नयी दिल्ली, उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को इस बात पर अफसोस जताया कि पिछले महीने राज्यसभा सदन में मिली नोटों की गड्डी पर दावा करने के लिए कोई भी संसद सदस्य आगे नहीं आया। उन्होंने कहा कि यह ‘‘हमारे नैतिक मानदंडों के लिए एक सामूहिक चुनौती है।’’
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान छह दिसंबर को राज्यसभा में कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी को आवंटित सीट से 500 रुपये के नोटों की गड्डी बरामद होने से उच्च सदन में काफी हंगामा हुआ था। विपक्षी दलों और सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्यों ने एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए थे तथा मनु सिंघवी ने इस ‘‘सुरक्षा चूक’’ की जांच की मांग की थी।
कांग्रेस नेता ने यह भी कहा था कि सांसदों की अनुपस्थिति में सीटों पर कुछ भी रखने से रोकने के लिए कांच के घेरे बनाए जाने चाहिए।
धनखड़ ने यहां एक पुस्तक के विमोचन के अवसर पर कहा, ‘‘मेरी पीड़ा की कल्पना कीजिए। लगभग एक महीने पहले ही, हमें राज्यसभा की एक सीट से 500 रुपये के नोटों की गड्डी मिली थी। मुझे वास्तव में इस बात से दुख हुआ कि कोई भी इसे लेने नहीं आया।’’
उन्होंने इसे ‘‘बहुत गंभीर मुद्दा’’ बताया। उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘जरूरत के कारण आप नोट साथ रख सकते हैं, लेकिन फिर भी किसी ने इस पर दावा नहीं किया। यह हमारे नैतिक मानकों के लिए एक सामूहिक चुनौती है।’’
धनखड़ ने कहा कि लंबे समय तक कोई आचार समिति नहीं थी। 1990 के दशक के आखिर में पहली बार राज्यसभा में आचार समिति बनी, जो काम कर रही है।
उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा, ‘‘राज्यसभा के सभापति के रूप में मैं आप सबसे कह सकता हूं कि राज्यसभा के जो भी सदस्य हैं उनकी शानदार साख है। उनके पास बड़ा अनुभव और उपलब्धियां हैं, लेकिन जब कदम उठाने की बात आती है, तो वे किसी अन्य के द्वारा निर्देशित होते हैं।’’
वह परोक्ष रूप से सांसदों द्वारा सदन में मुद्दे उठाते समय पार्टी लाइन का पालन करने की ओर इशारा कर रहे थे। धनखड़ ने पूर्व में कहा था कि अधिकतर सांसद हंगामे के खिलाफ हैं, लेकिन वे सदन में व्यवधान पैदा करते हैं क्योंकि उनकी संबंधित पार्टियां उन्हें ऐसा करने के लिए कहती हैं।