत की सदी है, भारत की सदी का मतलब हर एक क्षेत्र में भारत को विकास की बुलंदियों को छूना है। लेकिन, प्रत्येक क्षेत्र में देश उन बुलंदियों को तब छू सकेगा जब उस क्षेत्र से जुड़े हुए प्रतिनिधि अपने दायित्वों का ईमानदारी पूर्वक निर्वहन करेंगे। जो राजनीति में हैं वह राजनीति के क्षेत्र में काम कर रहे हैं, सीमा पर सेना देश की सुरक्षा का काम कर रही है और धार्मिक जगत से जुड़े हुए हमारे पूज्य संत भी अपना दायित्व निभा रहे हैं।

योगी ने चेताया कि मौजूदा समय में जितना सकारात्मक माहौल है, उतनी ही चुनौतियां भी हैं। देश की एकता और समाज की एकता को कहीं भी खंडित नहीं होने देना है।

उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग हमें बांटना चाहते हैं, भाषा के नाम पर बांटने का काम कर रहे हैं। उन लोगों के किसी भी षड़यंत्र में हमारे पूज्य संतों को नहीं पड़ना है। कोई ऐसी नकारात्मक टिप्पणी हम लोग अपने स्तर पर ना करें।’’

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विभिन्न तीर्थ स्थलों से आए श्री महंत, आचार्य और योगेश्वर का सम्मान किया। उन्होंने जूना पीठाधीश्वर अवधेशानंद गिरि महाराज, परमात्मानंद महाराज और निर्मलानंद महाराज को शॉल ओढ़ाकर और गोरखनाथ जी की प्रतिमा भेंट कर उनका स्वागत किया।

इनके साथ ही सतुआ बाबा, सुदर्शनाचार्य महाराज, स्वामी धीरेंद्र और स्वामी जितेंद्रनाथ का भी सम्मान किया गया। उन्होंने रामानुजाचार्य, श्रीधराचार्य, शेरनाथ महाराज, उमेशनाथ महाराज, कृष्णनाथ महाराज, समुद्रनाथ महाराज, संख्यनाथ महाराज, रामनाथ महाराज, श्री महंत सोमवरनाथ महाराज और मिथिलेशनाथ महाराज का भी अभिनंदन किया।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *